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BCCI की AGM में बड़ा फैसला, अध्‍यक्ष सौरव गांगुली का कार्यकाल बढ़ सकता है, बशर्ते...

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्‍तान और इस वक्‍त बीसीसीआई अध्‍यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) के अध्‍यक्ष बनने के बाद बीसीसीआई की पहली एजीएम आज रविवार को हुई. इसमें वैसे तो बहुत सारे फैसले होने थे और अटकलें लगाई जा रही थीं,

Updated on: 01 Dec 2019, 03:17 PM

New Delhi:

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्‍तान और इस वक्‍त बीसीसीआई अध्‍यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) के अध्‍यक्ष बनने के बाद बीसीसीआई की पहली एजीएम आज रविवार को हुई. इसमें वैसे तो बहुत सारे फैसले होने थे और अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन सभी की नजर इस बात पर थी कि क्‍या सौरव गांगुली का कार्यकाल बढ़ेगा. या फिर उनका कार्यकाल दस महीने का ही रहेगा. जब सौरव गांगुली अध्‍यक्ष (BCCI President Sourav Ganguly) बने थे, तब यही कहा जा रहा था कि उनका कार्यकाल दस महीने का ही रहेगा, हालांकि बाद में चीजें बदली हुई नजर आने लगी थी. बीसीसीआई की यह 88वीं एजीएम थी और इसमें सभी ने अपने पदाधिकारियों के कार्यकाल की सीमा में ढिलाई देने की स्‍वीकृति दे दी. हालांकि इसे लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति की जरूरत पड़ेगी. बैठक में सौरव गांगुली के अलावा बृजेश पटेल, मोहम्‍मद अजहरुद्दीन, अमोल काले, निरंजन शाह, अनिरुद्ध चौधरी, रोजर बिन्‍नी और अरुण धूमल आदि मौजूद रहे. 


बीसीसीआई की एजीएम करीब दो घंटे तक चली. इस दौरान सभी प्रस्‍तावित संशोधन सर्वसम्‍मति से पारित कर दिए गए. अब इन प्रस्‍तावों को पास कराने के लिए बीसीसीआई सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख करेगा. अगर सुप्रीम कोर्ट की ओर से इसकी अनुमति मिल जाती है तो सौरव गांगुली का कार्यकाल बढ़ जाएगा.

आपको बता दें कि इससे पहले जब बीसीसीआई (BCCI) कोषाध्यक्ष अरुण धूमल से बात की गई थी, तब उन्‍होंने कहा था कि बोर्ड की आगामी वार्षिक आम बैठक (AGM) में पदाधिकारियों के 70 साल की उम्र सीमा को बदलने के बारे में विचार नहीं किया जाएगा, लेकिन कूलिंग आफ (दो कार्यकाल के बाद विश्राम का समय) के नियम को बदलने पर विचार किया जाएगा, क्योंकि इससे अधिकारियों के अनुभव का सही फायदा होगा. सौरव गांगुली के अध्यक्ष बनने के बाद पहली एजीएम के लिए जारी कार्यसूची में बोर्ड ने मौजूदा संविधान में महत्वपूर्ण बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है, जिससे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर आधारित सुधारों पर असर पड़ेगा.
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित नए कानून के मुताबिक बीसीसीबाई या राज्य संघों में तीन साल के कार्यकाल को दो बार पूरा करने वाले पदाधिकारी को तीन साल तक ‘कूलिंग आफ पीरियड’ में रहना होगा. बीसीसीआई के नए पदाधिकारी चाहते है कि ‘कूलिंग आफ’ का नियम उन पर लागू हो, जिन्होंने बोर्ड या राज्य संघ में तीन-तीन साल का दो कार्यकाल पूरा किया है, यानि बोर्ड और राज्य संघ के कार्यकाल को एक साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
धूमल ने पीटीआई से कहा था कि हमने उम्र की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया है. उसे पहले की तरह रहने दिया है. कूलिंग आफ पीरियड के मामले में हमारा मानना यह है कि अगर किसी ने राज्य संघ में काम का अनुभव हासिल किया है तो उस अनुभव का फायदा खेल के हित में होना चाहिए. अगर वह बीसीसीआई के लिए योगदान कर सकता है तो उसे ऐसा करना चाहिए. उन्होंने कहा, राज्य संघ में दो कार्यकाल पूरा करने के बाद अगर किसी का कूलिंग आफ पीरियड 67 वर्ष की उम्र में शुरू होता है तो इस अवधि के खत्म होने तक वह 70 साल का हो जाएगा और बीसीसीआई के लिए कोई योगदान नहीं कर सकेगा. बीसीसीआई चाहता है कि अध्यक्ष और सचिव को कूलिंग आफ से पहले लगातार दो कार्यकाल जबकि कोषाध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को तीन कार्यकाल मिलने चाहिए.
सौरव गांगुली की अगुवाई में वर्तमान पदाधिकारियों ने पिछले महीने ही पदभार संभाला था, जिससे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति का 33 महीने का कार्यकाल समाप्त हो गया था. उन्होंने कहा, आप ने पिछले महीने बीसीसीआई के चुनावों में देखा होगा. निर्वाचन नामावली में शामिल 38 सदस्यों में सिर्फ चार या पांच के पास इससे पूर्व किसी बैठक में शामिल होने का अनुभव था. ऐसे में किसी ने अगर राज्य संघ में अनुभव हासिल किया है तो उस अनुभव का लाभ बीसीसीआई को मिलना चाहिए. आपने एक चाल में कई राज्यों में सभी पदाधिकारियों को अयोग्य करार दिया. धूमल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने पहले भी लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों में छूट दी है जिसमें एक राज्य, एक वोट शामिल है. उन्होंने कहा, हम एजीएम में पारित हुए सभी संशोधनों को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रखेंगे. कुछ चीजों में हम व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं जिसके बारे में उन्हें अवगत कराएंगे. अगर न्यायालय हमारे संशोधनों से सहमत होता है तो हम उसे लागू करेंगे.
धूमल से जब पूछा गया कि अगर संशोधनों को मंजूरी मिल जाती है तो क्या लोढ़ा सुधार से समझौता किया जाएगा? तो उन्होंने कहा, कई सिफारिशों को सर्वोच्च न्यायालय ने खुद ही हटा दिया. वे समझ रहे थे कि एक राज्य एक वोट के संबंध में तकनीकी कठिनाइयां है. हमारे पास अधिकतर सिफारिशों को लेकर कोई समस्या नहीं है, लेकिन कुछ के साथ तकनीकी दिक्कतें हैं. सौरव गांगुली इस साल अक्तूबर में बीसीसीआई अध्यक्ष बनने से पहले 2015 से क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के अध्यक्ष थे. लोढ़ा पैनल की सिफारिशों के मुताबिक कोई भी पदाधिकारी छह साल से ज्यादा पद पर नहीं रह सकता. उसके बाद उसे कूलिंग ऑफ पीरियड में जाना होता है. इस दौरान वह बीसीसीआई और राज्य बोर्ड में कोई पदभार ग्रहण नहीं सकता. बोर्ड द्वारा इसी नियम को बदलने पर चर्चा होने की संभावना है.