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बिहार में एक तरफ बाढ़ का कहर, दूसरी तरफ सूखे ने निकाला दम, पढ़ें लखीसराय का दर्द

बिहार में एक तरफ बाढ़ ने महाविनाश मचा रखा है तो दूसरी तरफ मॉनसून के नहीं आने से लोगों में उदासी का माहौल है. लखीसराय में लोगों की नजरें हर रोज आसमान की तरफ लगी रहती है कि बारिश उनके घर पर भी मेहरबानी कर दे.

Updated on: 16 Jul 2019, 07:51 PM

नई दिल्ली:

बिहार में एक तरफ बाढ़ ने महाविनाश मचा रखा है तो दूसरी तरफ मॉनसून के नहीं आने से लोगों में उदासी का माहौल है. लखीसराय में लोगों की नजरें हर रोज आसमान की तरफ लगी रहती है कि बारिश उनके घर पर भी मेहरबानी कर दे. लेकिन बारिश नहीं होने की वजह से किसानों के चेहरे पर फसल उत्पादन की चिंता सताने लगी है.

मई-जून के महीने में बारिश नहीं होने की वजह से इस साल खरीफ की खेती करने में किसानों को काफी आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ी है. जिसके चलते इस वर्ष किसानों ने लक्ष्य से लगभग 8 प्रतिशत कम खरीफ की खेती की है. खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान की रोपनी के समय भी मानसून ने धोखा दिया और बारिश नहीं होने से किसानों को निजी पंपसेट में महंगे डीजल डालकर रोपनी करनी पड़ रही हैं.

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इस बार लखीसराय जिले में 50 प्रतिशत सामान्य से भी कम बारिश हुई. अगर दो से तीन दिन में बारिश ने लखीसराय में मेहरबानी नहीं दिखाया तो धान की खेती भी प्रभावित होगी.
कुछ किसानों ने धान के बीज खेतों में डाले हैं, लेकिन पानी की कमी की वजह से वो सूखने लगे हैं. दरअसल धान की अच्छी पैदावार के लिए पौधे की जड़ों में कम से कम एक इंच पानी रहना जरूरी है. धान की बलिया निकलने से पहले पौधे के जड़ों में गिली रहना जरूरी होता है. ऐसा नहीं होने से पौधे का ग्रोथ रुक गया है. लखीसराय में खेतों के नमी की जगह अब दरारें दिखने लगी हैं. साथ ही धान पीले पड़ने लगे हैं. जिले में इस सालका सामान्य वर्षापात 1,023.8 मिलीमीटर है. जबकि अब तक 572.1 मिलीमीटर बारिश हुई है. इस साल औसत से 47 प्रतिशत कम बारिश हुई है. 

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अब किसानों की उम्मीद हथिया नक्षत्र पर टीकी हुई है. हथिया नक्षत्र में अच्छी बारिश हुई तो पैदावार अच्छी हो सकती है. इसके साथ ही खेतों में नमी रहने से ही रबी फसलों की खेती समय पर हो सकती है. हथिया नक्षत्र में अगर बारिश नहीं हुई तो खरीफ फसल धान का उत्पादन 30 से 35 प्रतिशत तक घट जाएगा. वहीं रबी की खेती भी नमी नहीं रहने पर पिछड़ जाएगी.