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JNU Protest: लाठीचार्ज के खिलाफ सड़क पर उतरे दिव्यांग छात्र पुलिस हिंसा के हुए शिकार

दिल्ली पुलिस द्वारा छात्रों पर लाठीचार्ज करने के मामले में जेएनयू के छात्र आज एक बार फिर सड़क पर उतरे है. इस विरोध-प्रदर्शन में दिव्यांग छात्र भी शामिल थे, जिन्हें पुलिस की हिंसा का शिकार होना पड़ा.

Updated on: 20 Nov 2019, 01:35 PM

नई दिल्ली:

बढ़ती फीस पर रोक लगाने की मांग कर जवाहरलाल यूनिवर्सिटी (JNU) के छात्र सोमवार को संसद मार्च के लिए सड़क पर उतरे थे. लेकिन धारा 144 लागू करने के बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें आगे जाने से रोक दिया था. इसके बाद पुलिस और छात्रों के बीच काफी संघर्ष और विरोध प्रदर्शन भी हुआ था. इस संघर्ष में पुलिस की तरफ से लाठीचार्ज की खबर भी सामने आई है, जिसमें  कई छात्र बुरी तरह घायल हो गए थे. वहीं पुलिस ने छात्रों पर किसी भी कार्रवाई (लाठीचार्ज, वॉटर कैनन) की बात से इंकार कर दिया है. 

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दिल्ली पुलिस द्वारा छात्रों पर लाठीचार्ज करने के मामले में जेएनयू के छात्र आज एक बार फिर सड़क पर उतरे है. इस विरोध-प्रदर्शन में दिव्यांग छात्र भी शामिल थे, जिन्हें पुलिस की हिंसा का शिकार होना पड़ा. खबर सामने आई है कि पुलिस की बर्बरता के खिलाफ प्रदर्शन करने जा रहे जेएनयू (JNU) के दिव्यांग छात्रों को दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने रोक लिया है. पुलिस प्रदर्शन करने वाले छात्रों की बस को लेकर आईटीओ स्थित पुलिस मुख्यालय गई है. 

बता दें कि सोमवार को जेएनयू (JNU) के नेत्रहीन छात्र समेत अन्य जेएनयू छात्रों को बेरहमी से दिल्ली पुलिस द्वारा पीटे जाने को लेकर ये विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. 

वहीं मंगलवार को जेएनयू छात्र संघ ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस ने कहा, ' दिल्ली पुलिस ने जो लाठीचार्ज किया, वह बर्बरता है.  कई छात्र जो घायल हैं वो प्रेस कॉन्फ्रेंस का हिस्सा नहीं बन पाए.' प्रेस कॉन्फ्रेंस में छात्रा ने ये भीआरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस के पुरुष जवानों के द्वारा छात्राओं को पकड़ा जा रहा था, जो कि पूरी तरह से गलत है.

बता दें कि जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष एन साई बालाजी ने एक दिव्यांग छात्र की बेरहमी से पिटाई को लेकर ट्वीट किया. एन साई बालाजी ने बताया कि क्रांतिकारी गायक और जेएनयूएसयू के पार्षद शशिभूषण समद को बुरी तरह से पीटा गया है. वो नेत्रहीन हैं और एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है.

 दिव्यांग छात्र शशिभूषण ने बतया,  'सड़क की लाइटें जब बंद कर दी गई तो मेरे साथियों ने मुझे बचाने की कोशिश की. पुलिस वाले बोले कि वो मुझे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे और मेरे दोस्तों से कहा कि वो चले जाएं. लेकिन जैसे ही मेरे दोस्त गए पुलिस ने मुझे बुरी तरह पीटा. पुलिस कह रही थी कि, 'जब अंधा है तो प्रोटेस्ट में क्यों आया.'

दूसरी तरफ इस मामले में दिल्ली पुलिस के डीसीपी (सेंट्रल) मंदीप सिंह रंधावा ने कहा, 'दिल्ली पुलिस ने ‌किसी भी प्रकार का बल प्रयोग नहीं किया है.यदि इस संबंध में कोई शिकायत दर्ज की गई होगी तो वे इस मामले को जरूर देखेंगे.'