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सिंधू के नाम विश्व खिताब, बैडमिंटन में भविष्य की उम्मीद बनकर उभरे लक्ष्य

पीवी सिंधू ने इस साल विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण जरूर जीता, लेकिन बाकी पूरे साल खराब प्रदर्शन से जूझती रही, जबकि युवा लक्ष्य सेन भारतीय बैडमिंटन के लिए मिली जुली सफलता वाले वर्ष 2019 में भविष्य की उम्मीद बनकर उभरे.

Updated on: 23 Dec 2019, 02:17 PM

New Delhi:

पीवी सिंधू ने इस साल विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण जरूर जीता, लेकिन बाकी पूरे साल खराब प्रदर्शन से जूझती रही, जबकि युवा लक्ष्य सेन भारतीय बैडमिंटन के लिए मिली जुली सफलता वाले वर्ष 2019 में भविष्य की उम्मीद बनकर उभरे. दो रजत और दो कांस्य पदक के बाद पीवी सिंधू ने भारत को विश्व चैम्पियनशिप में पहला स्वर्ण दिलाया. इसके बाद हालांकि वह इस फार्म को दोहरा नहीं सकीं. स्विटजरलैंड में विश्व चैम्पियनशिप से भारत को दो पदक मिले. सिंधू के अलावा बी साइ प्रणीत ने प्रकाश पादुकोण के पदक जीतने के 36 साल बाद पुरूष एकल वर्ग में कांस्य जीता. युगल वर्ग में सात्विक साइराज रांकिरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने थाईलैंड ओपन सुपर 500 खिताब जीता और फ्रेंच ओपन सुपर 750 के फाइनल में पहुंची. सुपर 500 खिताब जीतने वाली यह पहली भारतीय जोड़ी बनी. 18 वर्ष के लक्ष्य ने इस साल पांच खिताब अपने नाम किए और कैरियर की सर्वश्रेष्ठ 32वीं रैंकिंग पर पहुंचे.

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सौरभ वर्मा ने वियतनाम और हैदराबाद में सुपर 100 खिताब जीता. वह सैयद मोदी सुपर 300 टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचे. महिला एकल में सिंधू के अलावा साइना नेहवाल ने इंडोनेशिया मास्टर्स सुपर 300 खिताब अपने नाम किया. पिछले साल पांच रजत पदक और विश्व टूर फाइनल्स में स्वर्ण जीतने वाली सिंधू इस साल फार्म में नहीं दिखी. कोरियाई कोच किम जू ह्यून के मार्गदर्शन में अभ्यास कर रही सिंधू इंडोनेशिया ओपन में उपविजेता रही और बासेल में विश्व चैम्पियनशिप स्वर्ण जीता. वह पूर्व ओलंपिक और विश्व चैम्पियन झांग निंग के बाद विश्व चैम्पियनशिप में पांच पदक जीतने वाली दूसरी महिला खिलाड़ी हैं. इसके बाद वह सत्र के आखिरी विश्व टूर फाइनल्स में खिताब बरकरार रखने में नाकाम रही. पुरूष वर्ग में प्रणीत स्विस ओपन फाइनल में पहुंचे और सत्र के आखिर में विश्व रैंकिंग में 11वें स्थान पर रहे.

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किदाम्बी श्रीकांत ने 2017 में चार खिताब जीते थे. उन्होंने 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण और नंबर वन की रैंकिंग भी हासिल की लेकिन यह साल औसत ही रहा. वह इंडिया ओपन फाइनल में पहुंचे जबकि बाकी टूर्नामेंटों में औसत प्रदर्शन और घुटने की चोट के कारण बाहर रहने से विश्व रैंकिंग में शीर्ष 10 से बाहर चले गए. एचएस प्रणय रैंकिंग में 26वें स्थान पर रहे. साल की शुरुआत में रैंकिंग में 109वें स्थान पर रहे लक्ष्य ने पोलिश ओपन में उपविजेता रहकर 76 पायदान की छलांग लगाई. उसने सितंबर में बेल्जियम इंटरनेशनल जीता और फिर डच ओपन सुपर 100 व सारलोरलक्स सुपर 100 खिताब अपने नाम किए. नवंबर में स्काटिश ओपन जीतने के बाद साल के आखिर में बांग्लादेश इंटरनेशनल चैलेंज जीता. युगल में अश्विनी पोनप्पा और एन सिक्की रेड्डी 13 टूर्नामेंटों में पहले दौर से बाहर हो गईं जबकि तीन बार दूसरे दौर से बाहर हुई. अगले साल होने वाले तोक्यो ओलंपिक से पहले कोच पुलेला गोपीचंद को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके खिलाड़ी सर्वश्रेष्ठ लय में रहे.