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अविश्वास प्रस्ताव : TDP ने कहा, यह नैतिकता और बहुमत के बीच की लड़ाई

तेदेपा ने कहा कि वह 'नैतकिता और बहुमत' के बीच की लड़ाई लड़ रही है। लोकसभा में बहस की शुरुआत करते हुए, तेदेपा के सदस्य जयदेव गल्ला ने कहा कि 2014 में आंध्र प्रदेश के 'अवैज्ञानिक विभाजन' के बाद से राज्य के साथ न्याय नहीं किया गया।

Updated on: 20 Jul 2018, 04:14 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पूर्व सहयोगी और भाजपानीत सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देकर राज्य को 'धोखा देने' का आरोप लगाया।

तेदेपा ने कहा कि वह 'नैतकिता और बहुमत' के बीच की लड़ाई लड़ रही है। लोकसभा में बहस की शुरुआत करते हुए, तेदेपा के सदस्य जयदेव गल्ला ने कहा कि 2014 में आंध्र प्रदेश के 'अवैज्ञानिक विभाजन' के बाद से राज्य के साथ न्याय नहीं किया गया।'

गल्ला ने कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, माकपा और एआईएमआईएम को प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया।

गल्ला ने कहा कि आंध्र प्रदेश के लोग अधूरे वादे से थक गए हैं और यह प्रस्ताव संसद के लिए किए गए वादे को निभाने का लिटमस टेस्ट है।

उन्होंने कहा कि यह पहली बार हो रहा है कि पहली बार निर्वाचित हुए सांसद को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का मौका मिला है।

उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों के लिए न्याय प्राप्त करना एक 'धर्म युद्ध' है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आंध्र प्रदेश के पार्टी नेताओं को मार्च में तेदेपा के खिलाफ युद्ध छेड़ने को कहा था।

गल्ला ने कहा, 'यह अब भाजपा और तेदेपा के बीच युद्ध है। यह बहुमत और नैतिकता के बीच युद्ध है। यह मोदी सरकार ओर आंध्र प्रदेश के 5 करोड़ लोगों के बीच युद्ध है।'

उन्होंने कहा, 'यह आंध्र प्रदेश के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा किए गए भेदभाव के विरुद्ध युद्ध है, यह संसद में प्रधानमंत्री द्वारा किए गए वादे के खिलाफ युद्ध है, यह मोदी सरकार के सत्तावादी कपटपूर्ण रवैये और राज्य के अधिकारों के बीच युद्ध है। यह धर्म युद्ध है।'

गुंटुर के सांसद गल्ला ने कहा कि लोग खाली आश्वासन और अपूर्ण प्रतिबद्धताओं से परेशान हो गए हैं।

उन्होंने कहा, 'यह कहना सही नहीं है कि आंध्र प्रदेश का मुद्दा राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है। यह राज्य के लोगों के लिए एक भावुक मुद्दा भी है।'

गल्ला ने कहा, 'हमें राहत की जरूरत है, लेकिन मोदी सरकार हमारे सामने नई चुनौतियां पेश कर रही है।'

आंध्र को विभाजित कर बनाए गए राज्य तेलंगाना के सांसदों की टोका-टाकी के बीच गल्ला ने कहा कि राज्य को विशेष दर्जा देने का वादा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2014 में राज्यसभा में किया था।

उन्होंने मोदी से पूछा, 'क्या आपके पास आपके पूर्ववर्ती के द्वारा किए गए वादे के लिए कोई आदर है ।'

उन्होंने 2014 लोकसभा चुनाव रैली के दौरान मोदी के चुनावी भाषणों का हवाला दिया और कहा कि भाजपा नेता ने लोगों से पूछा था कि क्या वे हमें वोट देकर स्वच्छ और भ्रष्टाचार मुक्त आंध्र प्रदेश चाहते हैं या फिर विपक्षी पार्टी को वोट देकर राज्य को भ्रष्टाचार में धकेलना चाहते हैं।

2014 में तेदेपा और भाजपा के बीच गठबंधन था।

उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री, जिन पर हम काफी विश्वास करते थे, ने राज्य को धोखा दिया।'

गल्ला ने विशेष राज्य के मुद्दे पर भाजपा पर रुख बदलते रहने का आरोप लगाते हुए कहा, 'अगर आंध्र के लोगों के साथ धोखा हुआ तो भाजपा भी राज्य में कांग्रेस की तरह मिट जाएगी। श्रीमान प्रधानमंत्री, यह कोई धमकी नहीं है, यह एक श्राप है।'

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