वंदे मातरमः दो शब्दों से संसद में मच गया बवाल, 7 अक्षरों पर क्यों उठे सवाल
वंदे मातरम यानी 2 शब्द और इनमें शामिल 7 अक्षरों ने मंगलवार को संसद में बवाल मचा दिया.
नई दिल्ली:
वंदे मातरम (Vande Mataram) यानी 2 शब्द और इनमें शामिल 7 अक्षरों ने मंगलवार को संसद में बवाल मचा दिया. इसको लेकर एक बार फिर संसद गर्म है. कोई इसे इस्लाम के खिलाफ बता रहा है तो कोई कह रहा है इसकी मनाही नहीं है. 17वीं लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन भी नव निर्वाचित सांसदों के शपथ लेने के दौरान हंगामा हो गया. हंगामे की वजह बना 'वंदे मातरम्'. लोकसभा में उत्तर प्रदेश से निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई जा रही थी. इस कड़ी में लोकसभा महासचिव ने संभल से चुने गए सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क (Shafiqur Rahman Barq) को शपथ दिलाई. उर्दू में शपथ लेने के बाद बर्क ने कहा कि भारत का संविधान जिंदाबाद लेकिन जहां तक वंदे मातरम का सवाल है यह इस्लाम के खिलाफ है और हम इसका पालन नहीं कर सकते. सांसद के यह कहते ही सदन में जोर-जोर से शेम-शेम के नारे गूंजने लगे.
वंदे मातरम् : वंदे मातरम विवाद को लेकर दारुलउलूम देवबंद भी पहले कई बार अपना रुख साफ़ कर चुका है , दारुलउलूम देवबंद के मुताबिक़ वन्दे मातरम में वंदना का मतलब इबादत है और मुसलमान सिर्फ अल्लाह की इबादत करता है . मुसलमान सबका एहतराम कर सकते हैं लेकिन अल्लाह के सिवाय किसी की इबादत नहीं कर सकते और वन्दे मातरम में सीधे वंदना (इबादत) होती हैं.
भारत माता की जय : भारत माता की जय मामले में भी कई बार विवाद की स्थिति बनी है , एतराज़ की वजह भारत माता शब्द को लेकर है , क्योंकि भारत माता बोलते वक़्त बोलने वाले के ज़ेहन में एक मूर्ति ( काल्पनिक भारत माता ) की छवि गढ़ती है , जबकि इस्लाम में किसी भी तरह की मूर्ति पूजा जायज़ नहीं है , न ही उसका जयकारा लगाना ही सही है
लोकसभा में 8 मई 2013 को वंदे मातरम् पर हुआ था विवाद
लोकसभा में 8 MAY 2013 को वंदे मातरम के अपमान मामले पर बीएसपी सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने ऐसा बहाना दिया जिससे विवाद खड़ा हो गया था . उन्होंने कहा कि इस्लाम के खिलाफ है वंदे मातरम इसलिए वह लोकसभा छोड़कर चले गए थे.
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बीएसपी सांसद ने कहा था, ‘यह हमारे धर्म के खिलाफ है, इसलिए अगर भविष्य में भी ऐसी स्थिति आई तो मैं वही करूंगा, जो आज किया है. जहां तक देश की आन-बान की बात है तो मैं इसके लिए अपनी जान भी कुर्बान करने को तैयार हूं.’
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इस पर तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कडी़ आपत्ति जताई थी और बीएसपी सांसद को भविष्य में ऐसा दोबारा नहीं करने की हिदायत दी थी. लोकसभा में 8 MAY 2013 को 12 बजे दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो हंगामा शुरू हो गया था. इस बीच मीरा कुमार ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये और अध्यक्ष के आसन के समीप नारेबाजी कर रहे सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने का अनुरोध किया.
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सदन में शोर शराबा रुकने पर उन्होंने सदस्यों से राष्ट्रगीत के लिए खडे़ होने को कहा. राष्ट्रगीत की धुन शुरू होते ही बीएसपी सांसद सदन से उठ कर चले गए. राष्ट्रगीत की धुन पूरी होने के बाद तत्कालीन अध्यक्ष ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राष्ट्रगीत के दौरान एक सदस्य सदन से चले गए. यह बहुत गंभीर मामला है. उन्होंने कहा कि वह जानना चाहती हैं कि ऐसा क्यों हुआ और भविष्य में ऐसा कतई नहीं होना चाहिए?
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