खुदी को बुलंद कर वापसी के लिए तैयार हैं मुक्केबाज मंदीप जांगरा, यहां पढ़ें एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
मई 2019 में मंदीप ने पटियाला में नेशनल कैम्प ज्वाइन किया लेकिन चोट ने वहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा. मंदीप को लगा कि उनके खेल और फिटनेस में कोई कमी है.
नई दिल्ली:
चोट के कारण बाहर जाना और उससे पैदा होने वाली गुमनामी किसी भी खिलाड़ी को 'मार' देती है लेकिन 2014 में ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने वाले हरियाणा के मुक्केबाज मंदीप जांगरा के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं है. मंदीप ने कई बार हालात से उलट जाकर खुद को साबित किया है और देश के लिए सम्मान अर्जित किया है. बीते एक साल से भी अधिक समय से अंतर्राष्ट्रीय पटल से गायब चल रहे मंदीप एक बार फिर वापसी के लिए तैयार हैं. वह दो दिसम्बर से होने वाली बिग बाउट लीग के माध्यम से एसिड टेस्ट से गुजरेंगे. खास बात यह है कि ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने का लक्ष्य लेकर चल रहा 'कारतूस' नाम से मशहूर यह मुक्केबाज अपने दम पर खुद को बुलंद करके आज फिर से रिंग पर उतरने के लिए तैयार है.
साल 2015 में अर्जुन पुरस्कार से नवाजे गए मंदीप ने 2018 में मंगोलिया के उलानबातर में आयोजित उलानबातर कप में स्वर्ण पदक जीता था. इसके बाद से वह इंटरनेशनल इवेंट्स में नहीं दिखाई दिए. दिसम्बर, 2018 में 69 किग्रा वर्ग में मंदीप को विश्व चैम्पियनशिप के लिए इलीट शिविर में बुलाया गया लेकिन वह वहां भी चोटिल हो गए और इस शिविर से दुर्योधन ने विश्व चैम्पियनशिप का टिकट हासिल किया.
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मई 2019 में मंदीप ने पटियाला में नेशनल कैम्प ज्वाइन किया लेकिन चोट ने वहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा. मंदीप को लगा कि उनके खेल और फिटनेस में कोई कमी है और इसी कारण वह अपने खेल तथा फिटनेस में सुधार करने के लिए 'अज्ञातवास' में चले गए. इस दौरान मंदीप ने सिरसा की एक अकादमी में अभ्यास किया और खुद को दुनिया से 'काट' लिया. वह ऐसी जगह अभ्यास कर रहे थे, जहां उन्हें कोई जानता तक नहीं था.
मंदीप ने साक्षात्कार में कहा, "वापसी के दौरान मैंने खुद की कोचिंग की है. कहते हैं ना कि कभी आपको खुद का कोच बनना पड़ता है क्योंकि आपके खेल को आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता. मैंने वापसी की राह के दौरान अपनी कमियों पर काम किया और वह भी अकेले रहकर. मैं बिल्कुल ऐसी जगह रहकर अभ्यास करता रहा, जहां मुझे कोई जानता तक नहीं था. इस दौरान मैंने अपने आपको सबसे काट लिया. मैंने फोन का यूज करना भी छोड़ दिया."
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मंदीप ने 2016 में अपने बाएं हाथ की कलाई की सर्जरी कराई थी. उसके बाद से हालांकि वह अपने असल रंग में नहीं दिखे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने बीते साल उलानबातर में सोना जीता. मंदीप ने कहा, "अभी मैं दोबारा रिंग में उतरने के लिए तैयार हूं. दो तारीख से जो बिग बाउट लीग हो रही है, बॉक्सिंग की उसमें मैं दिखूंगा. मैं अभी ओलंपिक की तैयारी कर रहा हूं. अभी उम्मीदें कायम हैं और हौसला भी कायम है. मैं खुद को साबित करना चाहता हूं और दुनिया को बताना चाहता हूं कि मैं अब वापस आ गया हूं."
मुक्केबाजी से दूर जाने और वापसी की राह के दौरान क्या ट्रेनिंग रही. क्या शेड्यूल रहा? इस पर मंदीप ने कहा, "एल्बो इंजुरी से मैं लगातार परेशान रहा. 2018 में पटियाला कैम्प में मुझे राइट एल्बो में प्रॉब्लम हुआ. मैंने इस कारण लेफ्ट हैंड को मजबूत किया. साथ ही मैंने अपनी शैली को अटैकिंग बनाया है. पहले मैं अटैक कम किया करता था लेकिन अब अटैक ज्यादा इंप्रूव हो गया है. कुछ स्क्ल्सि पर वर्क किया है."
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मंदीप ने यह भी बताया कि उन्होंने खुद को साबित करने के लिए अपनी शैली में क्या-क्या सुधार किया है. बकौल मंदीप, "मैं पहले ओपनगार्ड गेम खेलता था. सिस्टम चेंज हुआ तो मुझे गार्ड रखकर खेलना पड़ा. अब ओलंपिक में ओपनगार्ड गेम होगा तो मैं उसी को ध्यान में रखकर तैयारी कर रहा हूं. मैं दोनों तरीकों से खेलने के लिए तैयार हूं. मैंने सोचा कि जब मैं अपने पुराने स्टाइल में खेलूंगा तो ही मैं पहले वाले मंदीप को फील कर पाउंगा. मैं लोगों को यह यकीन दिलाना चाहता हूं कि मैं अभी जिंदा हूं और देश के लिए पदक जीतने का माद्दा रखता हूं."
तो क्या अब देश को एक बिल्कुल नया मंदीप देखने को मिलेगा? इस पर मंदीप ने कहा, "लीग में मुझे यह देखना है कि जो मैंने ट्रेनिंग किया है, उसका टेस्ट होगा. यह मेरे लिए प्री टेस्ट होगा और मैं इसके माध्यम से अपने आपको प्रूव करना चाहूंगा. मुझे आगे ओलंपिक क्वालीफायर में हिस्सा लेना है. यही मेरा मुख्य लक्ष्य है. इस कारण मैं भूल गया था कि मैं अर्जुन अवार्डी हूं. मैंने नए लड़के की तरह नए सिरे से शुरुआत की और अब मुझे उम्मीद है कि मेरी मेहनत का नतीजा मिलेगा. मैं बिल्कुल सिंपल फंडे के साथ काम करता हूं. मेरा फंडा है कि-प्रयास इतने शांत हो कि सफलता शोर मचाए."
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