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बिहार में इस साल योजनाओं पर 31 हजार करोड़ रुपये खर्च रही नीतीश सरकार

सुशील मोदी ने शनिवार को राजधानी पटना स्थित सचिवालय सभागार में संवेदकों के साथ बजट से पहले बैठक की.

Updated on: 16 Feb 2020, 11:13 AM

पटना:

बिहार  के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने शनिवार को बताया कि बिहार में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान निर्माण कार्यों पर 31 हजार 600 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि विकास योजनाओं और निर्माण कार्यों में संवेदकों की बड़ी भूमिका है. पथ निर्माण विभाग के अंतर्गत एसबीडी (स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट) तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि टेंडर में पारदर्शिता के लिए अप्रैल से ई-टेंडरिंग का नया मॉड्यूल लागू किया जाएगा. सुशील मोदी ने शनिवार को राजधानी पटना (Patna) स्थित सचिवालय सभागार में संवेदकों के साथ बजट से पहले बैठक की. इसमें भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, पीएचईडी मंत्री विमोद नारायण झा और जल संसाधन मंत्री संजय झा मौजूद थे.

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डिप्टी सीएम ने बताया कि इस साल सड़कों के निर्माण में 7023 करोड़, भवन के लिए 4423 करोड़, जल संसाधन के लिए 2662.68 करोड़ और ऊर्जा क्षेत्र के लिए 4583.13 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. देश में तेजी से विकास कर रहे बिहार में इस साल के 9 महीने में ही 22146 करोड़ रुपये के कच्चे माल बाहर से मंगाए गए हैं. इनमें आयरन और स्टील 10600 करोड़ रुपये, सीमेंट 4579 करोड़, इलेक्ट्रिक सामान 6572 करोड़ रुपये, टाइल्स और मार्बल 675 करोड़ रुपये के लाए गए हैं. बिहार में सीमेंट की खपत देश में सर्वाधिक है.

उन्होंने बताया कि अलग-अलग विभागों की जगह अब संवेदक एक ही जगह अपना निबंधन करा सकेंगे. प्राक्कलन तैयार करने के दौरान ही संवेदकों को एक चेकपोस्ट दिया जाएगा, जिससे संबंधित कानूनों और क्या-क्या करना है उन्हें जानकारी मिल जाएगी. मोदी ने बताया कि पथ निर्माण विभाग जिस तरह से तकनीकी निविदा के बाद 7 दिनों तक संवेदकों से जुड़े सारे कागजात पोर्टल पर प्रदर्शित करता है, उसी तर्ज पर अन्य विभाग भी करेंगे, ताकि किसी भी त्रुटि व निविदा रद्द होने की जानकारी मिल सके.

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डिप्टी सीएम ने आगे बताया कि सीएफएमएस लागू होने के बाद से ऑनलाइन बिल दाखिल करने व भुगतान प्राप्त करने की पारदर्शी व्यवस्था से किसी संवेदक को अब कोषागार जाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, 'बैठक में अनेक संवेदकों ने जीएसटी व खनन से जुड़े मुद्दे उठाए, जिसके आलोक में जल्द ही संबंधित लोगों के साथ वर्कशॉप आयोजित करने का फैसला लिया गया. संवेदकों ने शेड्यूल ऑफ रेट, कार्य अवधि विस्तार, रिटेंशन मनी की वापसी आदि से जुड़े अनेक मुद्दों पर अपने सुझाव दिए.'