RJD नहीं करना चाहती दोबारा वही गलती, कहा- गठबंधन में रहना है रहो, CM उम्मीदवार तो तेजस्वी ही होंगे
बिहार की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इस बार अपनी शर्तों पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया है
पटना:
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाला है. इसकी उल्टी गिनती भी शुरू हो गई. दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान करेंगे. इसके लिए बिहार में सियासी सरगर्मी भी तेज हो गई है. बिहार की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इस बार अपनी शर्तों पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया है. साथ ही महागठबंधन में नेतृ्त्व का अभाव दिख रहा है. महागठबंधन में नेतृत्व को लेकर सवाल उठ रहे हैं. पार्टी ने बिल्कुल साफ लहजे में कहा है कि जिसको महागठबंधन में रहना है रहे, नहीं रहना है ना रहे, लेकिन मुख्यमंत्री के उम्मीदवार तो तेजस्वी यादव ही होंगे.
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बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में RJD महागठबंधन के सभी दलों को साथ लेकर चुनाव लड़ा था. जिसके चलते RJD जीरो पर आउट हो गई थी. 2019 लोकसभा चुनाव में RJD का खाता भी नहीं खुला था. लेकिन इस बार RJD विधानसभा चुनाव में दोबारा गलती नहीं करना चाहती है. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए आरजेडी ने बड़ा त्याग किया था. उन्होंने जीतनराम मांझी की हम और मुकेश सहनी की वीआईपी को 3-3 सीटें दी थीं. बीजेपी की विजय रथ को रोकने के लिए सभी विपक्षी दल एक होकर चुनाव लड़े थे. परिणामस्वरूप सभी दल जीरो पर ऑउट हो गए थे. लेकिन अब यही दोनों पार्टियों के नेता गठबंधन के नेतृत्व को लेकर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन इस बार आरजेडी किसी भी दबाव में नहीं दिख रही है.
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आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि राष्ट्रीय जनता दल बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है. जाहिर है कि नेतृत्व भी उसी का होगा. वैसे भी आरजेडी अपने राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. इसके बाद नेतृत्व पर सवाल उठने का कोई मतलब ही नही है. जैसे हम राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को सबसे बड़ी पार्टी मानकर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार मानते हैं. जेएमएम के हेमंत सोरेन को झारखंड में नेता मानते हैं तो बिहार में आरजेडी के नेता को नेता मानने में किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.
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