Vijay Diwas: 1971 युद्ध में इंदिरा गांधी का रहा था महत्वपूर्ण योगदान
ये 1971 के युद्ध की वो कहानी है जिसने पाकिस्तान के वजूद पर अपना प्रश्नचिन्ह लगा दिया और दुनिया को भारत ने दिखा दिया अपनी सैन्य शक्ति का दम.
नई दिल्ली:
Vijay Diwas: देश की सबसे ताकतवर महिला और पहली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे. ये 1971 के युद्ध की वो कहानी है जिसने पाकिस्तान के वजूद पर अपना प्रश्नचिन्ह लगा दिया और दुनिया को भारत ने दिखा दिया अपनी सैन्य शक्ति का दम.
क्यों हुआ था युद्ध
दरअसल भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय पाकिस्तान दो भागों में बना था, एक था पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान. पूर्वी पाकिस्तान को आज हम बांग्लादेश के लिए जाने जाते हैं.
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पूर्वी पाकिस्तान पर पश्चिमी पाकिस्तान में बैठी पाकिस्तान की केंद्र सरकार और सेना हुक्म चला रही थी और पूर्वी पाकिस्तान पर भाषाई और सांसकृतिक पाबंदियां थोप रही थी.
1970 में हुए आम चुनाव में पश्चिमी पाकिस्तान में चुनाव जीतने वाले जुल्फिकार अली भुट्टो ने सेना की मदद से पूर्वी पाकिस्तान में शेख मुजीबुर रेहमान को प्रधानमंत्री बनने से रोका. इसी के चलते पूर्वी पाकिस्तान ने पश्चिमी पाकिस्तान का षडयंत्र पता चल गया और तब शेख मुजीबुर रेहमान को 7 मार्च 1971 को एक अलग आजाद राष्ट्र बनाने की घोषणा की. लेकिन पाकिस्तानी आर्मी ने 25 मार्च 1971 को शेख मुजीबुर रेहमान को गिरफ्तार कर पश्चिमी पाकिस्तान ले गए. इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने विद्रोह कर दिया फिर इसी विद्रोह को दबाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन सर्च लाइट शुरू कर दिया. इस ऑपरेशन में पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर भयंकर जुल्म ढाने लगे. पाकिस्तानी सेना के इस जुल्म के कारण पूर्वी पाकिस्तान के करीब 10 लाख लोग भारत की सीमा में घुसे और बिहार, बंगाल, असम और उड़ीसा के राज्यों में पहुंच गए जिससे उस राज्य की शांति भंग हो गई.
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जब इंदिरा गांधी ने लिेया कड़ा एक्शन
इस बात से परेशान भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमेरिका से हुई मीटिंग में अपना रूख साफ किया कि अगर अमेरिका पाकिस्तान को नहीं रोकेगा तो भारत को पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई करनी पड़ेगी लेकिन पाकिस्तान ने इसे इंटरनल मैटर बता रहा था. आखिरकार 25 अप्रैल 1971 को इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया. भारत के तत्कालीन थल सेना अध्यक्ष सैम मानिक शॉ ने पहले तो युद्ध के लिए मना किया जिसका उन्होंने तर्क दिया कि बारिश का मौसम था जिससे भारत की सेना फंस सकती थी और दूसरी तरफ अगर चीन भारत पर हमला कर सकता है. लेकिन भारत ने अभी से युद्ध की तैयारी शुरू कर दी और कूटनीतिक रुप से इंदिरा गांधी ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी घेराबंदी शुरू कर दी.
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लेकिन भारत ने अभी भी युद्ध शुरू नहीं किया था. लेकिन पाकिस्तान ने तब गलती कर दी जब 3 दिसंबर 1971 को भारत के एयरफोर्स को नुकसान पहुंचाने के लिए पाकिस्तान ने हमला कर दिया और शुरू हो गया 1971 का भारत पाक युद्ध शुरू हो गया.
अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद के लिए अपे सेवंथ फ्लीट बेड़े को हिंद महासागर में डियेगो गार्सिया तक भेज दिया था, लेकिन जैसे ही भारत ने रूस के साथ समझौता किया,रूस ने भारत की मदद के लिए अपनी न्यू्क्लियर सब मरीन भेजी थी. जो भारत के लिए मददगार साबित हुई थी. अंत में भारत पर हमला करने का सबक पाकिस्तान को सिखा दिया गया और भारत की मदद से बांग्लादेश का उदय हुआ.
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