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हरियाणा: अब खेतो में नहीं जलेंगे फसल के अवशेष, 12 करोड़ में सरकार तैयार करेगी प्रबंधन

हरियाणा सरकार ने गुरुवार को राज्य में फसल के अवशेष के प्रबंधन के लिए 12 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की है।

Updated on: 13 Oct 2017, 01:03 AM

नई दिल्ली:

किसानों द्वारा गेहूं और धान की बची फसलों को जलाने के कारण हो रहे पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का सामना कर रही हरियाणा सरकार ने गुरुवार को राज्य में फसल के अवशेष के प्रबंधन के लिए 12 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) की राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति की बैठक की अध्यक्षता करने वाले मुख्य सचिव डी.एस. ढेसी ने गुरुवार को कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन की विभिन्न गतिविधियों के लिए 12 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।

ढेसी ने कहा, 'इसमें हैप्पी सीडर्स, स्ट्रॉ बाइलर्स और स्ट्रॉ रिपर्स की खरीद के लिए सब्सिडी शामिल होगी।'

उन्होंने कहा, '2016-17 के दौरान, 1,462 स्ट्रॉ रिपर्स और 68 हैप्पी सीडर्स की खरीद आरकेवीवाई के तहत सब्सिडी में हुई थी। 2017-18 के दौरान 2,433 स्ट्रॉ रिपर्स, 231 हैप्पी सीडर्स और 38 स्ट्रॉ बैलर्स की खरीद के लिए प्रावधान किया गया है।'

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कृषि क्षेत्र हरियाणा और पंजाब में इस खरीफ सत्र में भरपूर धान की फसल होने की उम्मीद है - इसके 2.25 करोड़ टन से अधिक होने की संभावना है - फसल के अवशेषों पर चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं जो अगले फसल की बुआई के लिए अपनी जमीन तैयार करने के लिए किसानों द्वारा जलाए जाएंगी।

पंजाब, जो कि राष्ट्रीय कृषि में खाद्य अनाज का 50 फीसदी योगदान करता है, इस सत्र में 1.8 करोड़ टन धान की पैदावार की उम्मीद कर रहा है।

हाल के वर्षों में केन्द्रीय और राज्य सरकार ने किसानों को चेतावनी देने, उनके उनके खिलाफ मामला दर्ज करने, और जबरन फसल जलाने को लेकर जागरूकता पैदा करने जैसे कई कदम उठाने की कोशिश की है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

यहां तक कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) भी पंजाब और हरियाणा में अवशेषों को जलाने के खिलाफ उतर आया है, लेकिन दोनों राज्यों के किसानों का कहना है कि अवशेषों को जलाने से बचने के लिए उनके पास कुछ विकल्प उपलब्ध हैं।

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