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चर्चित आरा कोर्ट ब्लास्ट केस के सजायाफ्ता कैदी की जेल में मौत

कैदी की मौत पर जेल प्रशासन का कहना है कि प्रमोद का हार्टअटैक आया था, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई.

Updated on: 13 Jan 2020, 12:09 PM

पटना:

बिहार के चर्चित आरा कोर्ट बम ब्लास्ट मामले में सजायाफ्ता प्रमोद सिंह की जेल के अंदर अचानक मौत हो गई. मृतक प्रमोद सिंह सहार थाना क्षेत्र के एकवारी गांव का रहने वाला था. ब्लास्ट केस में उसे सश्रम उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. बताया जा रहा है कि रात को प्रमोद सिंह सो गया था, सोमवार सुबह उसके नहीं जागने पर जेलकर्मी देखने पहुंचे थे. जब वह उठाने पर भी नहीं उठा तो प्रमोद को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

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कैदी की मौत के बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया. हालांकि कैदी की मौत पर जेल प्रशासन का कहना है कि प्रमोद का हार्टअटैक आया था, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई. फिलहाल शव का पोस्टमार्टम करवाया जा रहा है और मृतक कैदी के परिजनों को सूचित कर दिया गया है. जिलाधिकारी ने इस मामले में मजिस्ट्रेट की निगरानी में बोर्ड गठित किया है. बता दें कि 23 जनवरी 2015 को आरा की सिविल कोर्ट परिसर में बम ब्लास्ट हुआ था. इस विस्फोट में एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया था, जबकि 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इसके साथ ही बम लाने वाली संदिग्ध महिला की भी मौत हो गई थी.

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संदिग्ध महिला की पहचान यूपी के बलिया की रहने वाली नगीना देवी रूप में की गई थी. इसके बाद पुलिस ने 8 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था, जिनमें नगीना भी शामिल थी. इस कांड में पीरो के पूर्व विधायक सुनील पांडेय का भी नाम आया था. पिछले साल कोर्ट ने 7 लोगों को इस ब्लास्ट केस में दोषी ठहराया था. जिसमें से कुख्यात लम्बू शर्मा को मौत की सजा सुनाई, जबकि मृतक प्रमोद सिंह के अलावा अखिलेश उपाध्याय, रिंकू यादव, चांद मियां, नईम मियां, अंशु कुमार और श्याम विनय शर्मा को सश्रम उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इस मामले में पूर्व विधायक सुनील को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था.