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बिहार में NRC विरोधी प्रस्ताव से बीजेपी नेता नाराज, सहयोगी दल जेडीयू पर लगाए आरोप

बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह प्रस्ताव अचंभित करने वाला है. उन्होंने कहा कि जेडीयू को यह प्रस्ताव लाने के पहले बताना चाहिए था.

Updated on: 26 Feb 2020, 02:09 PM

पटना:

बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में एनआरसी के विरोध में सर्वसम्मति से प्रस्ताव तो मंगलवार को पास हो गया, मगर इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के कुछ नेताओं को नागवार गुजरा है. बीजेपी के मंत्रियों और विधायकों ने इस प्रस्ताव पर सवाल उठाए हैं. बीजेपी नेताओं ने जनता दल युनाइटेड (JDU) पर धोखा देने का आरोप लगाया है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह प्रस्ताव अचंभित करने वाला है. उन्होंने कहा कि जेडीयू को यह प्रस्ताव लाने के पहले बताना चाहिए था.

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बीजेपी के विधायक मिथिलेश तिवारी ने एनआरसी और एनपीआर पर राज्य विधानसभा के प्रस्ताव की वैधानिकता पर सवाल खड़े किए हैं. वह कहते हैं कि यह केवल एक सुझाव है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही पत्र के माध्‍यम से केंद्र सरकार को दे चुके हैं और विधानसभा ने आज सर्वसम्मति से इस पर मुहर लगा दी. उन्होंने कहा कि इसे मानना या नहीं मानना केंद्र सरकार पर निर्भर करता है. मिथिलेश ने आगे कहा, 'यह केंद्र सरकार के खिलाफ संकल्प नहीं था क्योंकि राज्य सरकार ऐसा नहीं कर सकती. यह सिर्फ एक सुझाव था.' 

वहीं बीजेपी के एमएलसी सच्चिदानंद राय ने कहा कि इस प्रस्ताव ने अचंभित किया है और पार्टी कार्यकर्ता इससे आहत हैं. हमें इसका दुख है. उन्होंने कहा कि एनआरसी हमेशा से बीजेपी के कार्यकर्ताओं के भावनाओं से जुड़ा रहा है. बीजेपी के मंत्री विनोद सिंह ने इस प्रस्ताव को आनन-फानन में लिया फैसला करार दिया है. उन्‍होंने प्रस्ताव के प्रारूप पर आपत्ति जताई है.

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इस मामले पर बीजेपी के मंत्री प्रेम कुमार कहते हैं कि प्रस्ताव लाने के पहले बीजेपी किसी तरह की चर्चा नहीं की गई. उन्होंने कहा कि जेडीयू को प्रस्ताव लाने के पहले पार्टी को बताना चाहिए था. उन्होंने कहा कि प्रस्‍ताव लाना बिहार सरकार का अधिकार है, मगर जेडीयू केंद्र के साथ है. उन्होंने कहा कि एनपीआर के प्रस्ताव से हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन एनआरसी पर हमें विश्वास में नहीं लिया गया था. उन्होंने इस प्रस्ताव के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है.

हालांकि इस पर बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी की राय अलग है. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही कहा था कि अभी देश में एनआरसी लागू करने की कोई बात नहीं है. अब विधानसभा ने सर्वसम्मति से राज्य सरकार का यह प्रस्ताव भी पारित कर दिया कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा और एनपीआर पर 2010 के प्रारूप पर ही लोगों से जानकारी मांगी जाएगी.' उन्होंने आगे कहा कि किसी जानकारी के लिए प्रमाण देने की बात भी नहीं है. सदन का प्रस्ताव इतना साफ है कि अब किसी नागरिकता के मुद्दे पर गुमराह कर राजनीति करने का मौका नहीं मिलेगा.

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