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दिल्ली : जेल है या अपराध का कॉल सेंटर, जानकर हो जाएंगे हैरान

रुस्तम नाम के गैंगस्टर ने जेल से वीडियो बनाकर अपनी सुख सुविधाओं का मुआयना करवाया था

Updated on: 27 Mar 2019, 10:10 AM

नई दिल्ली:

मंडोली की हाईसिक्योरिटी जेल से एक कुख्यात गैंगस्टर का वीडियो वायरल होने के बाद जेल में पिछले दस दिनों से विशेष अभियान चलाया गया है. जिसमें कैदियों से चालीस मोबाइल रिकवर हो चुके हैं. अभियान अभी भी जारी है. यह संख्या हैरान करने वाली है, लेकिन उससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि चालीस में से ज्यादातर मोबाइल जेल के उन हिस्सों से रिकवर किए गए हैं, जिनमें कुख्यात गैंगस्टर बंद हैं. इस रिकवरी से जाहिर है कि जेल में बंद गैंगस्टर्स ने मंडोली जेल को एक्सटोर्शन का अड्डा बनाया हुआ था. मंडोली जेल नहीं, बल्कि अपराधियों का कॉल सेंटर बन चुकी थी. कई कुख्यात गैंगस्टर वहीं से गैंग चला रहे थे. जेल के अंदर से ही निर्देश देते या लेते थे.

सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से जेल के भीतर से एक्सटोर्शन की कॉल्स लगातार हो रही थी. जिस रुस्तम नाम के गैंगस्टर ने जेल से वीडियो बनाकर अपनी सुख सुविधाओं का मुआयना करवाया था. उसका वह वीडियो बाहर भेजने का असली मकसद जेल में अपनी धाक दिखाकर गैंग और बाहरी लोगों पर दबदबा बनाना था, ताकि उगाही का धंधा बदस्तूर चलता रहे.

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स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप बनाया गया
जेल सूत्रों के मुताबिक, यह वीडियो वायरल होने के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन ने एक स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप बनाकर मंडोली जेल में भेजा. इस ग्रुप में एसिस्टेंट जेल सुपरिंटेंडेंट दीपक शर्मा, जय सिंह, सुरेंद्र डागर लीड कर रहे हैं. इस ग्रुप ने पिछले दस दिनों में विशेष जांच अभियान के तहत चालीस से ज्यादा मोबाइल रिकवर किए हैं. दो दिन पहले कुख्यात गैंगस्टर नासिर के गुर्गे इबले हसन और सलमान से भी मोबाइल रिकवर हुए हैं.

जेल में इतनी बड़ी संख्या में कैसे पहुंच रहे हैं मोबाइल
स्पेशल टीम ने जिस तरह से मोबाइल के ढेर रिकवर किए हैं, उससे तिहाड़ जेल प्रशासन हैरान है. प्रशासन को शक है कि इतनी बड़ी संख्या में मंडोली जेल में मोबाइल पहुंचने के पीछे स्टाफ की मिलीभगत हो सकती है. इस सिलसिले में उच्च स्तरीय जांच जारी है. रिपोर्ट आते ही बड़ी कार्रवाई हो सकती है. तब तक के लिए स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप को मंडोली जेल की ''सफाई'' के लिए भेजा गया है, जिससे लगातार मोबाइल रिकवर होने से सनसनी है.

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जेल महानिदेशक अजय कश्यप ने बताया कि कैदियों के पास से मोबाइल मिलने पर सख्त सजा का प्रावधान नहीं है. अभी उन्हें जेल प्रशासन द्वारा दंडित किया जाता है, जिसमें उनके ऊपर कुछ बंदिशे लगाई जाती हैं. इसलिए जेल प्रशासन ने एक अध्यादेश लाने के लिए आग्रह पत्र लिखा है, जिसके मुताबिक यदि जेल में कैदी से मोबाइल रिकवर होता है तो उसे तीन साल तक कैद की अलग से सजा काटनी होगी. यदि वह सजायाफ्ता कैदी है तो उसे अपनी सजा के अलावा मोबाइल इस्तेमाल करने के जुर्म में भी अलग सजा काटनी होगी.जेल में मोबाइल का इस्तेमाल रोकने के लिए जैमर तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. जो 2जी के जमाने का होने की वजह से 4जी नेटवर्क के आगे नाकाम हो चुका है. जेल प्रशासन के मुताबिक उसे अपग्रेड किया जा रहा है. इस संबंध में प्रक्रिया जारी है.