logo-image

बिहार: चमकी बुखार से मचा हाहाकार, आज होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

19 जून को इस मामले में कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिसमें अस्पताल में उचित इंतजाम करने की मांग के साथ-साथ सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया गया था

Updated on: 24 Jun 2019, 08:21 AM

नई दिल्ली:

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से हाहाकार मचा हुआ है. इस जानलेवा बीमारी से मरने वाले बच्चों की संख्या 129 से ज्यादा हो गई है जबकि कई बच्चे अभी भी बीमार हैं. वहीं इस मामले को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी होने वाली है. दरअसल बुधवार यानी 19 जून को इस मामले में कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिसमें अस्पताल में उचित इंतजाम करने की मांग के साथ-साथ सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया गया था. इसी मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है .

यह भी पढ़ें: Uttar Pradesh: वाराणसी में अज्ञात हमलावरों ने वकील की गोली मारकर हत्या की

किसने दाखिल की थी याचिका?

ये याचिका वकील मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह की तरफ से दाखिल की गई थी. इस याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट सरकार को 500 ICU का इंतजाम करने का आदेश दे. इसी के साथ ये भी अपील की गई थी कि कोर्ट सरकार से 100 मोबाईल ICU को मुजफ्फरपुर भेजे जाने और पर्याप्त संख्या में डॉक्टर उपलब्ध कराने के आदेश दे. याचिकाकर्ता ने इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की थी जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले की तारीख 24 जून तय की थी.

यह भी पढ़ें: मणिशंकर अय्यर ने कहा- कांग्रेस का अध्यक्ष 'गैर-गांधी' हो सकता है, लेकिन...

बता दें बिहार के मुजफ्फरपुर में भारी संख्या में बच्चों की मौत के पीछे की वजहों को लेकर चिकित्सक एकमत नहीं हैं. कुछ चिकित्सकों का मानना है कि इस साल बिहार में फिलहाल बारिश नहीं हुई है, जिससे बच्चों के बीमार होने की संख्या लगातार बढ़ रही है. बच्चों के बीमार होने के पीछे लीची कनेक्शन को भी देखा जा रहा है. असली वजह है हाइपोग्लाइसीमिया यानी लो-ब्लड शुगर.

इस उम्र के बच्चे हो रहे हैं बीमारी का शिकार

'एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम' या 'चमकी बुखार' या मस्तिष्क ज्वर से मरने वाले अधिकतर बच्चों की उम्र करीब 1 साल से 8 साल के बीच है. इस बुखार की चपेट में आने वाले सभी बच्चे गरीब परिवारों से हैं. अक्यूट इंसेफेलाइटिस को बीमारी नहीं बल्कि सिंड्रोम यानी परिलक्षण कहा जा रहा है, क्योंकि यह वायरस, बैक्टीरिया और कई दूसरे कारणों से हो सकता है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, अब तक हुई मौतों में से 80 फीसदी मौतों में हाइपोग्लाइसीमिया का शक है.

शाम का खाना न खाने से रात को हाइपोग्लाइसीमिया या लो-ब्लड शुगर की समस्या हो जाती है. खासकर उन बच्चों के साथ जिनके लिवर और मसल्स में ग्लाइकोजन-ग्लूकोज की स्टोरेज बहुत कम होती है. इससे फैटी ऐसिड्स जो शरीर में एनर्जी पैदा करते हैं और ग्लूकोज बनाते हैं, का ऑक्सीकरण हो जाता है. बच्चों की मौत के लिए लीची को भी दोषी ठहराया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: रक्तदान करने से मिलेंगे ये आश्चर्यजनक फायदे, कैंसर से भी होता है बचाव

लो ब्लड शुगर का लीची कनेक्शन

द लैन्सेट' नाम की मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक, लीची में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थ जिन्हें hypoglycin A और methylenecyclopropylglycine (MPCG) कहा जाता है. शरीर में फैटी ऐसिड मेटाबॉलिज़म बनने में रुकावट पैदा करते हैं. इसकी वजह से ही ब्लड-शुगर लो लेवल में चला जाता है और मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं और दौरे पड़ने लगते हैं.
अगर रात का खाना न खाने की वजह से शरीर में पहले से ब्लड शुगर का लेवल कम हो और सुबह खाली पेट लीची खा ली जाए तो अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम AES का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.