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Vijay Diwas, 1971 War: भारतीय वायुसेना का वो ऑपरेशन जिसने मजह 3 मिनट में तोड़ दी पाकिस्तान की कमर

जब भारत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Former Prime Minister Indira Gandi) की अगुवाई में तरक्की कर रहा था, उसी वक्त पूर्वी पाकिस्तान (Eastern Pakistan) में पाकिस्तानी सेना आम जनता पर जुल्मों सितम कर रही थी.

Updated on: 13 Dec 2019, 06:22 PM

highlights

  • 1971 War में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी. 
  • महज 3 मिनट में भारतीय वायुसेना के जवानों ने गर्वनर हाउस में सैकड़ों बम गिरा दिए थे. 
  • 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने 93000 सैनिकों के साथ भारत के सामने आत्म समर्पण कर दिया.

नई दिल्‍ली:

Vijay Diwas 16 December 1971, India-Pakistan War: जब भारत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Former Prime Minister Indira Gandi) की अगुवाई में तरक्की कर रहा था, उसी वक्त पूर्वी पाकिस्तान (Eastern Pakistan) में पाकिस्तानी सेना आम जनता पर जुल्मों सितम कर रही थी. पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए और पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को पाकिस्तानी सेना के जुल्मों से मुक्ति दिलाने के लिए भारत को पाकिस्तान से युद्ध करना पड़ा.

दरअसल पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लादेश बनने के सफर में भारतीय वायु सेना का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा था. बीबीसी की रिपोर्ट अनुसार, पाकिस्तान भारतीय वायुसेना ने महज तीन मिनट में ही पाकिस्तान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करने का किस्सा बेहद रोचक है.

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ऐसे हुआ पूरा ऑपरेशन
गुवाहाटी में मौजूद भारतीय एयरफोर्स के विंग कमांडर बीके बिश्नोई को ढाका स्थित सर्किट हाउस पर हमला करने का आदेश मिला. खबर थी कि इस बैठक में पाकिस्तानी प्रशासन के सभी आला अधिकारियों को हिस्सा लेना था. बिश्नोई के पास कोई मैप नहीं था बल्कि उन्हें केवल एक टूरिस्ट मैप मुहैया कराया गया था.

जब बिश्नोई हमले की तैयारी कर रहे थे उसी वक्त उन्हें एक नया आदेश मिला. इस बार का टारगेट था ढाका का गवर्नर हाउस. नये आदेश के मिलने तक बिश्नोई ढाका के आसमान पर उड़ रहे थे. आखिरकार उनके साथी पायलट कौल ने गवर्नर हाउस खोज निकाला. इसी बीच गवर्नर हाउस में गवर्नर डॉक्टर एएम मलिक अपने मंत्रिमंडल के साथ चर्चा करने के लिए बैठे थे. तभी संयुक्त राष्ट्र संध के प्रतिनिधि जॉन केली भी वहां आ पहुंचे. केली ने मलिक को गवर्नर हाउस में समझाया कि मुक्ति वाहिनी उन्हें निशाना बना सकती है लेकिन मलिक ने उनकी एक न सुनी.

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अभी ये बैठक चल ही रही थी कि भारत के विमानों ने गवर्नर हाउस पर बम गिराना शुरू कर दिया. पलक झपकते ही मिग-21 विमानों ने गवर्नर हाउस पर करीब 128 रॉकेट दाग डाले. इस हमले से गवर्नर हाउस में कोहराम मच गया. लोग इधर-उधर भागने लगे. गवर्नर मलिक और उनके सहयोगी जान बचाने के लिए एक बंकर में घुस गए. वहीं संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि केलि वहां से एक मील दूर अपने ऑफिस पहुंच गए. जब मामला शांत हुआ तो फिर से वहां केलि गवर्नर मलिक को समझाने के लिए पहुंच गए.

लेकिन 45 मिनट के अंदर ही भारतीय वायुसेना ने दोबारा हमला कर दिया, इस बार का कमांडर एसके कौल की अगुवाई में एक और हमला हुआ. इस बार बमबारी के साथ ही गोलियां भी चलाई गईं. बस इसी हमले के बाद गवर्नर मलिक ने इस्तीफा दे दिया और उनके इस्तीफे के साथ ही पाकिस्तान की आखिरी सरकार का नामोंनिशान मिट गया.

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भारत के जोरदार हमलों से पाकिस्तान की कमर टूट गई और 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने 93000 सैनिकों के साथ भारत के सामने आत्म समर्पण कर दिया. इसी समर्पण के साथ बांग्लादेश के नाम का उदय हुआ और पूर्वी पाकिस्तान का नाम हमेशा के लिए धूल में मिल गया.