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CWG 2018: सिंधु, साइना श्रीकांत और प्रणय है भारत के 'गोल्डन' प्लेयर्स

4 अप्रैल से ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में शुरू होने वाले राष्ट्रमंडल खेल में भारत को मेडल की उम्मीद तो हर खेल और खिलाड़ी से है लेकिन बैडमिंटन खिलाड़ियों से कुछ ज्यादा ही अपेक्षाएं हैं।

Updated on: 04 Apr 2018, 01:20 PM

नई दिल्ली:

4 अप्रैल से ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में शुरू होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को मेडल की उम्मीद तो हर खेल में हर खिलाड़ी से है लेकिन बैडमिंटन खिलाड़ियों  से कुछ ज्यादा ही अपेक्षाएं हैं।

यह अपेक्षाएं स्वभाविक भी है क्योंकि पिछले दिनों भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों ने पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन किया है। साइना नेहवाल, पीवी सिंधू, श्रीकांत किदम्बी और एच एस प्रणय पर इस बार सबकी नजरें टिकी रहेगी।

महिला एकल वर्ग में पीवी सिंधु और साइना नेहवाल ने पिछले 2 साल में अपने प्रदर्शन के दम पर कई बड़े टूर्नामेंट में लोहा मनवाया है तो वहीं पुरुष एकल वर्ग में के श्रीकांत और एच एस प्रणय ने कई पदक जीते।

आईए एक नज़र डालते हैं भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों पर जिनसे बेहद उम्मीदें हैं।

पीवी सिंधु

राष्ट्रमंडल खेल 2018 में बैडमिंटन में अगर सबसे ज्यादा उम्मीद किसी खिलाड़ी से है तो वह पीवी सिंधु हैं। इस बार सिंधु और गोल्ड मेडल के बीच अगर कोई चीज रुकावट बन सकती है तो बस उनकी फिटनेस जिससे वह पिछले कुछ दिनों से जूझ रही है।

वर्ल्ड बैडमिंटन में तीसरे नंबर पर काबिज सिंधु ने इस साल बेहतरीन प्रदर्शन किया है, हालाकि कई बड़े टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में सिंधु खिताब जीतने से चूक गई और उन्हें सिल्वर मेडल से संतुष्ट होना पड़ा।

इस साल सिंधु ने ऑल इंग्लैंड ओपन के सेमीफाइनल में जगह बनाई लेकिन वहां वह जापानी खिलाड़ी से हार गईं। इसके बाद इंडियन ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट के फाइनल में एक बार फिर उनसे चूक हुई और अमरीका की झांग बीवेन के हाथों हारीं।

रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता पीवी सिंधु इस बार किसी भी तरह के चूक से बचना चाहेगी और भारत के लिए महिला एकल वर्ग में गोल्ड मेडल जीतने की पूरी कोशिश करेंगी।

साइना नेहवाल

साइना, वह नाम है जिसने भारतीय दर्शकों का ध्यान बैडमिंटन की तरफ खीचा था। साइना के साथ भी उनकी फिटनेस एक बड़ी समस्या रही है। 2010 में चैंपियन बनने के बाद वह लगातार अपनी फिटनेस की वजह से बड़े से बड़े टूर्नामेंट से बाहर ही रही ।

उनके हालिया उपलब्धि के बारे में बात करें तो पिछले साल राष्ट्रीय चैंपियनशिप के फाइनल में पीवी सिंधू को हराकर अपना उन्होंने अपना दमख़म दिखाया था। इसके साथ ही साल 2017 में उन्होंने मलेशिया मास्टर्स भी जीता था।

पिछली बार साल 2014 के ग्लास्गो में हुए राष्ट्रमंडल खेल में साइना नेहवाल को कोई पदक नही मिला था मगर इस बार भारत को उनसे बहुत उम्मीद है।

पुरुष एकल वर्ग में भारतीय दर्शकों की उम्मीद श्रीकांत और एच एस प्रणय है।

श्रीकांत
श्रीकांत इस समय भारतीय पुरुष बैडमिंटन की शान हैं। उनकी विश्व रैंकिंग फिलहाल 2 है। साल 2017 में श्रीकांत ने सभी बड़े टूर्नामेंट जैसे फ्रेंच ओपन, डेनमार्क ओपन, ऑस्ट्रेलियन ओपन और इंडोनेशिया ओपन में खिताब जीता। यह रिकॉर्ड किसी अन्य बैडमिंटन खिलाड़ी के नाम नहीं है।

श्रीकांत हाल में ही इंडियन ओपन और ऑल इंग्लैंड ओपन में बेहतर नहीं कर पाए लेकिन ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में होने वाले राष्ट्रमंडल खेल 2018 में उनसे खिताब भारत लाने की उम्मीद हर कोई कर रहा है।

एच एस प्रणय

साल 2017 के अमरीकी ओपन विजेता एच एस प्रणय बड़े टूर्नामेंट में उलटफेर करने का माद्दा रखते हैं। यह उनका पहला राष्ट्रमंडल खेल है। हाल में ही उन्होंने ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे।

पहले राष्ट्रमंडल खेल में एच एस प्रणय से भारत को बड़े उलेटफेर करने की उम्मीद है।

भारतीय बैडमिंटन टीम इस प्रकार है

महिला एकल
पीवी सिंधू
साइना नेहवाल
रुथविका शिवानी गाडे

महिला युगल
अश्विनी पोनप्पा और एन सिकी रेड्डी

मिश्रित युगल
अश्विनी पोनप्पा और सात्विक साईराज रैंकी रेड्डी
एन सिकी रेड्डी और प्रणव चोपड़ा

पुरुष वर्ग एकल वर्ग
के. श्रीकांत
एच एस प्रणय

पुरुष युगल वर्ग
सात्विक साईराज रैंकी रेड्डी और चिराग शेट्टी

भारत ने अब तक बैडमिंटन में कुल 19 पदक जीते हैं, जिसमें कुल 5 गोल्ड मेडल है। भारत को सबसे पहला गोल्ड बैडमिंटन में प्रकाश पादुकोण ने 1978 में जीती थी। इसके बाद 1982 में सैयद मोदी ने भारत को बैडमिंटन का दूसरा गोल्ड दिलाया था। इसके बाद 2010 में जब दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल हुआ तो साइना ने भारत को तीसरा गोल्ड दिलाया। इसी साल महिला डबल्स में ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की जोड़ी ने भी स्वर्ण पदक जीता। यह भारत का चौथा गोल्ड था।

इसके अलावा पांचवां गोल्ड भारत को 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में मिला। पारुपल्ली कश्यप ने भारत को पांचवां स्वर्णिम कामयाबी दिलाई।

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