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जस्टिस राजेश कुमार के आदेश से मची खलबली, न्यायपालिका को भी लिया लपेटे में

पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज राजेश कुमार ने राज्य न्याय पालिकी की कार्यप्रणाली पर तीखा प्रहार करते हुए हाईकोर्ट प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

Updated on: 29 Aug 2019, 01:36 PM

highlights

  • न्यायपालिका पर आरोप लगाते हुए कहा भ्रष्टाचारियों को दिया जाता है संरक्षण
  • सीनियर जज चीफ जस्टिस को मस्का लगाते रहते हैं
  • कोर्ट ने जमानत देने के मामले में तीन हफ्तों के भीतर जांच रिपोर्ट देने को कहा

पटना:

पटना हाईकोर्ट के सीनीयर जज राकेश कुमार ने बुधवार को पूर्व IAS केपी रमैय्या की खारिज अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के भ्रष्ट अधिकारियों पर तल्ख टिप्पणी की. राज्य सरकार के साथ ही उन्होंने उच्च न्यायपालिका तक को भी नहीं छोड़ा.

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारियों को न्यायपालिका से ही संरक्षण प्राप्त हो जाता है. जिसकी वजह से उनके हौसले बुलंद हैं. पटना हाईकोर्ट के इतिहास में पहली बार ऐसा आदेश आया है. जिसमें न्यायपालिका को ही कटघरे में खड़ा कर दिया गया है.

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कोर्ट ने करीब दो घंटे तक यह आदेश लिखवाया और उसकी प्रतिलिपि PMO, कॉलेजियम, केंद्रीय कानून मंत्रालय औक सीबीआई के निदेशक को अग्रसारित करने का निर्देश दिया. बुधवार को बिहार महादलित विकास मिशन योजना में 5.55 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपी पूर्व आईएएस रमैय्या को निचली अदालत द्वारा जमानत देने पर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि जिस एडीजी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ है उसे बर्खास्तगी की जगह मामूली सजा मिली है.

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आपको बता दें कि इस घोटाले में पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खंडपीठ ने केपी रमैय्या को निचली अदालत में सरेंडर करने का निर्देश दिया था. नियम के मुताबिक विजिलेंस से जुड़े होने के कारण विजिलेंस जज मधुकर कुमार की अदालत में जमानत याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए थी. लेकिन वो एक दिन की छुट्टी पर थे. उनकी जगह पर प्रभारी न्यायिक पदाधिकारी विपुल कुमार सिंह ने सुनवाई की. उसी दिन रमैय्या ने बेल-कम-सरेंडर याचिका दायर करके बड़ी आसानी से जमानत ले ली.

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न्यायाधीश कुमार ने कहा कि इस बारे में बाद में जानकारी हुई कि मुख्य न्यायाधीश के आगे-पीछे हाईकोर्ट के सीनियर जज तक लगे रहते हैं. ताकि उनका भ्रष्टाचार छिप जाए. उन्होंने बेहद तल्ख लहजे में कहा कि जबसे हमने न्यायाधी पद की शपथ ली थी तबसे देख रहा हूं कि सीनियर जज भी चीफ जस्टिस को मस्का लगाते रहते हैं. ताकि उनसे कोई फेवर लिया जा सके और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण मिलता रहे.

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एकलपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि हाईकोर्ट के जजों के लिए बेली रोड, सर्कुलर रोड एवं अणे मार्ग में बंगले आवंटित किए जाते हैं. लेकिन इसकी साज-सज्जा में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं. जबकि यह टैक्स पेयर की दी हुई राशि होती है. 

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आपको बता दें कि राकेश कुमार हाईकोर्ट के वरीय न्यायाधीश हैं और वे हाईकोर्ट प्रशासन के एक महत्वपूर्ण अंग भी हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद भी केपी रमैय्या को किस परिस्थिति में नियमित जमानत दे दी गई. कोर्ट ने कहा कि जिला जज इस पूरे प्रकरण की जांच करें और तीन सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करें.