logo-image

न्यायपालिका पर सवाल उठाने वाले पटना हाईकोर्ट के बागी जज से सभी मुकदमे लिए गए वापस

पटना हाईकोर्ट के सीनियर जज राकेश कुमार से सभी केस वापस ले लिए गए हैं. 11 जजों की बेंच ने सुनवाई के दौरान फैसला लिया है. कोर्ट ने उनके द्वारा जारी किए गए फैसलों को निलंबित करने का भी आदेश सुनाया है.

Updated on: 29 Aug 2019, 03:38 PM

पटना:

पटना हाईकोर्ट के सीनियर जज राकेश कुमार (Rakesh Kumar) से सभी केस वापस ले लिए गए हैं. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 11 जजों की बेंच ने सुनवाई के दौरान फैसला लिया है. कोर्ट ने उनके द्वारा जारी किए गए फैसलों को निलंबित करने का भी आदेश सुनाया है. यह फैसला तब आया है जब बुधवार को उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले में सुनवाई करते हुए न्यायपालिका पर सवाल खड़े कर दिए थे.

यह भी पढ़ें- कश्मीर की लड़कियों से शादी का ख्वाब देखने वाले ये खबर जरूर पढ़ लें, क्योंकि शादी करने वाले दो भाई जेल में हैं

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) के सीनीयर जज राकेश कुमार (Justice Rakesh Kumar) ने बुधवार को पूर्व IAS केपी रमैय्या (KP Ramaiah) की खारिज अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के भ्रष्ट अधिकारियों पर तल्ख टिप्पणी की. राज्य सरकार के साथ ही उन्होंने उच्च न्यायपालिका (High Court) तक को भी नहीं छोड़ा. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारियों को न्यायपालिका से ही संरक्षण प्राप्त हो जाता है. जिसकी वजह से उनके हौसले बुलंद हैं.

यह भी पढ़ें- यातायात पुलिस ने काट दिया अपने ही परिवहन मंत्री का चालान, फिर ये हुआ

कोर्ट ने करीब दो घंटे तक यह आदेश लिखवाया और उसकी प्रतिलिपि PMO, कॉलेजियम, केंद्रीय कानून मंत्रालय और सीबीआई के निदेशक को अग्रसारित करने का निर्देश दिया. बुधवार को बिहार महादलित विकास मिशन योजना में 5.55 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपी पूर्व आईएएस रमैय्या को निचली अदालत द्वारा जमानत देने पर कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि जिस एडीजी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ है उसे बर्खास्तगी की जगह मामूली सजा मिली है.

यह भी पढ़ें- स्कूल में जातिगत भेदभाव, दलित बच्चों के साथ खाना नहीं खाते सामान्य जाति के बच्चे, घर से लाते हैं प्लेटें

आपको बता दें कि इस घोटाले में पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Patna High Court Chief Justice) की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खंडपीठ ने केपी रमैय्या (KP Ramaiah) को निचली अदालत में सरेंडर करने का निर्देश दिया था. नियम के मुताबिक विजिलेंस से जुड़े होने के कारण विजिलेंस जज मधुकर कुमार की अदालत में जमानत याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए थी. लेकिन वो एक दिन की छुट्टी पर थे. उनकी जगह पर प्रभारी न्यायिक पदाधिकारी विपुल कुमार सिंह ने सुनवाई की. उसी दिन रमैय्या ने बेल-कम-सरेंडर याचिका दायर करके बड़ी आसानी से जमानत ले ली.

यह भी पढ़ें- UP पुलिस की एक और लापरवाही, मथुरा के बाद बरेली में अधेड़ ने SSP दफ्तर में जहर खाकर दी जान 

न्यायाधीश कुमार ने कहा कि इस बारे में बाद में जानकारी हुई कि मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) के आगे-पीछे हाईकोर्ट के सीनियर जज तक लगे रहते हैं. ताकि उनका भ्रष्टाचार छिप जाए. उन्होंने बेहद तल्ख लहजे में कहा कि जबसे हमने न्यायाधी पद की शपथ ली थी तबसे देख रहा हूं कि सीनियर जज भी चीफ जस्टिस को मस्का लगाते रहते हैं. ताकि उनसे कोई फेवर लिया जा सके और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण मिलता रहे.

यह भी पढ़ें- 'बच्चा चोरी' की अफवाह फैलाने और हमला करने वालों की खैर नहीं, अब रासुका के तहत होगी कार्रवाई 

एकलपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि हाईकोर्ट के जजों के लिए बेली रोड, सर्कुलर रोड एवं अणे मार्ग में बंगले आवंटित किए जाते हैं. लेकिन इसकी साज-सज्जा में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं. जबकि यह टैक्स पेयर की दी हुई राशि होती है.