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पीएम मोदी ने राज्यसभा में दिए महाराष्ट्र के सियासी भविष्य के संकेत

महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन का ऊंट किस करवट बैठने वाला है, इसे फिलवक्त केंद्रीय नेताओं के बयानों से समझा जा सकता है.

Updated on: 18 Nov 2019, 03:41 PM

highlights

  • शरद पवार ने महाराष्ट्र मसले पर कहा-शिवसेना के बारे में मुझे पता नहीं.
  • पीएम मोदी ने कहा-एनसीपी के संसदीय आचरण से सीखने की जरूरत.
  • अमित शाह कह ही चुके हैं-डोंट वरी सरकार शिवसेना-बीजेपी की बनेगी.

New Delhi:

महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन का ऊंट किस करवट बैठने वाला है, इसे फिलवक्त केंद्रीय नेताओं के बयानों से समझा जा सकता है. शिवसेना को समर्थन के मुद्दे पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात करने दिल्ली पहुंचे एनसीपी नेता शरद पवार ने सूबाई सरकार के मसले पर दो टूक कह दिया कि बीजेपी-शिवसेना ने मिल कर चुनाव लड़ा था, वहीं जानें. इसके बाद राज्यसभा के 250वें सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनसीपी की तारीफ कर संकेत दे दिए कि महाराष्ट्र का सियासी गणित किस करवट बैठने वाला है. गृह मंत्री अमित शाह का रविवार का 'डोंट वरी' वाला बयान तो नेताओं की पेशानी पर बल डालने वाला रहा ही है.

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शरद पवार के बयान ने बदले सियासी समीकरण
सोमवार सुबह एनसीपी प्रमुख शरद पवार सोनिया गांधी से मुलाकात करने के एजेंडे पर जब दिल्ली पहुंचे, तो उन्होंने पत्रकारों से साफ-साफ कह दिया कि लोकसभा चुनाव समेत महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव बीजेपी-शिवसेना ने साथ-साथ लड़ा था. इधर एनसीपी और कांग्रेस ने साथ मिल कर बतौर गठबंधन चुनाव लड़ा था. अब उन्हें अपना रास्ता तय करना है, जबकि हम अपनी राजनीति करेंगे. शिवसेना को समर्थन के मसले पर उन्होंने लगभग झुंझलाते हुए कहा था कि शिवसेना के बारे में मुझे पता नहीं. जाहिर है इस बयान ने एनसीपी-कांग्रेस समर्थन की बाट जोह रही शिवसेना के अरमानों पर फिलहाल तो पानी फेर ही दिया है.

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पीएम मोदी ने राज्यसभा में एनसीपी की करी तारीफ
पवार के इस बयान के चंद घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में अपने संबोधन के दौरान दबे-छिपे शब्दों में महाराष्ट्र के सियासी गणित के संकेत दे दिए. राज्यसभा के 250वें सत्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'आज इस अवसर पर मैं दो पार्टियों एनसीपी और बीजद की तारीफ करना चाहूंगा. दोनों ने ही संसदीय परंपराओं के अनुकूल आचार-व्यवहार अपना रखा है. इन दोनों पार्टियों ने अपने स्तर पर वेल में आकर हल्ला-गुल्ला करने से परहेज रखा है. इसके बावजूद बेहद प्रभावी तरीके से दोनों अपनी-अपनी बात विभिन्न मसलों पर उठाती रही हैं. मुझ समेत अन्य दलों को इन दोनों ही दलों से सीखने की जरूरत है.'

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पवार के लिए दिल्ली में 'स्कोप' ज्यादा
जाहिर है पीएम मोदी ने एनसीपी की तारीफ यूं ही नहीं की है. महाराष्ट्र में बदले सियासी गणित के तहत शिवसेना एनडीए के खेमे से बाहर है. ऐसे में सरकार संसद के इस शीतकालीन सत्र में एनआरसी पर बिल लाने जा रही है. ऐसे में उसे राज्यसभा में साथियों की जरूरत पड़ेगी. इस लिहाज से उन्होंने राज्यसभा में सुचारू कामकाज के लिए तो एनसीपी और बीजद को साधा ही. साथ ही एनसीपी को संकेत भी दे दिया कि उसके लिए केंद्र में 'स्कोप' ज्यादा है. इस बात को शरद पवार भी समझते हैं कि केंद्र सरकार के सहयोग से वह न सिर्फ दिल्ली की राजनीति में वापसी कर सकते हैं, बल्कि ईडी सरीखी सरकारी एजेंसियों के 'प्रकोप' से भी बच सकते हैं. कम से कम फिलहाल तो शरद पवार और पीएम मोदी के बयान से यही संकेत निकलते हैं.

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गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था 'डोंट वरी'
इसके पहले रविवार को संसद के शीतकालीन सत्र से पहले समन्वय बनाने के लिए बैठक बुलाई गई थी. बैठक में पीएम मोदी भी मौजूद थे. इस दौरान केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख रामदास अठावले ने महाराष्ट्र में सरकार निर्माण को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मध्यस्थता करने की गुजारिश की. उन्होंने कहा कि अगर अमित शाह इस मामले में मध्यस्थता करते हैं तो कोई ना कोई रास्ता निकल सकता है. रामदास अठावले को जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि चिंता मत करो. सब ठीक हो जाएगा. महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की ही सरकार बनेगी. सरकार बनाने को लेकर शिवसेना बीजेपी के साथ आएगी. जाहिर है अमित शाह का यह विश्वास भी यही बता रहा है कि महाराष्ट्र का सियासी गणित क्या होने वाला है.