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टीम इंडिया के तेज गेंदबाज दीपक चाहर ने बताया टीम इंडिया में एंट्री का तरीका, बोले- IPL के जरिए मिलती है नीली जर्सी

चाहर ने कहा कि जब उन्होंने तेजी हासिल करने के लिए अपने एक्शन में बदलाव किया तो उन्हें अपनी राज्य की टीम में संघर्ष करना पड़ा था.

Updated on: 17 Dec 2019, 07:15 PM

विशाखापत्तनम:

तेज गेंदबाज दीपक चाहर ने मंगलवार को कहा कि उन्हें अपने करियर के शुरू में ही समझ में आ गया था कि सीमित ओवरों की क्रिकेट पर ज्यादा ध्यान देना होगा और आईपीएल भारतीय टीम में जगह बनाने का आसान रास्ता है. आगरा के रहने वाले चाहर ने राजस्थान की तरफ से रणजी ट्राफी पदार्पण पर ही हैदराबाद के खिलाफ दस रन देकर आठ विकेट लिए थे लेकिन उन्हें जल्द ही यह अहसास हो गया कि लाल गेंद से 125 किमी की रफ्तार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का उनका सपना पूरा नहीं कर सकती. चाहर ने कहा, ‘‘जब मैंने तेजी हासिल करने के लिए अपने एक्शन बदला तो मुझे अपनी राज्य की टीम में संघर्ष करना पड़ा. मुझे अचानक ही लगने लगा कि भारतीय टीम में जगह बनाने मेरे लिए बहुत ही मुश्किल होगा. अगर मैं रणजी के भरोसे रहता तो फिर मुझे बहुत सारे मैच खेलने होते, पूरे सत्र खेलना होता और दलीप ट्राफी में खेलना होता. यह लंबा रास्ता था.’’

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उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे वनडे की पूर्व संध्या पर कहा, ‘‘लेकिन अगर आप आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करते हो तो फिर आपको जल्द ही भारत की तरफ से खेलने का मौका मिल सकता है. अपने करियर के उस दौर में मैंने सफेद गेंद की क्रिकेट पर अधिक ध्यान देने का फैसला किया.’’ मध्यम गति के इस गेंदबाज ने आईपीएल फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपरकिंग्स से दो सत्र खेलने के बाद भारतीय टीम में जगह बनायी. चाहर अपनी कमजोरियों के प्रति स्पष्ट राय रखते हैं और जानते हैं कि उन्हें इनमें सुधार के लिए क्या करना है. उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने रणजी ट्राफी में प्रवेश किया तो मैं 125 किमी की रफ्तार से गेंदबाजी करता था. अपनी तेजी बढ़ाने के प्रयास में मैं चोटिल भी रहा. मैं जानता था कि इस तेजी से मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नहीं बने रह सकता हूं. मुझे इसे 140 तक बढ़ाना होगा और इसमें स्विंग को जोड़ना होगा.’’

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चाहर ने कहा, ‘‘स्विंग लेती गेंद जो 135 से 137 किमी की रफ्तार से की गयी हो वह किसी भी बल्लेबाज के लिए बेहद मुश्किल गेंद होती है. अगर विकेट सपाट है तो 150 किमी की गेंद भी आसानी से खेली जा सकती है.’’ चाहर का ध्यान अब सफेद गेंद का अच्छा गेंदबाज बनने पर है और उन्हें लगता है कि लाल गेंद की तुलना में सफेद गेंद को स्विंग करना अधिक मुश्किल है. उन्होंने कहा, ‘‘लाल गेंद का अगर एक छोर चमकीला है तो वह (रिवर्स) स्विंग लेगी. यही वजह है कि रणजी स्तर पर कई गेंदबाज गेंद को दोनों तरफ मूव कर सकते हैं. सफेद गेंद से स्विंग चमक के कारण नहीं मिलती. यह आपके एक्शन से मिलती है. इसलिए मैंने अपनी तेजी बढ़ाने के साथ इस पर भी काम किया. ’’ चाहर ने कहा, ‘‘मैं धीमे बाउंसर अच्छी तरह से करता हूं और मैं अपने यार्कर पर काम कर रहा हूं. अब मुझे विश्वास है अगर मेरी गेंदों पर दो छक्के भी लग गए तब भी मैं यार्कर कर सकता हूं.’’

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चाहर ने अब तक केवल दो वनडे खेले हैं लेकिन उन्होंने पहले ही इसमें अपना कमजोर पक्ष पता कर लिया था जो दूसरे पावरप्ले में गेंदबाजी करना है जबकि केवल चार क्षेत्ररक्षक 30 गज के बाहर होते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘वनडे सबसे मुश्किल प्रारूप है. टी20 में आपका ध्यान रन रोकने पर होता है. उसमें अगर आप विकेट नहीं लेते हो लेकिन चार ओवर में 24 रन ही देते हो तो यह अच्छा विश्लेषण होता है. टेस्ट मैचों में उसके उलट है. आपको हमलावर होना होता है. रन बने तो बने लेकिन आपको विकेट लेने होते हैं.’’ चाहर ने कहा, ‘‘वनडे इन दोनों का मिश्रण है जहां आपको रन भी रोकने होते हैं और विकेट भी लेने होते हैं. आपको परिस्थितियों को अच्छी तरह से समझना होता है. मैंने भारत ए की तरफ से लिस्ट ए के कई मैच खेले हैं और इससे मुझे मदद मिली है और इसलिए जानता हूं कि दूसरे पावरप्ले में कैसी गेंदबाजी करनी है.’’