logo-image

COA ने की थी जिसकी उपेक्षा, जसप्रीत बुमराह उसी ट्रेनर संग कर रहे हैं रिहैब

Jaspreet Bumrah Rehab : भारतीय टीम के पूर्व ट्रेनर शंकर बासु द्वारा टीम और राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (National Cricket Academy)(NCA) में स्थापित की गई विरासत ढहती दिख रही है.

Updated on: 04 Dec 2019, 07:46 AM

नई दिल्‍ली:

Jaspreet Bumrah Rehab : भारतीय टीम के पूर्व ट्रेनर शंकर बासु द्वारा टीम और राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (National Cricket Academy)(NCA) में स्थापित की गई विरासत ढहती दिख रही है. भारतीय टीम के चोटिल तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jaspreet Bumrah) एनसीए में रिहैब (Rehab) न करके इस समय उस शख्स के साथ रिहैब (Rehab) कर रहे हैं, जिसकी काबिलियत को नकार दिया गया था और राष्ट्रीय टीम में शामिल नहीं किया गया था. जसप्रीत बुमराह (fast bowler Jaspreet Bumrah) इस समय आईपीएल (IPl) की फ्रेंचाइजी दिल्ली कैपिटल्स (Delhi Capitals) के ट्रेनर रजनीकांत शिवागनम (Rajinikanth Sivaganam) के साथ रिहैब (Rehab) कर रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि रजनीकांत वही शख्स हैं जिन्हें अगस्त में भारतीय टीम के स्ट्रैंग्थ एंड कंडीशनिंग कोच पद के लिए नहीं चुना गया था और काम निक वेब (Nick Webb) को दिया गया था. यह सब प्रशासकों की समिति (Committee of Administrators) (COA) के मार्गदर्शन में हुआ था.

यह भी पढ़ें ः अब हर टेस्‍ट सीरीज में कम से कम एक मैच हो सकता है डे नाइट

जिस पैनल ने ट्रेनर संबंधी भर्ती के लिए प्रैक्टिकल एग्जाम लिया था, उसमें राष्ट्रीय चयनकर्ताओं के अलावा कोलकाता की इंडोरफिंस जिम के मालिक रणदीप मोइत्रा भी थे. इस पैनल ने ल्यूक वुडहाउस और वेब को रजनीकांत पर तरजीह दी थी. बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने बात करते हुए न सिर्फ इस बात पर सवाल उठाए, बल्कि उसने यह भी कहा कि क्या सीओए के समय की गई नियुक्तियों पर नए सिरे से विचार करना चाहिए? उन्होंने कहा, यह निक की बात नहीं है, लेकिन रजनीकांत के लिए बाकियों की अपेक्षा प्रक्रिया काफी मुश्किल थी. पैनल में मौजूद एक शख्स से मैंने रजनी के प्रति इस शत्रुता जैसे व्यवहार की जांच की थी. उनसे पैनल ने जिम ट्रेनर के जैसी चीजें करने को कहा था जो किसी और से नहीं कहा था. एक हैरान करने वाली बात यह थी कि उस पैनल में एक शख्स ऐसा था जिसने रजनी के स्तर के मुकाबले काम ही नहीं किया. यह जानना बेहद दिलचस्प होगा कि उस इंसान को पैनल में किसने रखा.

यह भी पढ़ें ः ENG VS NEW : ड्रॉ टेस्ट में भी नया कीर्तिमान रच गए न्‍यूजीलैंड के रॉस टेलर

भारतीय टीम में जसप्रीत बुमराह का स्थान बेहद अहम है और इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने आईएएनएस से कहा कि भारतीय टीम प्रबंधन उनके रिहैब को लेकर किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहता है. जसप्रीत बुमराह के पीठ में स्ट्रैस फ्रेक्चर की शिकायत है. सूत्र ने कहा, हम अपने सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज के साथ किसी तरह का जोखिम नहीं ले सकते, तब भी जब उनका शरीर सही तरह से वापसी कर रहा हो. इसलिए उन्हें ग्रेट ब्रिटेन भेजा गया था. हमारे सामने नए साल में न्यूजीलैंड का अहम दौरा है और वह इस दौरे की रणनीति का अहम हिस्सा हैं. इसलिए टीम प्रबंधन इस बात को लेकर इंतजार करने को तैयार है कि बुमराह न्यूजीलैंड दौरे के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में लौटकर टीम में वापसी करें.

यह भी पढ़ें ः इंग्‍लैंड के तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर संबंधित 'नस्लीय टिप्पणी' मामला अब पुलिस के हवाले

यह पहला मामला नहीं है कि भारत के किसी खिलाड़ी ने रिहैब के लिए एनसीए की अनदेखी की है और पूरे देश में मौजूद ट्रेनर का मानना है कि ट्रेनरों को उनकी काबिलियत के अलावा निश्चित कारण के आधार पर चुना जाता है. राज्य टीम से जुड़े एक ट्रेनर ने आईएएनएस से कहा, आप मुझे एक बात बताइए, किसने यह तय किया कि एनसीए के ट्रेनर 35 साल से कम के होंगे? बीसीसीआई ने अकादमी के लिए स्ट्रेंग्थ एंड कंडीशनिगं कोच को लेकर जो आखिरी विज्ञापन दिया था उसमें कहा गया था कि ट्रेनर की उम्र 35 साल से कम की होनी चाहिए. इसलिए हमें किस ओर ले जाया जा रहा है और कौन हमें दूर रखना चाह रहा है? जब राष्ट्रीय हित की बात है तो इस तरह के अटपटे नियम? हमें कई वर्षो से राज्य टीमों के साथ काम कर रहे हैं और जब हम एक स्तर का अनुभव ले लेते हैं तो हमसे कहा जाता है कि आपकी उम्र एक मुद्दा है.

यह भी पढ़ें ः फुटबाल के सर्वश्रेष्‍ठ खिलाड़ी मेस्सी बोले, उम्र का असर खेल पर नहीं पड़ने दूंगा

उन्होंने कहा, जब भारत ने 2011 में विश्व कप जीता था, तब रामजी श्रीनिवासन ट्रेनर हुआ करते थे और तब उनकी उम्र 42 साल की थी. आप इस बात को लेकर महेंद्र सिंह धोनी, सचिन तेंदुलकर, जहीर खान से पूछ सकते हैं कि रामजी अपने साथ क्या लेकर आए थे. यह सब मजाक बना रखा है और हालिया दौर में खिलाड़ियों की चोटें इस बात का सबूत हैं. हाल ही में एक ट्रेनर ने बोर्ड के संयुक्त सचिव जयेश जॉर्ज को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने घरेलू टीमों के ट्रेनर के साथ हो रहे भेदभाव के बारे में बात की. उन्होंने कहा, हम 2000 से इस तंत्र का हिस्सा है उसके बाद भी लगातार हमारी अनदेखी की जा रही है. मैं आने वाले युवाओं के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन हमारे द्वारा किए गए अंतरराष्‍ट्रीय स्तर के कोर्स को भी अहमियत नहीं दी जा रही है.

यह भी पढ़ें ः मिसाल : स्कूल वैन चलाकर बेटे को बनाया अंडर 19 विश्वकप क्रिकेट टीम का कप्तान

उम्मीद है कि बीसीसीआई के नए अधिकारियों के आने से इसमें बदलाव आएंगे. रजनीकांत हमारे पास मौजूद सर्वश्रेष्ठ ट्रेनरों में से एक हैं इसलिए मुझे इसमें कोई शंका नहीं है कि बुमराह ने उनका चयन क्यों किया और वह एनसीए क्यों नहीं गए. अगर आप अन्य खिलाड़ियों से बात करेंगे तो आपको पता चलेगा कि अधिकतर खिलाड़ी रिहैब के लिए अकादमी नहीं जा रहे हैं. उन्होंने कहा, आप इस बात का पता क्यों नहीं लगाते कि हार्दिक पांड्या एनसीए क्यों नहीं गए? और मोइत्रा तथा निशा वर्मा- रिबॉक मास्टर ट्रेनर (उत्तर भारत), एनसीए में आने वालों का इंटरव्यू क्यों कर रही हैं.