महागठबंधन में टूट! तेजस्वी के नाम पर 3 पार्टियां खफा, शरद यादव को चाहती हैं CM बनाना
क्या बिहार में महागठबंधन टूट रहा है. सवाल लाजमी है, क्योंकि इस साल होने वाले चुनाव के लिए अभी से उठापटक शुरू हो गई है.
पटना:
क्या बिहार (Bihar) में महागठबंधन टूट रहा है. सवाल लाजमी है, क्योंकि इस साल होने वाले चुनाव के लिए अभी से उठापटक शुरू हो गई है. महागठबंधन के अंदर मुख्यमंत्री का चेहरा कौन हो, इसको लेकर बवाल छिड़ा है. शुक्रवार को पटना के एक बड़े होटल के बंद कमरे में बैठक और उसमें मौजूद राजनीतिक दिग्गजों ने ऑल इज नॉट वेल (All is not well) इशारा दिया है. लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनता दल अकेले दम पर ही तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर चुका है, मगर बाकी सहयोगी दलों को यह गवारा नहीं है. तभी तो बिना तेजस्वी यादव और अन्य आरजेडी नेता के बैठकें हो रही हैं.
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महागठबंधन के दूसरे सहयोगी घटक दलों के मुखिया यानी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी और वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी एक पाले में दिख रहे हैं. अब इनके साथ हो लिए हैं दिग्गज समाजवादी नेता शरद यादव. इन लोगों की पटना के एक होटल में गुप्त बैठक हुई है. इस बैठक के मायने तो कई हैं, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से सियासी गलियारे में चर्चा ये है कि अब गठबंधन के ये तीन सहयोगी दल शरद यादव को महागठबंधन का बतौर मुख्यमंत्री चेहरा चाहते हैं. इस बैठक को जीतन राम मांझी ने सकारत्मक बताया और साथ ही तेजस्वी यादव के नाम पर सहमति भी नहीं दी.
हालांकि शरद यादव ने अभी इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है और कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. लेकिन मांझी ने बताया कि 18 फरवरी के बाद हम लोग बोलेंगे और यही भाव शरद के भी हैं. यहां आपको बता दें कि पिछला लोकसभा चुनाव शरद यादव ने राजद से ही लड़ा है, मगर फिलहाल वो राजद के नेताओं से मिलते नहीं दिखते. इधर राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युन्जय तिवारी ने शरद यादव को राष्ट्रीय नेता कह संभावनाओं पर पुर्णविराम लगाया और सभी को ताकीद किया कि तेजस्वी यादव के अलावा कोई दूसरा चेहरा नहीं है. तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री का चेहरा तो तेजस्वी हैं, इसको लेकर कोई भ्रम ना पाले.
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इस बीच बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) इस परिस्थिति से सबसे खुश है. उन्हें समझ आ रहा है कि इस हंगामे का फायदा तो एनडीए को होगा. पार्टी के प्रवक्ता राजीव रंजन का मानना है कि अब इस महागठबंधन के टूटने की खबर जल्द आएगी. ये महागठबंधन चलने वाला नहीं है. बहरहाल यह तय माना जा रहा है कि महागठबंधन के लिए डगर आसान नहीं और इंतजार 18 फरवरी का, जब सच और महागठबंधन कितना मजबूत चलेगा इसका पता चल पाएगा.
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