'गाय, गांधी और गांव' की राह चली छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार
BJP ने मुख्यमंत्री बघेल की इस मुहिम को राजनीति का हिस्सा करार दिया है.
highlights
- छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने 'गाय, गांधी और गांव' को पहली प्राथमिकता में रखा है.
- यही कारण है कि राज्य में गांधी विचार-यात्रा, गौठान और रियायती राशन के जरिए गरीब और गांव को मजबूत करने के प्रयास जारी हैं.
- वहीं, BJP ने मुख्यमंत्री बघेल की इस मुहिम को राजनीति का हिस्सा करार दिया है.
नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की भूपेश बघेल सरकार (Bhupesh Baghel Government) ने 'गाय, गांधी और गांव' (Cow, Gandhi and Village) को पहली प्राथमिकता में रखा है. यही कारण है कि राज्य में गांधी विचार-यात्रा, गौठान और रियायती राशन के जरिए गरीब और गांव को मजबूत करने के प्रयास जारी हैं. वहीं, BJP ने मुख्यमंत्री बघेल की इस मुहिम को राजनीति का हिस्सा करार दिया है.
राज्य में कांग्रेस को सत्ता में आए नौ माह से ज्यादा का वक्त गुजर गया है, इस दौरान भूपेश बघेल की सरकार ने आवारा गौवंश को आश्रय देने के लिए गौठान बनाने का काम शुरू किया है तो दूसरी ओर, गांव को समृद्ध बनाने के लिए किसानों का कर्ज माफ किया और फसलों के दाम व तेंदूपत्ता संग्राहकों के बोनस में बढ़ोतरी की है. इसके अलावा गांधी का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए 'गांधी विचार यात्रा' निकाली जा रही है.
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक मीडिया एजेंसी से कहा कि वह गांधी के रास्ते पर ही चलकर ही राज्य की सत्ता में आए हैं और अगले पांच साल में गांधी की ग्राम स्वराज की परिकल्पना को मजबूत करने के लिए काम करेंगे.
छत्तीसगढ़ में आवारा जानवर, खासकर गाय एक बड़ी समस्या बनी हुई है. यहां एक करोड़ 28 लाख से ज्यादा जानवर हैं, इनमें 30 लाख आवारा हैं, जिसके कारण खेतों की फसलों को नुकसान होने के साथ सड़कों पर हादसे भी होना आम रहा है. इन जानवरों, खासकर गायों के लिए गौठान बनाए गए हैं. राज्य में अब तक दो हजार गौठान बन चुके हैं. इन गौठानों के लिए ग्राम पंचायतों ने 30 हजार एकड़ जमीन दी है. गौठान वह स्थान है, जहां गायों के लिए खाने-पीने का पूरा इंतजाम होता है.
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि अगले साल और एक हजार गौठान बनाने का लक्ष्य है, ताकि आवारा गायों को आश्रय मिल सके.
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उन्होंने बताया कि धमतरी जिले का कंडेल ऐसा गांव है, जहां लोगों ने बगैर सरकारी मदद के गौठान बनाया है. यह वह गांव है, जहां अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान नहर कर लगाए जाने पर आंदोलन हुआ था और महात्मा गांधी आए थे. इसी गांव से गांधी की 150वीं जयंती पर गांधी विचार यात्रा की शुरुआत हुई. सात दिन की इस राज्यस्तरीय यात्रा के बाद सात दिवसीय विकासखंड स्तरीय यात्रा शुरू हो रही है, जो गांवों तक जाएगी.
मुख्यमंत्री बघेल ने गांधी की ग्राम स्वराज की परिकल्पना के अनुसार राज्य के अंतिम व्यक्ति को सशक्त बनाने का वादा किया है. उनका कहना है कि गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर राज्य सरकार ने पोषण, स्वास्थ्य, राशन, समस्या निदान के लिए पांच योजनाओं की शुरुआत की है.
इस तरह भूपेश सरकार ने पंद्रह दिन के भीतर गांव-गांव तक अपनी बात पहुंचाने के लिए गांधी विचार यात्रा निकाली हैं. इस यात्रा के जरिए गांधी के सहारे राज्य सरकार अपनी आगामी योजनाओं की जानकारी पहुंचा रही है और गांव-गांव से यह फीडबैक भी ले रही है कि सरकार को और क्या करना चाहिए, जिससे लोगों में सरकार के प्रति सकारात्मक सोच बनी रहे.
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एक तरफ गाय को आश्रय दिया जा रहा है, गांधी के सहारे गांव-गांव पहुचने की सरकार की कोशिश है तो वहीं किसानों का कर्ज माफ कर, फसल के दाम बढ़ाकर और तेंदूपत्ता का बोनस बढ़ाकर उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हैं. सरकार ने 400 यूनिट तक बिजली की खपत पर बिल आधा कर दिया है.
बघेल का मानना है कि लोगों के पास पैसा होगा तो उनकी क्रयशक्ति बढ़ेगी. ऐसा होने पर राज्य की आर्थिक गतिविधियां सुचारु रूप से चल सकेंगी.
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राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बघेल पर महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को 'विवादग्रस्त' बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने कभी भी राष्ट्रवाद के नाम पर देश को बांटने का काम नहीं किया है, कांग्रेस ने सत्ता के लिए देश का सांप्रदायिक आधार पर विभाजन तक मंजूर किया. बघेल छत्तीसगढ़ के कण-कण में राम होने की बात करते हैं और उनकी पार्टी ने सत्ता में रहते हुए राम के अस्तित्व को नकारने का हलफनामा दिया था.
वहीं, बीजेपी किसान मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष पूनम चंद्राकर ने गोठान की स्थिति पर चिंता जताई है और आरोप लगाया है कि सरकार इसका राजनीतिकरण कर रही है. वहां अव्यवस्थाओं का बोलबाला है. चारा-पानी के अभाव में जानवर मर रहे हैं, सरकार को गौवंश की रक्षा की बजाय राजनीति की चिंता ज्यादा है.
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