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कप्तान कोहली के सामने Pink Ball का विराट चैलेंज, टीम इंडिया के लिए आसान नहीं होगा Day-Night टेस्ट

डे-नाइट टेस्ट की शुरुआत साल 2015 में हुई थी, तब ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड ने ओवल के मैदान पर पहला डे-नाइट टेस्ट खेला था.

Updated on: 30 Oct 2019, 08:56 PM

नई दिल्ली:

भारत जल्द ही डे-नाइट टेस्ट खेलने वाला है और ये मुक़ाबला कोलकाता के ईडेन गॉर्ड्न्स में खेला जाएगा. 22 से 26 नंवबर के बीच जब जब भारत और बांग्लादेश की टीमें टकराएंगी तो भारतीय क्रिकेट में एक अध्याय की शुरुआत होगी. वैसे गांगुली का बीसीसीाई प्रेसीडेंट बनने के बाद पहला बड़ा फैसला है. गांगुली पहले से ही डे-नाइट टेस्ट के समर्थक रहे हैं और उन्होंने इसके लेकर पहले भी आवाज उठाई थी. लेकिन तब भारतीय खिलाड़ी तैयार नहीं थे और बोर्ड ने भी ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया. लेकिन इस बार गांगुली टीम इंडिया के कप्तान कोहली को मनाने में कामयाब रहे. वहीं बांग्लादेश बोर्ड को भी उन्होंने राज़ी कर लिया.

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यहां ये बात भी ध्यान देने वाली है कि भारत ने डे-नाइट फर्स्ट क्लास मैच का प्रयोग बहुत पहले कर लिया था, तब 1996-97 में मुंबई और दिल्ली के बीच रणजी ट्रॉफी का मुकाबला ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में खेली गया था और पहली पारी के आधार पर मुंबई ने जीत हासिल की थी. लेकिन उसके बाद भारत को इस तरफ देखने में काफी वक्त लग गया और 2016 में दलीप ट्रॉफी के मुकाबले डे नाइट फॉर्मेट में पिंक बॉल के साथ खेले गए लेकिन कुछ बड़े खिलाड़ियों के नेगेटिव फीड बैक के बाद बीसीसीआई ने अपने पैर पीछे खींच लिए थे.

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वैसे भारतीय बोर्ड हर नए प्रयोग को आसानी से नहीं अपनाता, चाहे टी-20 वर्ल्ड कप की बात हो जिसमें भारत ने सबसे आखिरी में साइन किए थे या फिर DRS की बात जिसको लेकर पूर्व कप्तान धोनी बिलकुल भी तैयार नहीं थे. लेकिन कोहली के आने के बाद भारत की सोच में बदलाव आया और बीसीसीआई में COA के आसीन होने से भारत ने DRS को कबूल कर लिया और अब हम देख रहे हैं कि टीम इंडिया डे-नाइट टेस्ट के लिए भी तैयार है. डे-नाइट टेस्ट को सपोर्ट के पीछे गांगुली का तर्क है कि वो दर्शकों को मैदान में लाना चाहत हैं और इसके लिए डे-नाइट टेस्ट मैच एक अच्छा प्रयोग हो सकता है. हाल ही में कप्तान विराट कोहली ने भी रांची टेस्ट में दर्शकों की कम संख्या पर चिंता जाहिर की थी और इस दौरान कोहली ने टेस्ट मैचों को रेगुलर सेंटर पर ही कराने की मांग की थी.

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भारत के सामने डे-नाइट टेस्ट मैच को लेकर कुछ चुनौतियां भी हैं और इसमें सबसे बड़ी चुनौती है पिंक बॉल. जिससे भारतीय खिलाड़ियों के पास ज़्यादा अनुभव नही हैं. हालांकि गांगुली ने बोर्ड के एक मेंबर को SG (गेंद बनाने वाली कंपनी) से जल्द ही ज़्यादा से ज़्यादा पिंक बॉल बनाने को कहा है ताकी भारत और बांग्लादेश के खिलाड़ी प्रैक्टिस कर सकें. इससे पहले ऑस्टेलिया की कूकाबुरा और इंग्लैंड के ड्यूक से भी बात करने की बात कही थी लेकिन बीसीसीआई ने अब SG को ही फाइनल कर लिया है. डे नाइट टेस्ट मैच को लेकर कुछ पूर्व क्रिकेटर्स ने आशंकाएं जताई है. पूर्व स्पिनर मनिंदर सिंह का कहना है कि डे नाइट टेस्ट में स्पिनर्स को रोल खत्म हो जाएगा क्योंकि शाम को ओंस गिरेगी और ऐसे में स्पिनर्स को परेशानी हो सकती है. वैसे भी भारत में नवंबर के महीना सर्दी का होता है और ऐसे में ड्यू गिरना तय है. वहीं पूर्व तेज़ गेंदबाज़ अमित भंडारी ने डे-नाइट टेस्ट का स्वागत किया है. लेकिन भंडारी का मानना है कि पिंक गेंद को देखते हुए टीमों के पास 80 की बजाय 60 ओवर में नई गेंद लेने का विकल्प होना चाहिए. वहीं नीलेश कुलकर्णी 5 दिनों तक लगातार डे-नाइट क्रिकेट खेलने को लेकर बॉडी क्लॉक पर पड़ने वाले असर को लेकर अपनी चिंता जता चुके हैं.

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डे-नाइट टेस्ट की शुरुआत साल 2015 में हुई थी, तब ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड ने ओवल के मैदान पर पहला डे-नाइट टेस्ट खेला था. इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को 3 विकेट से जीत मिली थी. तब से लेकर अबतक कुल 11 डे-नाइट टेस्ट खेले जा चुके हैं. पड़ोसी देश पाकिस्तान भी 2 डे-नाइट मैच खेल चुका है. ये दोनों ही मुकाबले पाकिस्तान ने दुबई में खेले. पाकिस्तान को एक मैच में जीत मिली जबकि एक में उसे हार का सामना करना पड़ा.

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अब बारी भारत की है जो कि टेस्ट की नंबर-1 टीम है और इस लिहाज़ से कोहली एंड कंपनी के सामने ये दबाव ज़रूर होगा कि वो डे-नाइट टेस्ट में कैसा प्रदर्शन करते है. वैसे भारत के लिहाज़ से अच्छी बात ये है कि भारत का मुकाबला बांग्लादेश से है, जो हाल-फिलहाल में अपने खिलाड़ियो को लेकर कई विवादों से जूझ रही है. ऐसे में कोहली के पास डे-नाइट मैच में जीत के साथ शुरुआत करने का बेहतरीन मौका है.