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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केसः ब्रजेश ठाकुर समेत 19 आरोपी दोषी करार, एक बरी

बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में दिल्ली की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है.

Updated on: 20 Jan 2020, 02:54 PM

नई दिल्ली:

बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में दिल्ली की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. इस मामले में शेल्टर होम में कुछ लड़कियों के कथित यौन और शारीरिक उत्पीड़न के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर 19 आरोपियों को कोर्ट ने दोषी करार दे दिया है. हालांकि इस मामले में एक आरोपी को कोर्ट ने बरी कर दिया है. अब दोषियों की सजा पर कोर्ट में 28 जनवरी को बहस होगी. जिसके बाद कोर्ट दोषियों को सजा पर अपना फैसला सुनाएगा. जिन धाराओं कर तहत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर और बाकी आरोपियों को दोषी करार दिया है, उनमें उम्रकैद तक की सज़ा हो सकती है.

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इससे पहले शनिवार को दिल्ली की एक अदालत ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की उस याचिका को खारिज कर दिया था. ब्रजेश ने याचिका में दावा किया था कि मामले में गवाहों की गवाही भरोसे लायक नहीं है. मामले के बारे में जानकारी रखने वाले एक वकील ने कहा कि बंद कमरे में हुई सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यौन हमले का मामला आश्रय गृह में कुछ लड़कियों की कथित हत्या के मामले से अलग है. 

इससे पहले अदालत ने नवंबर में फैसला एक महीने के लिए टाल दिया था. फिर इसे 14 जनवरी के लिए टाल दिया था. 14 जनवरी को भी कोर्ट ने अपना फैसला 20 जनवरी के लिए टाल दिया था. उस समय मामले की सुनवाई कर रहे जज सौरभ कुलश्रेष्ठ छुट्टी पर थे. बता दें कि कोर्ट ने 20 मार्च 2018 को ब्रजेश ठाकुर समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे. अदालत ने अंतिम दलीलें पूरी होने पर 30 सितंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. इस केस में बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था, क्योंकि ये आरोप लगाए गए थे कि ठाकुर का उनके पति से संपर्क था. जिसके कारण मंजू को 8 अगस्त 2018 को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

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आरोपियों में 8 महिलाएं और 12 पुरुष शामिल थे. जिसमें से अब 19 को दोषी ठहराया गया है, जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया है. दोषियों में संचालक बिहार पीपुल्स पार्टी का पूर्व विधायक ब्रजेश ठाकुर शामिल है. इस मामले में अदालत ने बलात्कार, यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, नाबालिगों को नशीली दवाइयां देना, आपराधिक भयादोहन आदि अन्य आरोपों को लेकर सुनवाई की. ठाकुर और उसके शेल्टर होम के कर्मचारियों, बिहार समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों पर आपराधिक साजिश रचने, कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही और लड़कियों पर हमले की रिपोर्ट करने में नाकाम रहने के आरोप थे. आरोपों में बच्चियों से निर्ममता बरतने के अपराध भी शामिल थे, जो किशोर न्याय अधिनियम के तहत दंडनीय हैं.

इन अपराधों के लिए अधिकतम उम्र कैद की सजा का प्रावधान है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 7 फरवरी को मुजफ्फरपुर की एक स्थानीय अदालत से दिल्ली की साकेत कोर्ट को स्थानांतरित किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने शेल्टर होम में 30 लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न मामले पर संज्ञान लिया था और इसकी जांच सीबीआई को हस्तांतरित करने का निर्देश दिया था.