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नारी शक्ति को सलाम: ये हैं वो 7 महिलाएं जिन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया को संभाला

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने 7 महिलाओं को अपना ट्वीटर हैंडल सौंप दिया. ट्विटर की कमान मिलते ही इन महिलाओं ने ट्वीट भी किए.

Updated on: 08 Mar 2020, 11:25 PM

नई दिल्ली:

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने 7 महिलाओं को अपना ट्वीटर हैंडल सौंप दिया. ट्विटर की कमान मिलते ही इन महिलाओं ने ट्वीट भी किए. प्रधानमंत्री ने इन महिलाओं के साथ इनके विचार भी साधा किए. आइए जानते है कि यह महिलाएं कौन हैं और इनकी क्या उपलब्धिया हैं.

स्नेहा मोहनदास
प्रधानमंत्री का ट्विटर हैंडर मिलते ही चेन्नई की स्नेहा मोहनदास के ट्वीट किया है. स्नेहा मोहनदास को फूड बैंक इंडिया की संस्थापन के तौर पर जाना जाता है. उन्होंने 2015 में इसकी शुरुआत की थी. यह संस्था बेघरों का खाना खिलाती है. उन्होंने कहा कि युवाओं को इस अभियान से जोड़ने के लिए उन्होंने इसका ट्विटर अकाउंट बनाया. इसी को ध्यान में रखकर मैंने सोशल मीडिया में फूड बैंक चेन्नई से फेसबुक पेज बनाया. इसका असर ये हुआ कि 18 प्लस चैप्टर इंडिया और एक साउथ अफ्रीका में बन गया.

मालविका अय्यर
मालविका अय्यर इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर, विकलांगों के हक के लिए लड़ने वाली एक्टिविस्ट, सोशल वर्क में पीएचडी के साथ फैशन मॉडल के तौर पर जानी जाती हैं. एक हादसे में मात्र 13 साल की उम्र में ही इन्होंने अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे. अय्यर ने मोदी के अकाउंट से ट्वीट किया कि स्वीकार करना सबसे बड़ा पुरस्कार है, जो हम अपने आप को दे सकते हैं. हम अपनी जिंदगी को नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन हम निश्चित ही जिंदगी को लेकर अपने नजरिये को बदल सकते हैं. अय्यर 13 साल की उम्र में एक बम विस्फोट से बाल-बाल बची थीं, लेकिन इस वजह से उन्होंने अपने सपनों को नहीं छोड़ा.

कलावती देवी
कानपुर की रहने वाली कलावती देवी स्वच्छता के लिए काम करती हैं. कलावती देवी महिला राजमिस्त्री हैं. यानी कि वो मकान बनाने का काम करती हैं. कानपुर जिले में खुले में शौच को कम करने में उन्होंने प्रेरणादायी काम किया है. उन्होंने कानपुर और उसके आसपास के गांवों में 4000 से अधिक शौचालयों के निर्माण में अहम रोल निभाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्विटर हैंडल के माध्यम से खुद का परिचय देते हुए, उन्होंने हिंदी में ट्वीट किया, "वह जगह, जहां मैं रहती थी एक जीवित नरक की तरह थी. लेकिन मुझे मजबूत विश्वास था कि स्वच्छता के माध्यम से हम इस स्थिति को बदल सकते हैं. मैंने लोगों को समझाने और शौचालय निर्माण के लिए पैसा इकट्ठा करने का फैसला किया. आखिरकार, मैं सफल रही". अपने पति और दामाद की असामयिक मृत्यु के बाद, अपनी बड़ी बेटी और उनके दो पोते की देखभाल करने की जिम्मेदारी आने के बाद भी वो कमजोर नहीं पड़ीं. जबकि उनके परिवार में एक भी कमाने वाला व्यक्ति नहीं बचा था.

आरिफा
पीएम मोदी के ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट करने वाली तीसरी महिला का नाम आरिफा है. उन्होंने कश्मीर के श्रीनगर में महिला कारीगरों की जिंदगी बदलने का काम किया है. आरिफा कश्मीर की पारंपरिक नमदा बुनकर हैं. नमदा बुनकर ऊन के कारपेट बनाती हैं. कश्मीर में लुप्त सी हो चुकी इस कला को आरिफा ने नया मुकाम दिया है. आरिफा ने कहा कि इस कला का पीएम मोदी के इस कदम से उनका हौसला बढ़ा है.

कल्पना
पीएम मोदी के ट्विटर अकाउंट का चलाने का मौका कल्पना को भी मिला. उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्ट‍िंग के जरिए घर से कम्युनिटी तक वाटर इन हाउस होल्ड मुहिम चलाई. उन्होंने कहा, पानी विरासत में मिली एक मूल्यवान चीज है. हमें आने वाली पीढ़ियों को इससे वंचित नहीं होने देना है. इसके लिए हमें जिम्मेदारी से पानी का उपयोग करना होगा, वर्षा जल का संचयन, झीलों को बचाना, उपयोग किए गए पानी का पुन: इस्तेमाल और जागरूकता पैदा करना होगा.

विजया पवार
बंजारा हस्तकला के क्षेत्र में अपने काम से विशेष पहचान बनाने वाली महाराष्ट्र के रूरल एरिया की स्वयंसिद्धा विजया पवार ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रधानमंत्री का ट्विटर हैंडल संभाला था. विजया ने बताया कि बंजारा हस्तकला हमारे क्षेत्र की पहचान है. मैं छोटी से बड़ी इसी में ही हुई हूं. उन्होंने बताया कि साल 2000 में शादी हो गई. वैसे तो ये कला यहां मां से बेटी को मिलने वाली विरासत है. हमारी ससुराल में भी सास से मेरे हसबैंड ने सीखा था. फिर पति से मैंने सीखा ओर मुझे भी इंट्रस्ट आने लगा.

वीणा देवी
मुंगेर की वीणा देवी ने आखिरी में ट्वीटर हैंडल संभाला. जिसमें उन्होंने बताया कैसे महिलाएं घर पर ही मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भर हो रही हैं. वीणा देवी नक्सल प्रभावित बेलहर प्रखंड क्षेत्र में परंपरागत कृषि के साथ-साथ मशरूम की व्यवसायिक खेती में भी हाथ आजमा रही हैं. पिछले पांच सालों में उनके अथक प्रयास से कई गावों में मशरूम की खेती शुरू हो गई है. इसकी वजह से मशरूम की खेती और मार्केटिंग से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है. वीणा देवी ने अपने अथक प्रयास से मुगेर के पांच ब्लॉक के 105 गांवों में मशरूम खेती की अलख जगा दी है, जिसकी वजह से 1500 परिवारों के जीवन-यापन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. इसके अलावा वीणा देवी डिजिटल प्रशिक्षण के काम में भी लगी हुई हैं. इन्हीं की बदौलत इस क्षेत्र की 700 महिलाओं ने मोबाइल इस्तेमाल करने का तरीका सीखा.