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भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 लोकसभा में पास, जानिए किसने क्या कहा...

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विधेयक को पिछले सत्र में सदन में पेश किया था जिसमें कुल 100 करोड़ रुपए अथवा अधिक के ऐसे अपराध करने वालों पर कानून के शिकंजे में लाने के लिए उनकी संपत्ति जब्त करने का प्रावधान रखा है यह विधेयक उसका स्थान लेगा।

Updated on: 19 Jul 2018, 07:31 PM

नई दिल्ली:

भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 लोकसभा में पास हो गया है। इससे पहले गुरुवार को वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने यह विधेयक लोसकभा में प्रस्तुत किया जिसे विपक्ष ने स्थायी समिति में भेजने की मांग की।

बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विधेयक को पिछले सत्र में सदन में पेश किया था जिसमें कुल 100 करोड़ रुपए अथवा अधिक के ऐसे अपराध करने वालों पर कानून के शिकंजे में लाने के लिए उनकी संपत्ति जब्त करने का प्रावधान रखा है यह विधेयक उसका स्थान लेगा।

वहीं एआईएडीएमके (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) के टी जी वेंकटेश बाबू ने कहा कि आर्थिक भगोड़ों की विदेशों में स्थिति संपत्तियों को जब्त करने के संबंध में विधेयक में कोई बात नहीं कही गयी है। उन्होंने कहा कि अपराध करने वालों के लिए बाद में कार्रवाई के प्रावधान से ज्यादा जरूरी पहले ही एहतियाती कदम उठाना है। बाबू ने कहा कि बैंकों को भी अपने कर्ज की भरपाई और चूककर्ताओं की संपत्ति तेजी से जब्त करने के अधिक अधिकार मिलने चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि विधेयक के उद्देश्य और कारणों में 100 करोड़ रुपये या इससे अधिक का कर्ज लेकर भाग जाने वालों के संबंध में कार्रवाई की बात कही गयी है लेकिन मुख्य विधेयक में इस बारे में कुछ नहीं कहा गया। सरकार को इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अच्छी बात होगी यदि सरकार 100 करोड़ रुपये की सीमा को हटा दे और एक रुपये भी बैंक का लूटकर जाने वालों पर यह कानून लागू होना चाहिए। उन्होंने विधेयक को केवल 'दिखावटी' होने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसके मसौदे में बहुत गड़बड़ियां हैं।

उन्होंने कहा कि भगोड़े आर्थिक अपराधियों के विरुद्ध पहली इस प्रकार का कठोर प्रावधान वाला विधेयक लाया गया है। उम्मीद है कि इससे लोग ना केवल अपराध करने से डरेंगे बल्कि अपराध करके फरार हुए आरोपी कानून का सामना करने के लिए लौटेंगे।

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रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन अध्यादेश के खिलाफ अपना सांविधिक संकल्प पेश करते हुए कहा कि सरकार विभिन्न मामलों में अध्यादेश ला रही है जो गलत परंपरा है। सरकार तीन माह में छह अध्यादेश ला चुकी है। इसलिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए।

बीजेडी (बीजू जनता दल) के तथागत सतपथी ने कहा कि विधेयक से पहले अध्यादेश का लाना अलोकतांत्रिक तरीका है। इससे बचना चाहिए। नये कानून के बजाय पुराने मौजूदा कानूनों को ही दुरुस्त करने पर ध्यान देना चाहिए।

शिवसेना के श्रीकांत शिंदे ने कहा कि करोड़ों रुपये का कर्ज लेकर उसे चुकाए बिना भाग जाने वालों पर धरपकड़ के लिए ऐसा सख्त कानून जरूरी था। इससे बैंकिंग तंत्र को भी मजबूती मिलेगी।

तेलंगाना राष्ट्र समिति के कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी ने कहा कि विधेयक में 100 करोड़ रुपये की सीमा नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह विधेयक व्यापक स्वरूप में नहीं हैं और इसमें कई खामियां हैं जिन्हें दूर किया जाना चाहिए। माकपा के एम बी राजेश ने कहा कि अगर सरकार आर्थिक भगोड़े अपराधियों के खिलाफ गंभीर कदम उठा रही है तो हमारी पार्टी इसका स्वागत करेगी लेकिन यह विधेयक दिखावटी लगता है।

राकांपा (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) की सुप्रिया सुले ने कहा कि ऐसे विषयों पर सदन में सकारात्मक चर्चा होनी चाहिए।

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