प्रभावी नहीं पल्यूशन मास्क, प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण हो सकती है मरीजों की मौत: AIIMS
एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बुधवार को कहा कि वर्तमान प्रदूषण के संदर्भ में एन95 मास्क और पॉलिशन मास्क सांस से संबंधित खतरों में लंबे समय तक संरक्षण प्रदान नहीं कर सकते हैं।
नई दिल्ली:
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण स्तर बढ़ने पर एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बुधवार को कहा कि वर्तमान प्रदूषण के संदर्भ में एन95 मास्क और पॉलिशन मास्क सांस से संबंधित खतरों में लंबे समय तक संरक्षण प्रदान नहीं कर सकते हैं।
देश के प्रमुख श्वास-रोग विशेषज्ञों में से एक गुलेरिया ने कहा, 'हम सभी को यह समझने की जरूरत है कि एन 95 मास्क और पॉलिशन मास्क (एयर प्यूरीफायर) लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकते और न ही पूरी तरह से प्रभावी हैं।
एन 95 मास्क और एयर प्यूरीफायर की बिक्री पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण के कारण बढ़ गई है।' एन95 मास्क एक श्वसन यंत्र (रेस्पिरेशन सिस्टम ) हैं, जो नाक और मुंह को कवर करता है।
प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए गुलेरिया ने दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण संबंधी बीमारियों के कारण लगभग 30,000 अनुमानित मौतों का संकेत दिया है।
गुलेरिया ने कहा, 'मैं एक बार फिर चेतावनी देना चाहता हूं कि वर्तमान प्रदूषण के स्तर के कारण मरीजों की मौत हो सकती है खासकर उन लोगों की, जो सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं।'
उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की ओपीडी में सांस के रोग से पीड़ित मरीजों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
गुलेरिया ने कहा, 'प्रदूषण से बच्चे और वृद्ध सबसे अधिक रूप से प्रभावित हैं। ऐसे प्रदूषण को देखते हुए आज के बच्चे अगले 20 साल में फेफड़े की गंभीर बीमारी से पीड़ित होंगे।'
और पढ़ें: प्रदूषण के ऊंचे स्तर के कारण हो सकता है अस्थमा और हार्ट फेलियर: AIIMS
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