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राजस्थान में बदला पाठ्यक्रम, 'वीर सावरकर' को बताया अंग्रेजों से माफी मांगने वाला

तीन साल पहले राज्य की बीजेपी सरकार में विनायक दामोदर सावरकर को वीर, महान देशभक्त और महान क्रांतिकारी बताया गया था

Updated on: 14 May 2019, 11:47 AM

नई दिल्ली:

राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने स्कूली पाठ्यक्रम में वीर सावरकर की जीवनी वाले हिस्से में बदलाव करने का ऐलान किया है. तीन साल पहले राज्य की बीजेपी सरकार में विनायक दामोदर सावरकर को वीर, महान देशभक्त और महान क्रांतिकारी बताया गया था. लेकिन अब कांग्रेस शासन में नए सिरे से तैयार स्कूली पाठ्यक्रम में उन्हें वीर की जगह जेल की यातनाओं से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार से दया मांगने वाला बताया गया है. इसके साथ ही नए तथ्य भी जोड़े गए हैं.

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तीन साल पहले तक राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग के स्कूली पाठ्यक्रम में बीजेपी सरकार में विनायक दामोदर सावरकर को वीर की उपमा देकर उन्हें महान देशभक्त और महान क्रांतिकारी बताया गया था. लेकिन अब कांग्रेस सरकार में नए सिरे से तैयार स्कूली पाठ्यक्रम में उन्हें वीर की जगह जेली की यातनाओं से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार से दया मांगने वाला बताया गया है. साथ ही कुछ नए तथ्य भी जोड़े गए हैं. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, सरकार का कहना है कि वह छात्रों को सही तरीके से इतिहास से रूबरू कराने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव कर रहे हैं.

प्रदेश के शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह दोतासरा का कहना है कि पाठ्यक्रम की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया गया था. उसी के प्रस्तावों के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार हुआ है. इसमें किसी प्रकार की कोई राजनीति नहीं की गई है. फिर भी अगर पाठ्यक्रम को लेकर कोई मामला सामने आएगा तो उस पर अमल किया जाएगा.

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, दोतासरा ने कहा, ‘तत्कालीन भाजपा सरकार ने शिक्षा विभाग को एक प्रयोगशाला बना दिया था, आरएसएस के राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किए गए थे. तत्कालीन सरकार ने वीर सावरकर की जीवनी तैयार की. इस विषय के तथ्यों की समीक्षा हमारी सरकार की समिति द्वारा की गई, जिससे पता चला कि राजनीतिक हितों के लिए सावरकर की बढ़िया छवि गढ़ी गई.’

उन्होंने कहा, ‘पिछली सरकार द्वारा तैयार की गई सावरकर की जीवनी से अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को उतना महत्व नहीं दिया गया.’

भाजपा ने इसे सावरकर की वीरता का अपमान बताया है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि पाठ्यक्रम की समीक्षा के लिए गठित समिति के प्रस्तावों के अनुसार इसे तैयार किया गया है और इसमें कोई राजनीति नहीं की गई है. प्रदेश में कांग्रेस सरकार के आते ही स्कूली पाठ्यक्रम की समीक्षा का काम शुरू हुआ था. उन्होंने कहा, फिर भी अगर पाठ्यक्रम को लेकर कोई मामला सामने आएगा तो उस पर अमल किया जाएगा.