लंदन में दिखाया जाएगा हॉकी का 50 साल का गौरवशाली इतिहास
लंदन में महिला हॉकी विश्व कप के आगाज के दिन 21 जुलाई को एलिजाबेथ ओलम्पिक पार्क में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। इस प्रदर्शनी में हॉकी के पांच दशकों के गौरवशाली सफर को दर्शाया जाएगा।
नई दिल्ली:
लंदन में महिला हॉकी विश्व कप के आगाज के दिन 21 जुलाई को एलिजाबेथ ओलम्पिक पार्क में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। इस प्रदर्शनी में हॉकी के पांच दशकों के गौरवशाली सफर को दर्शाया जाएगा।
लंदन में आयोजित होने वाली इस प्रदर्शनी में 1974 के पहले महिला विश्व कप से लेकर अगले 50 साल तक के दुर्लभ चित्रों को दर्शाया जाएगा, जिसमें ध्यानचंद के 50 साल पुराने हस्ताक्षरयुक्त चित्र होने के साथ ही उनकी तीसरी पीढ़ी की नेहा सिंह और तमाम हॉकी खिलाड़ियों और अहम घटनाओं के दुर्लभ चित्र भी होंगे।
इसके अलावा, इसमें ओलिम्पियन अशोक ध्यानचंद, पहली महिला हॉकी विश्व कप टीम की कप्तान अरजिंदर कौर, पूर्व कप्तान सूरजलता राजबीर कौर, ममता खरब और महिला हॉकी टीम के पूर्व भारतीय कोच बालकिशन सिंह, बी. एस भंगू, सत्येंद्र वालिया, कर्नल बलबीर और एम के कौशिक ने इस चित्र प्रदर्शनी की सफलता की कामना की है। लंदन नें महिला विश्व कप टूर्नामेंट का आयोजन 21 जुलाई से हो रहा है।
इस प्रदर्शनी के आयोजनकर्ता सुनील यश कालरा ने बताया कि इस फोटो प्रदर्शनी में हर दशक के सूरमा हॉकी खिलाड़ी और असल जीवन में 'चक दे इंडिया' की कहानी दिखती है।
उन्होंने कहा कि 1974 में महिलाओं का पहला विश्व कप घास पर हुआ था। तब संसाधनों की कमी थी। अरजिंदर कौर इस टीम की कप्तान थीं। वह इस प्रदर्शनी के उद्घाटन के मौके पर मुख्य अतिथि होंगी।
अरजिंदर कौर ने कहा, 'उस विश्व कप में हमने कैनवस के जूते और घर के सिले कपड़ों की जर्सी पहनी थी। यहां तक कि हमें बड़े आकार की हॉकी स्टिक दी गई थी। प्रदर्शनी में उस समय के चित्रों को खास तौर पर उभारा गया है लेकिन वहीं चार साल बाद हुए अगले विश्व कप में पॉलीग्रास आने से पूरा ²श्य बदल गया।
एशियाड में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम की कप्तान और पद्मश्री एलीजा नेलसन ने कहा कि पॉलीग्रास पर गेंद कैसे रुकती है, कैसे आती है, हमें तब पता ही नहीं चलता था। इस विश्व कप के चित्रों में भी एक बड़ा बदलाव देखा जा सकता है।"
पूर्व ओलिम्पियन अशोक ने कहा कि 1928 में ध्यानचंदजी सहित पूरी टीम ने पहली बार ओलिम्पिक हॉकी में भाग लेकर स्वर्णिम सफलता हासिल करके भारतीय हॉकी को नई दिशा दी। उन्होंने कहा कि ध्यानचंद परिवार के नौ सदस्यों का राष्ट्रीय टीम और राष्ट्रीय स्तर पर खेलना और तीसरी पीढ़ी में नेहा सिंह और प्रिया राठौर का इस खेल को शिद्दत से अपनाना अपने आप में बड़ी उपलब्धि रही। वह भारतीय हॉकी से जुड़े हर चित्र को इस प्रदर्शनी में उभारे जाने से बेहद खुश हैं और इस प्रदर्शनी की कामयाबी के लिए शुभकामनाएं देते हैं।
इस प्रदर्शनी को लगाने वाले सुनील प्रो-स्पोटीर्फाई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। महिला क्रिकेट टीम के इतिहासकार होने के अलावा इनकी पुस्तक 'वुमैंस क्रिकेट वल्र्ड कप' काफी चर्चित रही है। उन्हें 'द हॉकी म्यूजि़यम' लंदन, से इस प्रदर्शनी को आयोजित करने के लिए न्योता मिला था। वह इससे पहले चेन्नई में चैम्पियंस ट्रॉफी और 2010 में दिल्ली, लखनऊ और चंडीगढ़ में चित्र प्रदर्शनी लगा चुके हैं।
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