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मुजफ्फरपुर शेल्टर होमः आरजेडी ने CBI पर उठाए सवाल, मोदी-नीतीश पर बोला हमला

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की जांच कर रही केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में किसी भी लड़की का मर्डर नहीं हुआ है.

Updated on: 08 Jan 2020, 04:31 PM

पटना:

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की जांच कर रही केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में किसी भी लड़की का मर्डर नहीं हुआ है. जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि शेल्टर होम परिसर से 2 कंकाल बरामद हुए थे, लेकिन फारेंसिक जांच में पता चला कि वे एक महिला और एक पुरूष के थे. सीबीआई के इस दावे पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने सवाल खड़े किए हैं. आरजेडी ने आरोप लगाया है कि सीबीआई ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस को ही पूरा पलट दिया है. इसके साथ ही पार्टी ने मोदी-नीतीश पर हमला बोला और कहा कि मोदी ने कुर्सी कुमार के लिए 'बेटी हटाओ, कुर्सी बचाओ' लागू कर दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के दावे के बाद आरजेडी ने ट्वीट कर कहा, 'CBI ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस को ही पूरा पलट दिया! CBI के अनुसार- किसी बच्ची की हत्या हुई ही नहीं! हत्या का कोई सबूत नहीं मिला! नरकंकाल अज्ञात वयस्कों के! अब हो गया न्याय! बजाओ ताली! समझ में आया पलटू की पलटी? केस के जांच की कमान अस्थाना के पास थी! वाह मोदीजी वाह!'

आरजेडी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, "मोदी ने कुर्सी (नीतीश) कुमार के लिए 'बेटी हटाओ, कुर्सी बचाओ' लागू कर दिया! कहां से लाते हैं इतनी हैवानियत? इतनी बेशर्मी? बलात्कार और हत्या करने वाला जितना दोषी है, निजी हित के लिए अपनी दुशासनी आंखें मूंदने वाला और 'बिहार के दुशासन' को बचाने वाला भी उतना ही बड़ा दोषी है!"

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में आज जांच एजेन्सी की ओर से अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि बच्चों से बलात्कार और यौन हिंसा के आरोपों की जांच का काम पूरा हो गया है और संबंधित अदालतों में आरोप पत्र भी दाखिल किये जा चुके हैं. वेणुगोपाल ने कहा कि जिन बच्चों के बारे में बताया जा रहा था कि उनकी हत्या कर दी गई है, उन्हें खोज लिया गया है और वे जीवित हैं. सीबीआई ने बताया कि कुछ बच्चों के बयान कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में रहने वाली 35 लड़कियों की हत्या हुई है, जांच में गलत पाए गए हैं. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि सभी 35 लड़कियां जीवित मिली हैं.

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गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर में एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित आश्रय गृह में अनेक लडकियों का कथित रूप से यौन शोषण करने और उनके साथ हिंसा का मामला टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक रिपोर्ट से उजागर हुआ था. इस रिपोर्ट के बाद ही शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर की गई. इसमें इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और न्यायालय की निगरानी में स्वतंत्र जांच एजेंसी से इन आरोपों की जांच कराने का अनुरोध किया गया था. शीर्ष अदालत ने इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. इससे पहले बिहार पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी.