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नान घोटाले में छत्‍तीसगढ़ के दो IAS अफसर अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाला मामले में एसीबी और ईओडब्ल्यू ने पूरा चालान किया कोर्ट में पेश किया

Updated on: 06 Dec 2018, 12:39 PM

रायपुर:

छत्‍तीसगढ़ के दो IAS अफसर अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के खिलाफ कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाला मामले में एसीबी और ईओडब्ल्यू ने पूरा चालान किया कोर्ट में पेश किया. इसके बाद कोर्ट ने दोनों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. नागरिक आपूर्ति निगम के इस घोटाले में तत्‍कालीन प्रबंध संचालक अनिल टुटेजा के रिश्‍तेदार भी आरोपित हैं.

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ये है मामलाः  एसीबी और आर्थिक अपराध अन्‍वेषण शाखा ने छापा मारकर टुटेजा के नीजी सहायक के पास 20 लाख की नगदी जब्‍त की थी. इसमें से 10 लाख रुपये अनिल के बेटे यश को दिया जाना था. शेष रकम नान के पदेन अध्‍यक्ष और निगम के प्रमुख सचिव डॉ आलोक शुक्‍ला के लिए रखी गई थी. अनिल टुटेजा के समय करोड़ों का भ्रष्टाचार सामने आया था. उस समय एक डायरी भी बरामद  हुई थी. 2016 में केंद्र ने दोनों आईएस के खिलाफ मामला दर्ज करने की अनुमति दी थी. अब कोर्ट ने किया है पूरक चालान के बाद गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.

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खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के सचिव तथा टुटेजा एमडी थे. छापे में नान से 1.60 करोड़ रुपए जब्त किए गए थे, साथ ही नान के दर्जनभर अफसरों की भी गिरफ्तारी हुई थी  तब शुक्ला और टुटेजा का नाम भी घोटाले में उछला था, पर चार्जशीट में जिक्र न होने से दोनों पर कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन बुधवार को पेश पूरक चालान में दोनों अफसरों का उल्लेख है.

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ईओडब्लू ने कोर्ट को बताया कि जांच के दौरान नान दफ्तर से जो दस्तावेज और डायरी मिली हैं उनमें अन्य लोगों के अलावा शुक्ला और टुटेजा को भी रकम देने का उल्लेख है. आईएएस अनिल टुटेजा ने पूरक चालान के पहले ही अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी. कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था. इस मामले में ईओडब्ल्यू ने दोनों अफसरों समेत 18 लोगों को आरोपी बनाया है.

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इसमें एक आरोपी अब तक फरार है. कोर्ट ने उसे वांटेड घोषित किया है. 15 आरोपियों की गिरफ्तारी को चुकी है. 14 लोग कोर्ट से जमानत पर छूट गए हैं. एक आरोपी नान का मैनेजर शिवशंकर भट्ट को जमानत नहीं मिल पाई है. वह अब भी रायपुर कोर्ट में बंद है. उसने सरकारी गवाह बनने के लिए भी अर्जी लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने उसकी अर्जी को खारिज कर दी. उसे गवाह बनाने से इंकार कर दिया.