बाघों की संख्या में गोलमाल पर छत्तीसगढ़ सरकार ने जताई चिंता, नए सिरे से जांच शुरू
दरअसल, इंद्रावती टाइगर रिजर्व में नक्सल प्रभाव के कारण अब तक प्रदेश का वन विभाग कैमरे नहीं लगा पाया है, इसलिए वहां बाघों की गिनती पर शक है.
नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या में गोलमाल मामले में सरकार ने चिंता जाहिर की है और इस पर नए सिरे से जांच शुरू कर दी है. दरअसल, इंद्रावती टाइगर रिजर्व में नक्सल प्रभाव के कारण अब तक प्रदेश का वन विभाग कैमरे नहीं लगा पाया है, इसलिए वहां बाघों की गिनती पर शक है. 2018 की गणना में वहां एक भी बाघ नजर नहीं आया, लेकिन ग्रामीण अक्सर दहाड़ सुनते हैं इसलिए उस रिजर्व के 3000 वर्ग किमी जंगल में गणना के फार्मूले पर मंथन शुरू हुआ है.
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केंद्र सरकार की गणना के अनुसार, छत्तीसगढ़ के तीन रिजर्व फॉरेस्ट में पिछले चार साल में बाघों की संख्या 46 से घटकर 19 रह गई. इस आंकड़े से वन महकमे में खलबली मची हुई है. अफसरों का कहना है कि इन चार वर्षों में केवल दो बाघों की मौत हुई है, 10 फीसदी माइग्रेट भी हुए होंगे तो 21 बाघों को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. हालांकि विभाग में ही चार साल पहले जारी किए गए 46 के आंकड़ों को लेकर संशय की स्थिति है. इस संशय को दूर करने के लिए शासन स्तर पर संख्या का वेरिफिकेशन शुरू हुआ है.
एसीएस वन आरपी मंडल के अनुसार, बाघों की संख्या के वेरिफिकेशन के बाद ही कमी की पड़ताल की जा सकती है. हालांकि बाघों की संख्या में अप्रत्याशित कमी को लेकर शासन बेहद गंभीर है. गिनती के वेरिफिकेशन के साथ-साथ वन महकमे ने बाघों की संख्या बढ़ाने के तरीके पर न केवल मंथन शुरू किया है, बल्कि एक आईएफएस अफसर के नेतृत्व में गुरुवार को एक टीम पन्ना रवाना कर दी गई.
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पन्ना में कुछ साल पहले बाघ खत्म हो गए थे. इसके बाद एक बाघ और दो बाघिनों को रखकर वहां इन्हें बढ़ाने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ और चार साल में बाघों की संख्या 35 हो गई. इसलिए टीम पन्ना भेजी गई है. वन विभाग के ही जानकारों का कहना है बाघों की संख्या में अप्रत्याशित कमी का खुलासा होने के बाद विभाग का एक धड़ा लीपापोती में जुट गया है. बाघों की संख्या कम होने पर और सरकारी लीपापोती पर बीजेपी के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि सरकार को बेहद गंभीरता से बाघों की संख्या बढ़ाने पर विचार करना चाहिए. ऐसे मामलों पर फर्जी आंकड़े नहीं आने चाहिए.
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