Muzaffarpur Shelter Home Case: CBI को तीन महीने के अंदर जांच पूरी करने का आदेश
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि जांच पूरी करने के लिए उसे 6 महीने का वक्त दिया जाए
नई दिल्ली:
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीाआई को अपनी जांच तीन महीने के अंदर पूरी करने के निर्देश दिए हैं. दरअसल इस मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि जांच पूरी करने के लिए उसे 6 महीने का वक्त दिया जाए. हालांकि कोर्ट ने केवल तीन महीने के अंदर ही सीबीआई को जांच पूरी करने के आदेश दिए हैं.
Muzaffarpur shelter home case: Supreme Court asks CBI to complete the investigation within three months. CBI has approached the court seeking six months time to complete the investigation. pic.twitter.com/MLD0FARj0y
— ANI (@ANI) June 3, 2019
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CBI ने किए थे बड़े खुलासे
इससे पहले इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और उसके सहयोगियों को लेकर सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में सनसनीखेज खुलासे किए थे. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और उसके सहयोगियों ने 11 लड़कियों की हत्या की थी. एक श्मशान घाट से ‘हड्डियों की पोटली’ बरामद हुई है. सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में, सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान दर्ज पीड़ितों के बयानों में 11 लड़कियों के नाम सामने आये हैं जिनकी ठाकुर और उनके सहयोगियों ने कथित रूप से हत्या की थी. सीबीआई ने कहा कि एक आरोपी की निशानदेही पर एक श्मशान घाट के एक खास स्थान की खुदाई की गई जहां से हड्डियों की पोटली बरामद हुई है.
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CBI की भूमिका पर सवाल
बता दें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में CBI की भूमिका को लेकर भी एक नई याचिका दाखिल की गई थी. इसमें कहा गया था कि, 'सीबीआई ने मामले में अहम सुराग मिलने के बावजूद सही तरीके से जांच नहीं की और असल अपराधियों को बचाने की कोशिश कर रही है. शेल्टर होम में आने वाले लोगों के खिलाफ भी जांच नहीं हुई.' वकील फौजिया शकील की ओर से दायर याचिका में कोर्ट से मांग की गई थी कि कोर्ट सीबीआई को निष्पक्ष, सही तरीके से जांच करने का निर्देश दे. वहीं सीबीआई ने हलफनामा दाखिल कर अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया था.
बता दें कि बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ द्वारा संचालित शेल्टर होम में कई लड़कियों का कथित रूप से बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया था और टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट के बाद यह मुद्दा सामने आया था.
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