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बिहार के लाल सोनू ने चंद्रयान मिशन टीम का हिस्सा बन किया प्रदेश का नाम

अमरीका, रुस और चीन के बाद भारत अब चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन गया है. मिशन मून के सफल प्रक्षेपण के बाद अंतरिक्ष में एक और सफलता की ओर बढ़ रहे भारत के साथ बिहार के लखीसराय जिले के बड़हिया भी कदमताल कर रहा है.

Updated on: 23 Jul 2019, 12:20 PM

Patna/Lakhisarai:

भारत का बहुप्रतिक्षित चंद्रयान-2 मिशन पर देश ही नहीं दुनियाभर की निगाहें टिकी रहीं. सोमवार की दोपहर 2:43 बजे इसरो ने चन्द्रयान का सफल प्रक्षेपण किया. अमरीका, रुस और चीन के बाद भारत अब चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन गया है. मिशन मून के सफल प्रक्षेपण के बाद अंतरिक्ष में एक और सफलता की ओर बढ़ रहे भारत के साथ बिहार के लखीसराय जिले के बड़हिया भी कदमताल कर रहा है. जिले को गौरव प्रदान करने वाले बड़हिया इन्द टोला निवासी ललन सिंह के पुत्र सोनू हैं.

गरीबी में काटा छात्र जीवन

सोनू ने गरीबी में छात्र जीवन गुजरा और संघर्ष कर आई आई टी कर वैज्ञानिक बना. सोनू इस समय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) में वैज्ञानिक हैं और देश के इस मिशन मून में वैज्ञानिकों की टीम में योगदान दिया है. सोनू ने एक बहुत ही गरीब परिवार में ललन सिंह के पुत्र के रूप में जन्म लिया. सोनू के परिवार ने बहुत आर्थिक तंगी को झेला. छात्र जीवन फूस से बनी झोपड़ी में गुजारा लेकिन अपनी कड़ी मेहनत से सफलता के परचम को लहराया.

पढ़ने लिखने में मेधावी था सोनू

सोनू ने अपनी प्राथमिक शिक्षा बड़हिया से की तथा 12वीं बालिका विद्यापीठ लखीसराय से ली. सोनू पढ़ने लिखने में काफी मेधावी था. सोनू मेधावी एवं कड़ी मेहनत के बल पर आईआईटी मेंस और डब्लूबी मेंस को निकालकर जाधवपुर यूनिवर्सिटी बंगाल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की और आज इसरो में बतौर वैज्ञानिक सेवा दे रहे हैं.

सोनू के बचपन के मित्र सौरव ने बताया की सोनू बचपन से ही विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद् अल्बर्ट आइंस्टीन को प्रेरणाश्रोत मानते थे और आज अपनी मेहनत व लगन से सपने को सच कर दिखाया है. सोनू के पिता ललन सिंह किसान है और उन्हें अपने बेटे की सफलता पर नाज है. बताते चलें कि इसरो द्वारा 978 करोड़ रुपए की लागत से बने 3877 किलोग्राम के चंद्रयान-2 को भारत ने अब तक के सबसे ताकतवर 640 टन वजनी स्पेसक्राफ्ट रॉकेट जीएसएलवी मार्क-III से लॉन्च किया है.