वीर सावरकर ने अंग्रेजों के मामले में शिवाजी का किया था अनुकरण, कांग्रेस ने फैलाया झूठ का जाल
सिद्धि जौहर की घेराबंदी और अफजल खान की हत्या से पहले आगरा में कारावास के दौरान शिवाजी ने मु्स्लिम शासकों को धोखा देने के लिए ऐसे ही छल प्रपंच का सहारा लिया था.
highlights
- शिवाजी ने शत्रुओं को धोखा देने के लिए तमाम पत्रों और याचिकाओं का सहारा लिया.
- वीर सावरकर ने इस मामले में अक्षरशः शिवाजी का ही अनुकरण किया.
- यह अलग बात है कि कांग्रेस ने उन्हें कमतर करने के लिए लिया दुष्प्रचार का सहारा.
New Delhi:
एक कहावत है युद्ध और प्रेम में सब जायज है. इस लिहाज से मुगलों के खिलाफ संघर्ष में मराठा शासक और वीर यौद्धा छत्रपति वीर शिवाजी ने हर उस रणनीति को अपनाया, जिससे वह मुसलमान शासकों को परास्त कर उन्हें खदेड़ सके. उन्हीं को आदर्श मानते हुए विनायक दामोदर सावरकर ने भी अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए हर उस नियम का सहारा लिया, जिससे उनके उद्देश्य की पूर्ति होती हो. यह अलग बात है कि वीर सावरकर ने जिस रणनीति से ब्रिटिश हुक्मरानों को धोखा देने की कोशिश उससे उनके ही देशवासी 'धोखे' में आ गए और कांग्रेस के उस दुष्प्रचार का शिकार हो गए, जो उसने आजाद भारत के बाद सत्ता पर अपना वर्चस्व बढ़ाने या स्वतंत्रता संग्राम में अपने को ही श्रेष्ठ साबित करने के लिए गढ़ा था.
यह भी पढ़ेंः मुसलमान-मुसलमान ही रहेगा, वह भारतीय कभी नहीं हो सकेगा, जानें सावरकर ने क्यों दिया था बयान
शिवाजी ने भी अफजल खान को हराने के लिए लिया था संधि का सहारा
महाराष्ट्र के प्राचीन इतिहास खासकर शिवाजी के बारे में जिन्होंने भी पढ़ा-लिखा है वह जानते हैं कि शिवाजी ने अपने शत्रुओं को धोखा देने के लिए तमाम पत्रों और याचिकाओं का सहारा लिया. खासकर सिद्धि जौहर की घेराबंदी और अफजल खान की हत्या से पहले आगरा में कारावास के दौरान शिवाजी ने मु्स्लिम शासकों को धोखा देने के लिए ऐसे ही छल प्रपंच का सहारा लिया था. उन्होंने मुस्लिम शासकों को धोखे में रखने के लिए उनके साथ 'पुरंदर संधि' की थी. इस तरह वे कारावास से छूट कर बाहर आए थे और जैसे ही उन्होंने दोबारा सेना का गठन कर शक्ति प्राप्त की, बगैर देर किए अपने अपमान का बदला ले लिया था.
यह भी पढ़ेंः गाय की पूजा कोई अज्ञानी ही कर सकता है, जानें ऐसा क्यों कहा था सावरकर ने
सावरकर येन केन प्रकारेण जेल से बाहर आना चाहते थे
वीर सावरकर ने इस मामले में अक्षरशः शिवाजी का ही अनुकरण किया. उन्होंने अंग्रेजों के समक्ष अपनी सशर्त रिहाई के लिए कई प्रलोभन भरी याचिकाएं दायर कीं. अपने ऊपर दया करने की गुहार करते हुए उन्होंने सरकार से ख़ुद को भारत की किसी जेल में भेजे जाने की प्रार्थना की थी. इसके बदले में वह किसी भी हैसियत में सरकार के लिए काम करने के लिए तैयार थे. सावरकर इस पचड़े में नहीं पड़े की उनके माफ़ी मांगने पर लोग क्या कहेंगे. उनकी सोच ये थी कि अगर वह जेल के बाहर रहेंगे तो वह जो करना चाहेंगे, वह कर सकेंगे. इन्हीं को आधार बना कर कांग्रेस वीर सावरकर को अंग्रेजों का पिट्ठु करार देती आई है, जो सिर्फ और सिर्फ दुष्प्रचार है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Farzi 2 Shooting: कब शुरू होगी फर्जी 2 की शूटिंग, एक्ट्रेस राशि खन्ना ने दिए हिंट
-
Taapsee Pannu Photos: सीक्रेट शादी के बाद तापसी पन्नू ने साड़ी में शेयर की पहली फोटोज, फैंस ने स्पॉट की इंगेजमेंट रिंग
-
Ayushmann Khurrana: ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आयुष्मान खुराना ने दिखाई दरियादिली, किया ये जरूरी काम
धर्म-कर्म
-
April Panchak Date 2024: अप्रैल में कब से कब तक लगेगा पंचक, जानें क्या करें क्या ना करें
-
Ramadan 2024: क्यों नहीं निकलते हैं कुछ लोग रमज़ान के आखिरी 10 दिनों में मस्जिद से बाहर, जानें
-
Surya Grahan 2024: क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण, जानें कब लगेगा अगला ग्रहण
-
Rang Panchami 2024: आज या कल कब है रंग पंचमी, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व जानिए