पूर्व सीएम अजीत जोगी आदिवासी नहीं- डी डी सिंह कमेटी
ये दूसरी कमेटी है, जिसने पूर्व सीएम अजीत जोगी को आदिवासी नहीं माना है.
highlights
- छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजीत जोगी पर संकट के बादल.
- अजीत जोगी पर उनके आदिवासी को लेकर है कंफ्यूजन.
- डीडी सिंह की कमेटी ने सौंपी अपनी रिपोर्ट, कहा- जोगी आदिवासी नहीं.
रायपुर:
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh State) के पूर्व सीएम अजीत जोगी (Former CM Ajit Jogi) अपनी जाति (Caste) के कारण मुश्किलों में पड़ते दिख रहे हैं. अजीत जोगी की जाति मामले में जांच कर रही कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, डीडी सिंह कमेटी की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पूर्व सीएम अजीत जोगी आदिवासी नहीं है. डीडी सिंह (DD Singh) की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अजीत जोगी (Ajit Jogi) को आदिवासी (Tribal) मानने से इनकार करने के साथ ही जोगी के सभी जाति प्रमाण पत्रों को भी निरस्त कर दिया है. कमेटी ने ये भी तय किया है कि जोगी को अनुसूचित जनजाति के लाभ की पात्रता नहीं दी जा सकती.
आदिम जाति विभाग के सचिव डीडी सिंह की अध्यक्षता वाली इस हाई पावर कमेटी (High Power Committee) ने अपनी रिपोर्ट सौंप भी दी है. ये दूसरी कमेटी है, जिसने पूर्व सीएम अजीत जोगी को आदिवासी नहीं माना है.
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इससे पहले साल 2018 में आईएएस (IAS) रीना बाबा कंगाले की अध्यक्षता वाली हाई पावर कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में अजीत जोगी को आदिवासी नहीं माना था.
सूत्रों के मुताबिक मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियमन) नियम 2013 के नियम 23 (3) एवं 24 (1) के प्रावधानों के अंतर्गत कार्यवाही के लिए बिलासपुर के कलेक्टर को निर्देशित भी जारी कर दिया है. वहीं नियम 2013 के नियम 23(5) के प्रावधानों के तहत उप पुलिस अधीक्षक को प्रमाण पत्र जब्त करने के निर्देश दिए गए हैं.
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बता दें कि यदि इस रिपोर्ट पर कार्रवाई होती है तो मारवाही से अजीत जोगी का निर्वाचन समाप्त किया जा सकता है. क्योंकि वो विधानसभा सीट आदिवासी प्रत्याशी के लिए आरक्षित है.
बता दें कि इसके पहले बिलासपुर उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने अजीत जोगी की जाति से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया था. इस याचिका में जोगी ने हाईपावर कमेटी के समक्ष पेश होने की नोटिस को खारिज करने की मांग की थी. जबकि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में अजीत जोगी को कमेटी के समक्ष एक महीने के भीतर उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत करने को कहा था. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अजीत जोगी ने 21 अगस्त 2019 को हाईपावर कमेटी को अपना जवाब प्रस्तुत किया था.
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