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छत्तीसगढ़ सरकार ने सीएए में किए गए संशोधन को वापस लेने का किया अनुरोध

छत्तीसगढ़ सरकार ने नागरिकता कानून में किए गए संशोधन को वापस लिए जाने का अनुरोध केंद्र सरकार से करने का निर्णय लिया है. राज्य के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बृहस्पतिवार को बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में सीएए को

Updated on: 30 Jan 2020, 08:29 PM

रायपुर:

छत्तीसगढ़ सरकार ने नागरिकता कानून में किए गए संशोधन को वापस लिए जाने का अनुरोध केंद्र सरकार से करने का निर्णय लिया है. राज्य के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बृहस्पतिवार को बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में सीएए को लेकर आम जनता में विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार से संशोधन को वापस लिए जाने का अनुरोध करने का निर्णय किया गया. चौबे ने बताया कि इस संदर्भ में मुख्यमंत्री बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सीएए में हुए संशोधन को वापस लेने का अनुरोध किया है.

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मंत्री ने बताया कि इस संबंध में विधानसभा में भी प्रस्ताव पारित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि जहां एक ओर इस कानून का वर्तमान संशोधन धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों का विभेद करता प्रतीत होता है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 के विपरीत होने का संकेत दे रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत के पड़ोसी देशों, जैसे- श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल और भूटान इत्यादि देशों से आने वाले प्रवासियों के संबंध में इस कानून में कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है.

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मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में इस कानून के विरूद्ध काफी विरोध प्रदर्शन देखे गए, जो कि शांतिपूर्ण रहा. छत्तीसगढ़ में मूलतः अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के निवासी हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में गरीब, अशिक्षित एवं साधनविहीन हैं, जिसे इस कानून की औपचारिकता को पूर्ण करने में कठिनाइयों का निश्चित रूप से सामना करना पड़ सकता है.

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संविधान के समक्ष सभी सम्प्रदाय समान होते हैं, संसद के द्वारा अधिनियमित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) धर्म निरपेक्षता के इस संवैधानिक आधारभूत भावना को खंडित करता दृष्टिगत हो रहा है. मंत्री ने बताया कि बघेल ने पत्र में कहा है कि देश के सभी वर्गों के व्यक्तियों के समानता के अधिकार और कानून के अंतर्गत समानता की गारंटी को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है कि संविधान की मूल भावना के विपरीत कोई भी कानून नहीं बनाया जाए. उन्होंने बताया कि पत्र में नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 में लाए गए संशोधन को वापस लिए जाने का प्रदेशवासियों की ओर से अनुरोध किया गया है.