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Delhi Riots: दिल्ली दंगे के पीछे की क्या है क्रोनोलॉजी, यहां जानें सिर्फ 15 Points में

दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ जारी प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है.

Updated on: 25 Feb 2020, 05:34 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ जारी प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है. मौजपुर (Mauzpur) और ब्रह्मपुरी (Brahmpuri) समेत कई इलाकों में तीसरे दिन मंगलवार को भी पत्थरबाजी (Stone Pelting) और तोड़फोड़ जारी है. इस हिंसा में अब तक हेड कांस्टेबल समेत 9 लोगों की मौत हो चुकी है. दिल्ली हिंसा (Delhi Riots) को लेकर यहां पढ़ें पूरी क्रोनोलॉजी.

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यहां पढ़ें दिल्ली हिंसा की पूरी क्रोनोलॉजी

  • शाहीन बाग में 15 दिसंबर से लगभग 30 से 50 लोग सीएए के विरोध में रोड पर प्रदर्शन पर बैठे थे, जो धीरे-धीरे राजनीतिक मंच बन गया. आप, कांग्रेस और वामपंथी नेता उस मंच पर पहुंचने लगे, अगले कुछ दिनों में वहां सैकड़ों की भीड़ जमा होने लगी, महिलाओं और बच्चों को आगे रखकर रोड ब्लॉक करके धरना-प्रदर्शन चलने लगा.
  • दो महीने तक शाहीन बाग की मेन रोड बंद होने से दिल्ली-नोएडा और फरीदाबाद के बीच रोजाना सफर करने वाले सैकड़ों वाहन चालक, स्कूली बच्चों की आफत हो गई, वे रोजाना कई किलोमीटर लंबे रूट और जाम के बीच सफर करते अजीज आने लगे तो गुस्सा बढ़ता गया.
  • जसौला विहार, सरिता विहार के गांववालों ने विरोध में प्रर्दशन की कोशिश की और शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उन्हें पुलिस शांत करवाती गई. एक फरवरी को नाबालिग ने जामिया नगर में जामिया छात्रों के मार्च पर गोली चला दी, जो एक छात्र के हाथ में लगी. फिर 2 फरवरी को कपिल गुर्जर नामक शख्स ने वहां हवाई फायरिंग करके जय श्रीराम के नारे लगाए जिससे तनाव और बढ़ गया.
  • शाहीन बाग वाले सुरक्षा की मांग को लेकर धरने पर बैठे रहे. कुछ हिंदू संगठन और स्थानीय लोग लगातार विरोध जताते रहे. मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चलता रहा, लेकिन कोई स्पष्ट आदेश नहीं आया.
  • इस बीच हालात तब बिगड़े, जब बीते रविवार भीम आर्मी ने दिल्ली भजनपुरा के चांदबाग से मार्च का एलान किया, पुलिस ने उन्हें अनुमति नहीं दी, लेकिन वह चांदबाग पर प्रदर्शन करने पहुंचे, उसके बाद मौहाल एकाएक खराब हुआ. चांदबाग (भजनपुरा) के अलावा जाफराबाद और फिर खुरेजी में पिछले एक महीने से रोड किनारे प्रदर्शन कर रहे लोग सोची-समझी रणनीति के तहत रोड पर आ गए और सीएए के विरोध में रोड जाम कर दी.
  • आरोप है कि शाहीन बाग की तरह ही पुलिस ने उपरोक्त जगहों पर भी रोड जाम होने के दौरान ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे संबंधित रास्तों पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया. सिग्नेचर ब्रिज बंद कर दिया गया. बस अड्डा पुल जाम हो गया. ऐसे में आम लोग बेहद परेशान हो गए. उन्हें घर जाने का रास्ता नहीं मिल रहा था. घंटों परिवार के साथ रोड पर फंसे रहे. आम लोगों के विरोध के स्वर मुखर होने लगे. सिग्नेचर ब्रिज के पास आम लोग धरने पर बैठ गए, लेकिन पुलिस ने उन्हें हटा दिया. उनकी अगुवाई करने वालों को हिरासत में ले लिया. लोगों में गुस्सा बढ़ता गया कि पुलिस विरोध प्रदर्शन के खिलाफ बोलने वालों को शांत करवा रही है, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही. वह कामकाज पर नहीं जा पा रहे. उनके बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे. यह मैसेज गया जगह-जगह सीएए के विरोध में मुस्लिम समुदाय ने रास्ते बंद करके आधी दिल्ली को बंधक बना लिया.
  • ऐसे में 23 फरवरी को भाजपा नेता कपिल मिश्रा मौजपुर पहुंचे. पुलिस के सामने अल्टीमेटम दिया कि 24 घंटे में रास्ता खाली नहीं हुआ तो लोग खुद खाली करवा लेंगे. उसके बाद गुस्साए लोगों ने जाफराबाद के प्रदर्शन स्थल से आगे मौजपुर चौक को जाम कर दिया. यहां मंदिर पर हिन्दू जमा होते गए. सीएए का विरोध करने वालों के खिलाफ नारेबाजी होने लगी. उसी बीच कबीर नगर, कर्दमपुरी में सीएए विरोधियों की तरफ से पत्थरबाजी हुई. फिर मौजपुर की ओर से पत्थरबाजी होने लगी. शाम होते-होते दंगे शुरू हो गए.
  • 23 फरवरी की रात मौजपुर में हिन्दुओं के 2 वाहन जला दिए गए, मारपीट हुई. रातभर तनाव फैलता रहा. ऐसे में पुलिस खामोश थी.
  • 24 फरवरी को दंगों का भीषण चेहरा सामने आया. मौजपुर में एक तरफ हिन्दू जमा थे. दूसरी ओर मुस्लिम। रात से चल रही पत्थरबाजी तेज हो गई. सुबह गोलियां चलने लगी. शाहरुख नामक युवक ने आठ राउंड फायरिंग की। वहां से फरार हो गया. बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। दोनों तरफ से नारेबाजी और पत्थरबाजी होती रही.
  • दूसरी ओर भजनपुरा चांद बाग, करावल नगर मुस्तफाबाद में दंगे भड़क गए. वहां 23 फरवरी की रात से पथराव शुरू हो गया था. 24 फरवरी को दुकानें लूटी जाने लगीं. घरों में आग लगा दी. गोकलपुरी टायर मार्केट में आग लगा दी गई. भजनपुरा चौक पर मजार जला दी गई , पेट्रोल पंप में आग लगा दी, जिससे हालात बेकाबू हो गए.
  • 24 फरवरी को भजनपुरा में दिल्ली पुलिस के हेड कॉस्टेबल रतनलाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई. उसके बाद मौजपुर में फुरकान नामक आम मुस्लिम को पीट-पीटकर मार दिया गया. उपद्रवी और हिंसा पर उतारू लोग गैर धर्म के लोगों पर हमले करने लगे. 50 से ज्यादा लोग घायल हुए. भजनपुरा में हिन्दुओं की दुकानें लूट ली गईं. घरों पर पथराव हुआ. हिन्दू इलाकों में मुस्लिमों की दुकानें जला दीं. मौजपुर में एक घर को आग के हवाले कर दिया. मुस्लिम लोगों की दुकानों को बोर्ड तोड़ दिए.
  • 24 फरवरी की रात तक दंगे की चपेट में भजनपुरा और मौजपुर के आसपास खजूरी खास, गोकलपुरी, यमुना विहार, कबीर नगर, ब्रिजपुरी, कर्दमपुरी भी आ गए.
  • इतना कुछ हुआ, लेकिन पुलिस ने ठोस कदम नहीं उठाया. 24 फरवरी को नॉर्थ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट में धारा 144 लगा दी, जिसमें चार से ज्यादा लोग सार्वजनिक जगह पर जमा नहीं हो सकते, लाठी-डंडे लेकर नहीं चल सकते हैं. लेकिन, धारा 144 के नोटिस का माखौल बनकर रह गया. वह बिलकुल कागजी साबित हुआ. जाफराबाद, मौजपुर, भजनपुरा, ब्रह्मपुरी, करावल नगर में लोगों के ग्रुप हाथों में लाठी डंडे लेकर हिंसा करते रहे, लेकिन पुलिस धारा 144 का पालन नहीं करवा पाई.
  • 25 फरवरी को भी वही हालात हैं, हेड कांस्टेबल समेत 9 लोगों की मौत हो चुकी है. पिछले 24 घंटों में दिल्ली फायर सर्विस को दंगा ग्रस्त इलाकों में आगजनी की 50 से ज्यादा कॉल्स मिल चुकी है. दमकल की गाड़ियों पर भी पथराव हुआ. 3 दमकल कर्मी घायल हो गए.