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Vijay Diwas: अपनी इन गलतियों के कारण पाकिस्तान हार गया था 1971 का युद्ध

1971 के युद्ध की वो कहानी है जिसने पाकिस्तान के वजूद पर अपना प्रश्नचिन्ह लगा दिया और दुनिया को भारत ने दिखा दिया अपनी सैन्य शक्ति का दम. आइये जानते हैं कि अपनी किन गलतियों के कारण पाकिस्तान ये युद्ध हार गया था.

Updated on: 15 Dec 2019, 03:07 PM

highlights

  • 1971 की भारत पाकिस्तान जंग में पाकिस्तान के हार के कारणों पर चर्चा. 
  • आखिर इस युद्ध में पाकिस्तान की तरफ से कौन सी गलतियां हुईं जो पाकिस्तान की हार का कारण बनीं.
  • पाकिस्तान को विश्व पटल पर किन देशों ने किया सपोर्ट और किन देशों ने छोड़ा उसका साथ. 

नई दिल्ली:

Vijay Diwas: 1971 के युद्ध में भारत (India) के हाथों हारने के बाद पाकिस्तान (Pakistan) को समर्पण करना पड़ा था और ये सैन्य समर्पण दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य समर्पण था. 1971 के युद्ध की वो कहानी है जिसने पाकिस्तान के वजूद पर अपना प्रश्नचिन्ह लगा दिया और दुनिया को भारत ने दिखा दिया अपनी सैन्य शक्ति का दम. आइये जानते हैं कि अपनी किन गलतियों के कारण पाकिस्तान ये युद्ध हार गया था.


  • जब 1965 में पाकिस्तानी शासक जनरल अयूब ने कश्मीर में बहुत बड़े पैमाने पर घुसपैठ करायी तो पाकिस्तान को ये लगने लगा कि कश्मीर की जनता उनके साथ है लेकिन जब उनके घुसपैठिये फ़ौजियों को पकड़कर कश्मीरी जनता ने पुलिस के हवाले कर दिया तो उनकी समझ में बात आ गई.

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  • वैसे तो पूरी दुनिया को पता है कि पाकिस्तान अपनी ही गलतियों की वजह से इस युद्ध को हार गया था. जिसमें से सबसे बड़ी बात ये रही कि पश्चिमी पाकिस्तान में बैठे हाईकमान की बात या उनका फैसला पूर्वी पाकिस्तान में बैठे उनके नुमाइंदों तक काफी देर में पहुंच रहा था जिससे काफी अस्थिरता का माहौल बना हुआ था.
  • पाकिस्तान को थी अमेरिका से मदद की उम्मीद- इसी के साथ पाकिस्तान इस युद्ध में अमेरिका का साथ मिलना तय मान रहा था क्योंकि उस वक्त अमेरिका पाकिस्तान को सपोर्ट करता था और अमेरिका ने भी अपनी एक वॉर शिप को भारत के विरूद्ध युद्ध में भेज दिया था लेकिन इस वॉरशिप को रूस ने बीच में ही रोक लिया था.
  • इसी के साथ साथ पाकिस्तान की हार का कारण उसका टॉप कमांडर याहया खान की नीतियां ही बन गईं. वहीं दूसरी ओर भारत की कमान इंदिरा गांधी जैसे ताकतवर और क्षमतावान नेता के हाथ में थी. जबकि याहया खान, इंदिरा गांधी के सामने सक्षम नहीं साबित हो पाए.

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  • भारत में एक केंद्र सरकार थी जो सफलता से युद्ध का नेतृत्व करती रही वहीं पाकिस्तान में सैन्य शासन होने की वजह से सब कुछ बिखरता चला गया.
  • भारत ने युद्ध से पहले रूस के साथ समझौता किया था, इंटरनेशनल लेवल पर बांग्लादेश की रिफ्यूजी समस्या को जोरदार ढंग से उठाया था। जबकि पाकिस्तान इस भुलावे में था कि अमेरिका और चीन उसकी हेल्प करेंगे।
  • भारत ने ईस्ट पाकिस्तान में तेजी से वॉर कर तीन दिन में ही एयर फोर्स और नेवल विंग को तबाह कर दिया। इस वजह से ईस्ट पाकिस्तान की राजधानी ढाका में पैराट्रूपर्स आसानी से उतर गए, जिसका पता जनरल एएके नियाजी को 48 घंटे बाद लगा.
  • पश्चिमी पाकिस्तान की जनता पूर्वी पाकिस्तान की जनता को अपने बराबर नहीं मानती थी. इस वजह से भी दोनों ही देशों की जनता एक धागे में नहीं बंध पाई और उनका संबंध मजबूत न हो सका. 
  • इसी के साथ पाकिस्तान की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर जब जुल्म ढाए तो उन्हें अपनी ही सेना पराई लगने लगी और उन्हें भारत से मदद मांगनी पड़ी.

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  • पाकिस्तान में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में कोआर्डिनेशन नहीं था। यही कारण है कि तीनों संयुक्त रूप से कार्रवाई नहीं कर पाए, जबकि भारतीय सेना फील्ड मार्शल मानेकशॉ के नेतृत्व में तीनों विंग एकजुट होकर काम कर रही थी.