IND vs AUS: 5 भारतीय गेंदबाज जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया में जाकर कंगारुओं की नाक में किया दम
आइये आज उन 5 भारतीय दिग्गज गेंदबाजों की बात करते हैं जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया (Australia) में जाकर कंगारुओं को अपनी गेंद पर नचाया है.
नई दिल्ली:
भारत और ऑस्ट्रेलिया (Australia) की टीमें 6 दिसंबर से एक बार फिर एक-दूसरे से एडिलेड में भिड़ने को तैयार हैं, पर इस बार यह टीमें क्रिकेट के सबसे पुराने फॉर्मेट में दम दिखाएंगें. टी-20 में 1-1 से सीरीज बराबर करने के बाद अब भारत ऑस्ट्रेलिया (Australia) में सीरीज न जीत पाने के अकाल को खत्म करना चाहेगी. भारत का ऑस्ट्रेलिया (Australia) में इतिहास देखें तो वह अब तक वहां 44 मैच खेल चुकी है जिसमें से उसे महज 5 मैचों में ही जीत मिल पाई है. भारत को 11 में ड्रॉ और 28 मैचों में हार का मुंह देखना पड़ा है. आंकड़ों को देखकर शायद यह बात दिमाग में आए कि भारतीय टीम का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है, पर अगर इतिहास के पन्ने पलटें तो हमें हर खेल युग में कोई न कोई भारतीय हीरो मिलेगा जिसने अपने लाजवाब प्रदर्शन से सबका मुंह बंद कर दिया.
आइये आज उन 5 भारतीय दिग्गज गेंदबाजों की बात करते हैं जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया (Australia) में जाकर कंगारुओं को अपनी गेंद पर नचाया है.
क्रिकेट के वो फैन्स जो बी एस चंद्रशेखर का नाम नहीं जानते, उनके लिए यह साफ कर दूं कि यह वह शख्स हैं जो अपनी खास तरह की बॉलिंग के लिए जाने जाते हैं. अगर आपने आमिर खान की मूवी लगान देखी हो तो उसमें अभिनीत सह-कलाकार 'कचरा' का पात्र बीएस चंद्रशेखर की असल जिंदगी से प्रेरित है. वह बचपन से ही पोलियो की बीमारी से ग्रस्त थे, हालांकि उन्होंने अपनी इस कमजोरी को ताकत बनाया और अपने खास अंदाज से गेंदबाजी कर ऑस्ट्रेलिया के मैदान पर इतिहास भी रचा. चंद्रशेखर ने अपने करियर की शुरुआत 1964 से की और 1978 तक मैच खेला.
चंद्रशेखर ने अपने करियर में 58 टेस्ट मैच खेलकर 242 विकेट लिए. अपने करियर में उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन वो रहा जब उन्होंने 79 रन देकर 8 विकेट लिए. इस दौरान उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में उसी के खिलाफ शानदार प्रदर्शन कर भारत को उसकी पहली जीत दिलाई.
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में चंद्रशेखर ने 104 रन देकर और 12 विकेट लिए जिसके दम पर भारत को ऑस्ट्रेलिया में पहली बार जीत दिलाई. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में 07 मैच खेलकर 29 विकेट चटकाए हैं.
भारत के पूर्व महान ऑफ स्पिनर ई. ए. एस. प्रसन्ना जिन्होंने 60 और 70 के दशक में बिशन सिंह बेदी, बी. एस. चंदशेखर और एस. वेंकटराघवन की घातक चौकड़ी के साथ मिलकर दुनिया में तमाम बल्लेबाजों के पसीने छुड़ा दिए थे. प्रसन्ना ने 16 साल के अपने टेस्ट करियर में 49 टेस्ट खेले और इस दौरान 189 विकेट हासिल किए.
अपने करियर के दौरान प्रसन्ना ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 8 मैच खेले और 31 विकेट लिए. उनका एक पारी में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन 104 रन देकर 6 विकेट चटकाना था.
बिशन सिंह बेदी पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं जिन्होंने लांस गिब्स के बाद, टेस्ट मैच में सबसे ज्यादा मेडेन ओवर फेंकने का रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने 4.2 मेडेन ओवर प्रति विकेट डाला है। विस्डन क्रिकेटर्स अल्मानेक ने 2008 में, बिशन सिंह बेदी को सबसे अच्छे पांच क्रिकेटरों में शामिल किया जो कभी भी विस्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर नहीं चुने गए।
बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में भारत ने पहली बार वेस्टइंडीज के विरूद्ध 1976 में पोर्ट-ऑफ-स्पेन में टेस्ट मैच जीता था। उनका सबसे बेहतरीन मैच फीगर 1978-79 में पर्थ में था जहां 194 रनों पर उन्होंने 10 विकेट लिए। अपने करियर के दौरान बिशन सिंह बेदी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 7 मैच खेले और 35 विकेट लिए. उनका एक पारी में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन 55 रन देकर 5 विकेट चटकाए थे.
भारत के सबसे बेहतरीन गेंदबाजों में से एक अनिल कुंबले राइट-आर्म-लेग स्पिन गेंदबाज थे जिन्होंने लेग ब्रेक गुगली का ईजाद किया था. कुंबले ने अपने फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर की शुरूआत 19 साल की उम्र में कर्नाटका का नेतृत्व करते हुए की. 2015 तक, कुंबले तीसरे ऐसे क्रिकेटर थे जिससे सबसे अधिक विकेट लिए. उनसे अधिक विकेट मुथैया मुरलीधरन और शेन वार्न ने लिए हैं.
कुंबले ने ऑस्ट्रेलिया में कंगारुओं के खिलाफ 10 मैच खेले और इस दौरान 49 विकेट झटके. यहां पर कुंबले का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन एक पारी में 141 रन देकर 8 विकेट झटकना था.
कुंबले को भारतीय एकदिवसीय टीम का हिस्सा 1990 में बनाया गया. 1996 कुंबले के लिए अतिसफल साल रहा. वह वर्ल्डकप के लिए चुने गए और उस साल सबसे बेहतरीन बॉलर रहे. उन्होंने 7 मैच खेलकर 15 विकेट झटके. 1999 के एक टेस्ट मैच की इनिंग्स में, कुंबले ने पाकिस्तान के सभी खिलाडियों को आउट किया.
कुंबले को 1993 में भारतीय क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया. तीन साल बाद वे विस्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुने गए.
भारत के पूर्व कप्तान और 1983 विश्व कप में भारतीय टीम को विश्व विजेता बनाने में अहम योगदान निभाने वाले कपिल देव बेहतरीन ऑलराउंडर थे. वह दाहिने हाथ के तेज गेंदबाज थे, जिनकी गेंद अपने ऑउटस्विंग के लिए जानी जाती थी. कपिल देव के नाम 1980 में एक खास फाइन इंस्विंगिंग यॉर्कर ईजाद करने का भी श्रेय जाता है. कपिल देव को अपने समकालीन क्रिकेटरों इमरान खान, सर रिचर्ड हेडली और सर इयान बॉथम से भी बेहतर माना गया था.
2002 में विस्डन ने कपिल देव को क्रिकेट जगत से सबसे बेहतरीन ऑलराउंडरों में से एक माना. कपिल देव अक्टूबर 1999 से अगस्त 2000 तक भारत के कोच भी रहे.
क्रिकेट के इतिहास में कपिल देव अकेले ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने 400 (434) से अधिक विकेट लिए हैं और 5,000 से अधिक रन भी बनाए हैं.
कपिल देव का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया में भी सबसे बेहतरीन रहा है, उन्होंने 11 मैच खेले जिसमें उन्होंने 51 विकेट झटके. इस दौरान उनका सबसे बेहतरीन प्रदर्शन 106 रन देकर 8 विकेट लेना था.
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