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जीतनराम मांझी ने बदला इरादा, ओवैसी की रैली छोड़कर हेमंत सोरेन के मंच पर पहुंचेंगे

ओवैसी की रैली में शामिल होने की बजाय मांझी अब झारखंड की राजधानी रांची में आज होने वाले हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे.

Updated on: 29 Dec 2019, 11:27 AM

पटना:

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी के साथ किशनगंज रैली में मंच साझा करने की जिद कर रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने अब यू-टर्न ले लिया है. नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ असदुद्दीन ओवैसी की आज बिहार के किशनगंज में रैली होने वाली है. इस रैली में शामिल होने की बजाय अब जीतन राम मांझी झारखंड की राजधानी रांची में आज होने वाले हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे.

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असदुद्दीन ओवैसी के साथ जीनतराम मांझी के मंच साझा करने की खबर के बाद तरह-तरह के कयास लगने लगे थे. बिहार की सियासत में यह बात हवा में तैरने लगी कि विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा गठबंधन कर मैदान में उतर सकते हैं. मांझी के इस फैसले से बिहार में कांग्रेस और आरजेडी भी परेशान थे. कांग्रेस और आरजेडी ने ऐतराज जताते ओवैसी की पार्टी को बीजेपी की बी-टीम बताया था और हुए कहा था कि उनके साथ जाने का मतलब बीजेपी की मदद करना होगा.

आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा था, 'जीतन राम मांझी जैसे दिग्गज नेता को यह समझना चाहिए कि बिहार के बाहर जहां भी ओवैसी ने अपने उम्मीदवार उतारे, उन्होंने केवल बीजेपी की मदद की और अगर मांझी की यही मंशा है तो अच्छा होगा कि वह एनडीए में वापस चले जाएं.' वहीं बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेमचंद्र मिश्र ने कहा था कि एआईएमआईएम चुनाव मैदान में बीजेपी को लाभ पहुंचाने के लिए उतरती है.

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कांग्रेस और आरजेडी के विरोध के बावजूद भी मांझी ओवैसी की रैली में पहुंचने की जिद पर अड़े थे. लेकिन इससे पहले उन्होंने अपना इरादा बदला. अब वह रांची जाएंगे. जीतनराम मांझी के यू-टर्न के बाद महागठबंधन को राहत मिली होगी. गौरतलब है कि मांझी की हम पार्टी और ओवैसी की एआईएमआईएम दोनों बिहार में अपना जनाधार बढ़ाने में लगे हैं. बिहार के सीमांचल इलाके में ओवैसी की पार्टी की मजबूत पकड़ है. मांझी की हम भी इस इलाके में मजबूत होने में लगी है. जानकारों के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय को राजद का वोटबैंक माना जाता है. ऐसे में बिहार में ओवैसी की पार्टी के मजबूत होने से निश्चित तौर पर राजद को झटका लग सकता है.