Vijay Diwas: 1971 भारत-पाकिस्तान जंग की पूरी कहानी, जानिए कैसे चंद घंटों में हार गया पाकिस्तान
बांग्लादेश के जनक माने जाने वाले शेख मुजीब उर रहमान जिन्हें लोग 'बंगबंधु' के नाम से भी जाने जाते थे, ने 25 मार्च 1971 की आधी रात में पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी की घोषणा कर दी और वहां मुक्ति युद्ध शुरू हुो गया.
highlights
- भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद से ही पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान में काफी आतंक मचा रखा था.
- बांग्लादेश के जनक माने जाने वाले शेख मुजीब उर रहमान को पाकिस्तानी सेना ने आधी रात को गिरफ्तार कर लिया था.
- पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में विद्रोह को दबाने के लिए करीब 1 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया.
नई दिल्ली:
Vijay Diwas 16 December 1971: भारत-पाकिस्तान विभाजन (India-Pakistan Division) के बाद से ही पाकिस्तान (Pakistan) ने पूर्वी पाकिस्तान (Eastern Pakistan) में काफी आतंक मचा रखा था. पूर्वी पाकिस्तान में मानवता को पैरों तले रौंद रही थी पाकिस्तानी सेना (Pakistani Amry), तब भारत (India) ने पूर्वी पाकिस्तान की मदद की और उसे पाकिस्तानी सेना के आंतक से रिहा करा कर बांग्लादेश नाम दिया गया.
बांग्लादेश के जनक माने जाने वाले शेख मुजीब उर रहमान जिन्हें लोग 'बंगबंधु' के नाम से भी जाने जाते थे, ने 25 मार्च 1971 की आधी रात में पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी की घोषणा कर दी और वहां मुक्ति युद्ध शुरू हुो गया.
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इस विद्रोह का दमन करने के लिए पाकिस्तानी सेना ने 'Operation Searchlight' चलाते हुए आम जनता पर काफी जुल्म ढाए और पू्र्वी पाकिस्तान में उसके अभियान में 1 लाख से ज्यादा लोग मारे गए. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान (Pakistan) को भारत के हाथों एक बड़ी सैन्य हार का सामना करना पड़ा. उस वक्त जहां पाकिस्तान की कमान सैन्य तानाशाह याहया खान के हाथ में थी वहीं भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) बैठी थीं.
पाकिस्तान के तत्कालीन सैनिक तानाशाह याहिया खान ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान में इस आंदोलन को कुचलने का आदेश दिया. इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने क्रांतिकारी नेता शेख़ मुजीब को गिरफ़्तार कर लिया. जिससे डरकर कई शरणार्थी लगातार भारत आने लगे. पाकिस्तानी सेना वहां की जनता पर लगातार अमानवीय कृत्य कर रही थी. पाकिस्तानी सेना ने महिलाओं के साथ रेप किया, मर्डर किया और लोगों को प्रताड़ित करने लगी. आखिरकार हार मानकर भारत को इस युद्ध में उतराना ही पड़ा.
युद्ध छेड़ने से पहले भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर बांग्लादेश की रिफ्यूजी समस्या को जोरदार ढंग से उठाया था. वहीं पाकिस्तान को उम्मीद थी कि इस युद्ध में अमेरिका और चीन उसकी मदद करेंगे. क्योंकि अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद के लिए अपे सेवंथ फ्लीट बेड़े को हिंद महासागर में डियेगो गार्सिया तक भेज दिया था, लेकिन जैसे ही भारत ने रूस के साथ समझौता किया,रूस ने भारत की मदद के लिए अपनी न्यू्क्लियर सब मरीन भेजी थी. जो भारत के लिए मददगार साबित हुई थी.
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इस जंग में भारत ने पूर्वी पाकिस्तान में तेजी से वॉर कर तीन दिन में ही एयर फोर्स और नेवल विंग को तबाह कर दिया. इस वजह से पूर्वी पाकिस्तान की राजधानी ढाका में पैराट्रूपर्स आसानी से उतर गए, जबकि जनरल एएके नियाजी को 48 घंटे के बाद इस बात का पता चला.
इस दौरान पाकिस्तान की सबसे कमजोर कड़ी थी वो था उसका केंद्र. इस वजह से कोई फैसला नीच तक आने में समय लगता था. पाकिस्तान की केंद्र यानी की सेना प्रमुख जो भी फैसला लेते थे उसे जमीन तक आने में काफी ज्यादा समय लगता था. जबकि भारत की ओर से ऐसा नहीं था, भारत में चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ मानेकशाॅ ने फैसले लेने का पावर दोनों कोर कमांडरों को दिया था. जिससे भारतीय सेना तेजी से निर्णय लेकर पाकिस्तानी सेना पर हमले कर रही थी. पश्चिमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान में 'क्रेक डाउन' शुरू कर दिया.
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इस युद्ध में पाकिस्तान को भारत की स्ट्रैटेजी तक का पता नहीं चला. पाकिस्तान की सेना को ये भी भरोसा नहीं हुआ कि भारत की सेना नदियों को पार कर ढाका तक पहुंच जाएगी. भारत ने पाकिस्तान पर अचूक वार करके पाकिस्तान की कमर तोड़ दी.
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