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बीजेपी-शिवसेना में टकरार पर नीतीश कुमार बोले- वो जानें, हमें क्या मतलब?

महाराष्ट्र में सत्ता को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. समय के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच की खाई भी गहरी होती जा रही है.

Updated on: 11 Nov 2019, 12:37 PM

पटना:

महाराष्ट्र में सत्ता को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. समय के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच की खाई भी गहरी होती जा रही है. बीजेपी ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया है तो शिवसेना ने केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतात्रिंक गठबंधन (राजग) से अलग होने का फैसला किया है. महाराष्ट्र के इस सियासी ड्रामे पर सबकी नजरें हैं. खासकर जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख और बिहार की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पूरे प्रकरण पर सबसे ज्यादा नजरें गढ़ाये बैठे होंगे, क्योंकि अगले ही साल ऐसी स्थितियों का सामना उन्हें बिहार में भी करना पड़ सकता है.

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जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा गया कि शिवसेना ने एनडीए छोड़ दिया है, आपको क्या कहना है ? तो इस सवाल का जवाब खुलकर देने से नीतीश बचते नजर आए. हालांकि उन्होंने कहा, 'वो (बीजेपी-शिवसेना) जानें भाई, इसमें हमको क्या मतलब है?'

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गौरतलब हैकि महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच 1980 के दशक के अंत से शुरू हुए रोमांस का शिवसेना की हठधर्मिता के चलते करीब-करीब अंत हो गया है. बीजेपी ने रविवार शाम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को बता दिया कि शिवसेना के गठबंधन धर्म निभाने से इनकार करने की वजह से फिलहाल पार्टी राज्य में सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है. साथ ही बीजेपी नेताओं ने शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के संभावित गठबंधन को शुभकामनाएं दीं. इसके बाद तो मानो शिवसेना आगबबूला ही हो गई. शिवसेना ने सोमवार सुबह ही केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) छोड़ने की बात कह डाली. ये भी कहा कि शिवसेना महाराष्ट्र में कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के समर्थन से सरकार बनाएगी.

ऐसे में नीतीश कुमार भी इस बात से कहीं न कहीं चिंतित हो रहे होंगे, क्यों यही स्थिति अगले साल बिहार में भी हो सकती है. बिहार की राजनीति के जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार की स्थिति 2005 और 2015 वाली नहीं है, जब बीजेपी के लिए जद (यू) जरूरी थी, मगर आज स्थिति बदल गई है और जद (यू) के लिए बीजेपी जरूरी मानी जा रही है. लिहाजा नीतीश कुमार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी की बीजेपी से अलग पहचान बनाने की होगी.

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