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5 लाख रुपए का बड़ा इनाम देगी नीतीश सरकार, बस करनी होगी सरकार की ये मदद

इसके तहत जो भी कोई घूसखोर अधिकारी को पकड़वाने में सरकार की मदद करेगा उसको सरकार इनाम देगी.

Updated on: 29 Feb 2020, 12:26 PM

Patna:

बिहार की नीतीश सरकार (Nitish government) ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए अपने जीरो टॉलरेंस नीति (zero tolerance policy) के तहत एक नया प्रयोग शुरू किया है. इसके तहत जो भी कोई घूसखोर अधिकारी को पकड़वाने में सरकार की मदद करेगा उसको सरकार इनाम देगी. इस प्रयोग के सामने आते ही अब इस बात पर बहस शरू हो गई कि क्या सुशासन बाबू की सरकार में सरकारी तंत्र फेल हो गया क्या? या चुनावी साल में ये नीतीश कुमार का कोई नया पैंतरा है. इस प्रयोग पर विपक्ष के साथ-साथ सरकार बनाने में सहयोगी पार्टी बीजेपी के एम एल सी भी मखौल उड़ा रहे हैं.

लोकतांत्रिक व्यवस्था में तंत्र को कमजोर पड़ता देख सरकार लोक यानी आम लोगों के दर पर पहुंची है. अब भ्रष्ट सरकारी सेवकों को पकड़वाने वालों को एक हजार रूपये से दस हजार रूपये तक का इनाम दिया जाएगा. भ्रष्टाचार का पर्दाफाश से अगर सरकार को बड़ी बचत होती है तो पकड़वाने वाले को रकम का दो प्रतिशत पुरुस्कार स्वरूप दिया जाएगा. लेकिन पुरुस्कार की रकम 5 लाख से ज्यादा नही होगी. सरकार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा की ये सुशासन के सरकार का भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम का एक और प्रमाण है.

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गुरुवार को केबिनेट से ये प्रस्ताव पास हो गया है. सरकार के इस फैसले का स्वागत विपक्ष का एक धड़ा यानी पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कर रहे हैं जो इसे सही बता रहे हैं. मगर आश्चर्य ये कि सरकार की सहयोगी बीजेपी के एमएलसी सच्चिदानंद राय ने सरकार की नियत पर सवाल उठाये हैं. उनकी माने तो सरकार की अपनी व्यवस्था का क्या, उनका आरोप है कि सरकार में इच्छा-शक्ति की कमी है. अगर सरकार चाहती तो खुद से इन भ्रष्टाचारियों को पकड़ लेती. उन्होंने ये भी दावा किया कि मैं सरकार में भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को पकड़वा सकता हूं. सरकार में इच्छा-शक्ति है तो करे कारवाई. अब आप खुद सोचे कि अगर सहयोगी के तेवर ये तो विपक्ष सरकार को कैसे घेरेगी. हुआ भी वही मुख्य विपक्षी दल राजद ने इसको लेकर मोर्चा खोल दिया. राबड़ी देवी लालू प्रसाद यादव के 15 साल के कार्यकाल को नीतीश कुमार के कार्यकाल से बेहतर बता रहीं तो राजद विधायक आलोक मेहता सरकार पर जिम्मेवारियों से भागने का आरोप लगा रहे हैं. अब नीतीश सरकार ने इस चुनावी साल में एक नया स्टंट तो दिखाया है, लेकिन कारगर कितना होगा ये पता नहीं है. मगर भ्रष्टाचार के विरोध में नीतीश कुमार ने सख्त छवि दिखाने की एक और कोशिश जरुर की है.