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केंद्रीय मंत्री का बड़ा बयान, मंदिर, मस्जिद बनवाना राजनीतिक पार्टियों का काम नहीं

केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (आरएलएसपी) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होंगे या नहीं, यह तो अभी भविष्य के गर्त में है

Updated on: 06 Dec 2018, 08:35 PM

पटना:

केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (आरएलएसपी) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होंगे या नहीं, यह तो अभी भविष्य के गर्त में है, लेकिन उन्होंने गुरुवार को पार्टी के चिंतन शिविर के बाद यहां खुले अधिवेशन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने बीजेपी को लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में राम मंदिर बनाने का मुद्दा उठाने पर आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मंदिर, मस्जिद बनवाना राजनीतिक दलों का काम नहीं है. उन्होंने बिहार में कथित 'नीतीश मॉडल' पर तंज कसते हुए कहा कि नीतीश मॉडल से बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का सपना पूरा नहीं हो सकता.

आरएलएसपी के वाल्मीकिनगर में दो दिवसीय राजनीतिक चिंतन शिविर के बाद गुरुवार को मोतिहारी में खुला अधिवेशन में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शिक्षा के बिना विकास की बात करना बेमानी है. उन्होंने नीतीश सरकार को निकम्मी सरकार बताते हुए कहा कि बिहार में आज जो कानून व्यवस्था की हालत है, वह पूर्ववर्ती लालू सरकार से भी बदतर हो गई है.

उन्होंने कहा कि पार्टी के चिंतन शिविर में वर्तमान सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया गया है, जिसमें आरएलएसपी के कार्यकर्ता आज से जुट गए हैं.

कुशवाहा ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था की बदतर हालत पर चिंता जाहिर करते हुए इसके लिए व्यवस्था को दोषी बताया और आरोप लगाया कि बिहार के स्कूलों में अभी ऐसे शिक्षकों की बहाली की गई है जो सही ढंग से आवेदन भी नहीं लिख सकते.

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उन्होंने बिहार बीजेपी इकाई को नीतीश की 'बी' टीम बताते हुए कहा कि बिहार बीजेपी नीतीश के सामने दंडवत हो गई है. नीतीश कुमार कुछ दिनों पहले जिस बीजेपी को 'भारतीय जुमला पार्टी' कहते थे, बिहार बीजेपी की आज वही स्थिति है.

आरएलएसपी प्रमुख ने एक बार फिर लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने इस मामले को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की कोशिश की थी, लेकिन मिलने का समय नहीं दिया गया.

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कुशवाहा ने इससे पहले कहा था कि चिंतन शिविर के बाद छह दिसंबर को वह घोषणा करेंगे कि राजग में ही रहना है या इससे निकल जाना है, मगर पूरा दिन बीत जाने के बाद भी उन्होंने कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की. दीगर बात है कि उन्होंने अपने संबोधन में यह जरूर कहा कि वह अभी भी केंद्र सरकार में मंत्री हैं.