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राज्यसभा में विपक्ष प्रवर समिति के पास भेजना चाहता है तीन तलाक विधेयक

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा, 'यह काफी महत्वपूर्ण बिल है जो सकारात्मक और नकारात्मक तरीके से लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा. इसलिए तीन तलाक़ बिल को बिना सिलेक्ट समिति के पास भेजे पास कराना ठीक नहीं है.'

Updated on: 31 Dec 2018, 03:08 PM

नई दिल्ली:

तीन तलाक़ बिल सोमवार को राज्यसभा में पेश तो हुई लेकिन विपक्ष के हंगामें के बीट सदन की कार्यवाही 2 जनवरी सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है. इससे पहले सभी विपक्षी दलों ने एक सुर में तीन तलाक़ बिल पर विचार-विमर्श के लिए प्रवर समिति को सौंपने की मांग की. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा, 'यह काफी महत्वपूर्ण बिल है जो सकारात्मक और नकारात्मक तरीके से लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा. इसलिए तीन तलाक़ बिल को बिना सिलेक्ट समिति के पास भेजे पास कराना ठीक नहीं है.'  

वहीं टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, 'सभी विपक्षी दल सर्वसम्मति से चाहते हैं कि इस बिल को पास कराने से पहले सिलेक्ट कमिटी के पास भेजी जाए.'  

केंद्र सरकार द्वारा राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पेश करने से पहले विपक्षी दलों ने सोमवार को एक बैठक की और विधेयक को आगे के विचार-विमर्श के लिए प्रवर समिति को सौंपने की मांग करने का फैसला किया.

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद की अध्यक्षता में संसद भवन के उनके चैंबर में बैठक हुई, जिसमें समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ'ब्रायन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा और केरल कांग्रेस के जोस के मणि सहित 12 विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया.

बैठक में मौजूद सूत्रों ने कहा कि बैठक में शामिल अधिकांश दलों ने कहा कि विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने की जरूरत है.

द्रमुक नेता व राज्यसभा सदस्य के कनिमोझी ने कहा कि उनकी पार्टी का रुख तीन तलाक के 'अपराधीकरण' के खिलाफ पहले जैसा बना हुआ है.

उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'हम तलाक बोलने पर जेल की सजा के विरोध में हैं. यहां तक कि इस्लामिक सिद्धांत भी तत्काल तीन तलाक की अनुमति नहीं देते हैं. हम विधेयक के खिलाफ मतदान करेंगे और यह द्रमुक का रुख है कि इसे (विधेयक को) विचार के लिए प्रवर समिति को भेजा जाए.'

तेलुगू देशम पार्टी (TDP) प्रमुख व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपने सभी सांसदों से मुसलमानों के उत्पीड़न को रोकने की अपील की.

उन्होंने कहा, "सभी विपक्षी दलों को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के मुस्लिम विरोधी रवैये के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना चाहिए. सरकार द्वारा जबरन तीन तलाक विधेयक लागू करने की कोशिश करना धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय अखंडता के लिए एक खतरा है."

सरकार यह जानते हुए कि राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पारित होना आसान नहीं है, इसे प्राथमिकता देते हुए सोमवार को ऊपरी सदन में लेकर आई.

मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 को ऊपरी सदन में सूचीबद्ध किया गया है, जहां विपक्ष की संख्या अधिक है और BJP के प्रति मित्रता का रुख रखने वाली पार्टी अन्नाद्रमुक ने भी इस विधेयक का विरोध किया है.

लोकसभा में यह विधेयक कांग्रेस, अन्य विपक्षी दलों के विरोध व अन्नाद्रमुक के वॉक आउट के बावजूद पारित हो चुका है और सरकार ने इसे प्रवर समिति के पास भेजने से इनकार कर दिया था.

कांग्रेस के अलावा, अन्नाद्रमुक, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने भी लोकसभा में विधेयक का विरोध किया. इस दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन में BJP अध्यक्ष अमित शाह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ एक बैठक भी की.

भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस ने अपने राज्यसभा सदस्यों को व्हिप जारी किया है. राज्यसभा में बहुमत नहीं होने की स्थिति में BJP को विधेयक पारित होने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

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एक जनवरी को रहेगा राज्यसभा में अवकाश

नए वर्ष के मौके पर राज्यसभा में एक जनवरी को अवकाश रहेगा और इसकी घोषणा सोमवार को सुबह उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर की गयी. उपसभापति हरिवंश ने सदन में सदस्यों की सहमति से एक जनवरी को अवकाश की घोषणा की. साथ ही उन्होंने सदस्यों से शीतकालीन सत्र के महज पांच कार्यदिवस शेष रहने का हवाला देते हुये सोमवार को सदन की बैठक सुचारु रूप से चलने देने का अनुरोध किया.

उल्लेखनीय है कि शीतकालीन सत्र आठ जनवरी तक निर्धारित है. इस सत्र में विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित चल रही है. जरूरी दस्तावेज सदन पटल पर रखे जाने के बाद संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि सुबह सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक में एक जनवरी को अवकाश रखे जाने की मांग की गयी.

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गोयल ने भी इस सत्र में सिर्फ पांच दिन शेष रहने का हवाला देते हुये सभी दलों से सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलने देने का अनुरोध किया.

IANS इनपुट के साथ..