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घाटी में हिंसा के मुद्दे पर जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में हंगामा

जम्मू एवं कश्मीर विधानमंडल दल की कार्यवाही की सोमवार को हंगामे के बीच शुरुआत हुई। बीती गर्मियों में घाटी में 100 लोगों की जान लेने वाली हिंसा पर विपक्षी सदस्यों ने जमकर हंगामा किया।

Updated on: 02 Jan 2017, 09:48 PM

नई दिल्ली:

जम्मू एवं कश्मीर विधानमंडल दल की कार्यवाही की सोमवार को हंगामे के बीच शुरुआत हुई। बीती गर्मियों में घाटी में 100 लोगों की जान लेने वाली हिंसा पर विपक्षी सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। राज्यपाल एन. एन. वोहरा को विधानमंडल दल के दोनों सदनों में अपने अभिभाषण को हंगामे के बीच किसी तरह पूरा करना पड़ा।

सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्य रविंद्र रैना ने आरोप लगाया कि विपक्ष ने राष्ट्रगान का अपमान किया है क्योंकि उनका प्रदर्शन तब भी जारी रहा जब अभिभाषण के बाद राष्ट्रगान बजाया जा रहा था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान बजने के दौरान ही राज्यपाल भी चलकर गए। उन्होंने मांग की कि कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और राज्यपाल इसके लिए माफी मांगें।

द्विसदनीय राज्य विधानमंडल के ऊपरी सदन विधान परिषद में कार्यवाही शुरू होने के साथ ही नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के सदस्य तख्तियां लहराने लगे जिन पर 'हत्याएं रोको', 'प्रदर्शनकारियों को रिहा करो' लिखा हुआ था। उन्होंने आतंकी बुरहान वानी को मारे जाने के बाद घाटी में भड़की हिंसा में नागरिकों के मारे जाने पर सरकार के खिलाफ नारे लगाए।

ऊपरी सदन में दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी जा रही थी, उसी समय नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के सदस्य अध्यक्ष के आसन के पास आ गए और नारेबाजी करने लगे। सदस्यों ने घाटी में सुरक्षा बलों द्वारा पैलेट गन के इस्तेमाल के खिलाफ भी नारेबाजी की।

परिषद के सभापति हाजी इनायत अली ने बार-बार शांति और व्यवस्था बनाए रखने की अपील की, लेकिन सदस्यों ने इसे नजरअंदाज करते हुए हंगामा जारी रखा और फिर सदन से बाहर चले गए।

हंगामा विधानसभा में भी हुआ। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने नेशनल कांफ्रेंस पर चुनावों में हेराफेरी करने तथा आतंकवाद को जन्म देने का आरोप लगाया। इसके बाद हुए जोरदार हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही सोमवार को स्थगित करनी पड़ी।

मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा, 'राज्य में जिन लोगों ने जनमत संग्रह की मांग करके अलगाव का बीज बोया, उन्हीं लोगों ने चुनावों में हेरफेर भी किया और आतंकवाद को जन्म दिया।'

इस टिप्पणी पर नेशनल कांफ्रेंस के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई और हंगामा करने लगे। उन्होंने महबूबा मुफ्ती से कहा कि उनके दिवंगत पिता तथा पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद सन 1987 की नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस सरकार का हिस्सा थे और इसलिए चुनावों में हेरफेर के लिए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

इससे पहले विपक्ष ने दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित कर रहे राज्यपाल एन. एन. वोहरा के अभिभाषण के दौरान जोरदार हंगामा किया।

राज्यपाल ने जैसे ही अपना अभिभाषण शुरू किया, नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और अन्य पार्टियों समेत विपक्षी पार्टियों के सदस्य अध्यक्ष कवींद्र गुप्ता के आसन के पास पहुंच गए और पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।

राज्यपाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के बीच ही अपना अभिभाषण पूरा किया। उन्होंने इसका केवल पहला और अंतिम पैरा पढ़ा। उन्होंने अभिभाषण में घाटी में हुई हिंसा में लोगों की मौत पर दुख जताया और समस्याओं के हल की दिशा में मिलकर काम करने की अपील की।

उन्होंने 'अभिभावकों, प्रदर्शनकारियों, राजनेताओं और कानून का पालन कराने वाली एजेंसियों' से 'गंभीरता से आत्म विश्लेषण करने को कहा कि बेहतर और कुछ अलग करने के लिए हमें क्या करना चाहिए और हम क्या कर सकते हैं।'

उन्होंने पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को अधिवास प्रमाणपत्र देने पर कहा कि इससे उनकी पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी की स्थिति में बदलाव नहीं होगा। वह राज्य के बाहर के लोग ही रहेंगे। उन्हें इस पहचान को देने का मकसद उन्हें अर्धसैन्य बलों और केंद्र सरकार के अन्य संस्थानों में काम दिलाने में मदद करना है।