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किदांबी श्रीकांत को हराकर डेनमार्क के एक्सेल्सन ने जीता इंडिया ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप

डेनमार्क के खिलाड़ी ने 2017 में इस टूर्नामेंट का खिताब जीता था. उन्हें 2015 में इस टूर्नामेंट के फाइनल में श्रीकांत के खिलाफ हार झेलनी पड़ी थी, लेकिन इस बार वो नहीं चूके.

Updated on: 31 Mar 2019, 09:51 PM

नई दिल्ली:

भारतीय खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत को यहां फाइनल में हराकर डेनमार्क के विक्टर एक्सेल्सन ने दूसरी बार योनेक्स सनराइज इंडिया ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम किया. वर्ल्ड नंबर-4 एक्सेल्सन ने इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम के के.डी. जाधव इनडोर हॉल में हुए फाइनल में श्रीकांत को 21-7, 22-20 से हराया. दूसरी सीड एक्सेलसन और तीसरी सीड श्रीकांत के बीच यह मुकाबला 36 मिनट तक चला. एक्सेल्सन ने कहा, "मैं खुश हूं कि मैं अच्छा मैच खेल पाया. इस टूर्नामेंट का खिताब जीतने से मेरा आत्मविश्वास बहुत बढ़ा है. शुरुआत में मैच पर नियंत्रण बनाना आसान था, लेकिन बाद में मुकाबला करीबी हो गया और अगर श्रीकांत दूसरा गेम जीत जाते तो पता नहीं क्या होता. आपको थोड़ी किस्मत चाहिए होती है और मैंने अंतिम क्षणों में संयम बनाए रखा."

डेनमार्क के खिलाड़ी ने 2017 में इस टूर्नामेंट का खिताब जीता था. उन्हें 2015 में इस टूर्नामेंट के फाइनल में श्रीकांत के खिलाफ हार झेलनी पड़ी थी, लेकिन इस बार वो नहीं चूके. एक्सेलसन ने श्रीकांत के खिलाफ मैच की दमदार शुरुआत की. उन्होंने नेट और बेस लाइन पर दमदार खेल दिखाया और भारतीय खिलाड़ी को वापसी का कोई मौका न देते हुए 21-7 के बड़े अंतर से जीत दर्ज की. दूसरे गेम में भी एक्सेलसन की शुरुआत अच्छी रही और एक समय ऐसा लग रहा था कि वे आसानी से मुकाबल जीत लेंगे, लेकिन घरेलू दर्शकों के सामने श्रीकांत वापसी करने में कामयाब रहे.

भारतीय खिलाड़ी ने स्कोर 13-13 से बराबर किया और फिर बढ़त बना ली. श्रीकांत ने स्कोर 19-17 कर दिया. हालांकि, वह अंतिम क्षणों में संयम से नहीं खेल पाए और 22-20 से मुकाबला गंवा बैठे. श्रीकांत वर्ल्ड रैंकिंग में फिलहाल, सातवें पायदान पर काबिज हैं. उन्होंने कहा, "मैं समझता हूं कि मैंने पहले सेट में उसे कई मौके दिए और दूसरे में इससे बचने का प्रयास किए. मैंने सोचा कि मैं थोड़ा धीमा हूं और दूसरे सेट में मैंने वापसी करते बेहतर खेल दिखाया." एक्सेलसन ने सेमीफाइनल में राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्व चैम्पियन भारत के ही पारुपल्ली कश्यप को सीधे गेमों में पराजित किया था.